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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने बच्चों के लिए स्पेशल कोविड-19 वैक्सीन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। लंदन में इसके ट्रायल भी शुरू हो गए
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बच्चों के लिए स्पेशल कोविड-19 वैक्सीनलंदन में इसके ट्रायल भी शुरू

 www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 18th Feb. 2021.Thu, 11:13 AM (IST) : Team Work: Kuldeep & Sandeep Agerwal   लंदन :  ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने बच्चों के लिए स्पेशल कोविड-19 वैक्सीन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। लंदन में इसके ट्रायल भी शुरू हो गए हैं। कुल 300 बच्चे इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इनकी उम्र 6 से 17 साल के बीच है। इस ट्रायल का एक मकसद यह जानना भी है कि वर्तमान वैक्सीन इस उम्र वर्ग के बच्चों पर कितनी असरकारक है। फिलहाल, ब्रिटेन में वैक्सीन जिन लोगों को लगाई जा रही है, उनकी उम्र 18 साल या इससे ज्यादा है।रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का यह वैक्सीन ट्रायल शनिवार को शुरू हुआ। इसके लिए कंपनी ने कई सेंटर्स पर प्रॉसेस शुरू किया है। शुरुआत में 240 बच्चों को वैक्सीन डोज दिए गए हैं। 16 साल की मायरा ने सोशल मीडिया पर लिखा- मैं भी ट्रायल में बतौर वॉलंटियर हिस्सा ले रही हूं। उम्मीद है हमारे पास बेहतर नतीजे आएंगे। पूरी महामारी के दौरान मैं इस बात का इंतजार कर रही थी कि किस तरह योगदान दे सकती हूं।ब्रिटेन में कुल तीन वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। इनमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के अलावा फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना शामिल हैं। कुछ बच्चों को पहला डोज दिया जा चुका है। दूसरा डोज चार हफ्ते बाद दिया जाएगा। क्लीनिकल ट्रायल्स कर रही टीम में शामिल नर्स हन्ना रॉबिन्सन ने कहा- हम ये देखना चाहते हैं कि वैक्सीन का इस उम्र के बच्चों पर भी वही असर होता है, जो वयस्कों पर हुआ है। इसकी एफिकेसी जानना जरूरी है। अगर ऐसा हुआ तो बच्चों को भी महामारी से बचाया जा सकेगा और साल के आखिर तक इनके लिए भी वैक्सीन मौजूद हो सकती है। जापान में आज से शुरू होगा टीकाकरण  &  जापान कोरोनोवायरस के खिलाफ टीकाकरण शुरू करने जा रहा है। ऐसा करने वाला वह आखिरी विकसित देश है। इस देरी की वजह से उसकी आलोचना भी हो रही है। जापान सरकार ने रविवार को अमेरिका निर्मित फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दी। इसके 48 घंटे बाद वैक्सीन की पहली खेप जापान पहुंच गई है। सबसे पहले 37 लाख हेल्थ केयर वर्कर्स और अन्य फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीका लगेगा।हालांकि जापान में टीकाकरण का सफर काफी मुश्किलों भरा है। आशी न्यूजपेपर के सर्वे के मुताबिक जापान में 62% आबादी टीकाकरण से पहले वेट एंड वॉच की स्थिति में है। क्योडो न्यूज के सर्वे में भी जापान में टीकों को लेकर लोगों में संदेह हैं। सर्वे में सिर्फ 63.1% लोगों ने टीका लगवाने की जल्द इच्छा जाहिर की।वहीं, 27.4% लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते हैं। 40-60 साल की महिलाएं टीका लगवाने के लिए बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है। लोगों का मानना है कि कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन बहुत जल्दी में लॉन्च हुआ है। इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त परीक्षण नहीं किए गए हैं कि वे सुरक्षित हैं और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।हालांकि, सफल टीकाकरण की राह में कई बाधाएं हैं। सबसे बड़ी बाधा यह है कि देशभर के मेडिकल केंद्रों में वैक्सीन पहुंचाना और इनका रखरखाव करना है। क्योंकि ज्यादातर सेंटर में वैक्सीन के लिए जरूरी माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान की व्यवस्था नहीं है।दूरदराज इलाकों में टीका लगाने के लिए पेशेवर चिकित्सकों की कमी है। स्वास्थ्य अधिकारी इस काम के लिए 11 हजार चिकित्सकों को खोज रहे हैं, जो अपने दैनिक दायित्वों के अलावा टीकाकरण के काम को आगे बढ़ा सके। एक और जटिल समस्या यह है कि फाइजर वैक्सीन देने के लिए डिजाइन की गई सिरिंज की कमी है। इससे लाखों डोज बर्बाद हो सकती है।1993 में कैसे खसरा, कंठमाला और रूबेला का संयुक्त टीका वापस ले लिया गया था, क्योंकि उसकी वजह से मैनिजाइटिस बीमारी हो रही थी। जबकि 2011 में मैनिजाइटिस और निमोनिया के टीके पर भी रोक लगा दी गई थी। यह टीका दिए जाने के बाद 4 बच्चों की मौत हो गई थी। हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानव पेपिलोमा वायरस की वैक्सीन को बढ़ावा देना बंद कर दिया है। कुछ लोगों को सर्वाइकल कैंसर का शिकार होना पड़ा है।जापान में अच्छी बात यह है कि कोरोना के नए मामले तेजी से घट रहे हैं। सोमवार को कुल 965 नए मामले आए। 16 नवंबर के बाद पहली बार संक्रमित की संख्या 1 हजार से कम रही है। देश में कोरोना के 3.9 लाख मामले आ चुके हैं। 7056 लोगों की मौत हो चुकी है।

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