देहरादून: हाई कोर्ट ने देहरादून शहर को कूड़ा मुक्त करने के लिए जिला प्रशासन को 48 घंटे की मोहलत दे दी है। साथ ही इसके लिए जिलाधिकारी व नगर निगम की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना भी की है। डीएम की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया है कि शहर से कूड़ा हटाने के लिए 45 ट्रालियां, 48 डंपर पहले से संचालित हैं और अब 21 और ट्रालियां कूड़ा उठाने के लिए लगा दी गई हैं, जिनकी मदद से 244 टन कूड़ा हटाया गया है। यह भी बताया कि कूड़ा निस्तारण का काम दिनरात चल रहा है। सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा डालने वालों का चालान किया जा रहा है। डीएम की ओर से कावली रोड, धामावाला, पुरानी तहसील, व अंसारी मार्ग में सफाई से संबंधित फोटोग्राफ्स भी कोर्ट में पेश किए गए, जहां पूर्व में कूड़े के ढेर लगे थे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने पिछले दिनों भी 48 घंटे के भीतर देहरादून नगर निगम व जिलाधिकारी को शैक्षणिक संस्थानों, फुटपाथ, हॉस्पिटल, सार्वजनिक स्थानों से कूड़ा हटाने के निर्देश दिए थे। साथ ही कहा था कि यदि 48 घंटे में कूड़ा नहीं हटाया तो डीएम व नगर आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई होगी। दून निवासी जतिन सब्बरवाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि दून में पिछले कुछ दिनों से हर तरफ कूड़े के ढेर लगे हैं।
नगर निगम इनकी सफाई नहीं करा रहा है। कूड़े के ढेर से बीमारियां फैलने का खतरा पैदा हो गया है। जिसकी शिकायत नगर निगम, राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से की गई, मगर कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस पर नगर निगम की ओर से कहा गया था कि सफाई कर्मी हड़ताल पर थे, जिससे व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। इस पर कोर्ट ने पूछा कि जब सफाई कर्मी हड़ताल पर जाएंगे तो क्या निगम सफाई नहीं कराएगा।
मोहलत मिली, चुनौतियां अब भी बरकरार
शहर में सफाई-व्यवस्था को लेकर नगर निगम को हाईकोर्ट से भले 48 घंटे की मोहलत मिल गई हो लेकिन पहाड़ जैसी चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। शहर में गंदगी, कूड़े और चोक नालियों के जो हालात हैं, वह किसी से छुपे नहीं हैं। निगम पिछले चार दिनों से युद्धस्तर पर अभियान चलाने का दावा कर रहा लेकिन यह अभियान शहर के अंदरूनी व मुख्य हिस्सों तक ही सीमित है। गलियों और मोहल्लों समेत शहर से बाहरी इलाके गंदगी से अभी भी पटे हुए हैं। नगर निगम सफाई कर्मियों की हड़ताल की आड़ लेते हुए हाईकोर्ट से बचना चाह रहा था, मगर हाईकोर्ट ने इस पर भी निगम अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। हाईकोर्ट ने सवाल पूछा कि अगर हड़ताल होगी तो क्या नगर निगम सफाई नहीं कराएगा।
दरअसल, हाईकोर्ट ने जिस याचिका पर शहर को स्वच्छ करने का आदेश दिया है, वह मई में उस दौरान लगाई गई थी, जब शहर में सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे थे। नगर निगम ने मंगलवार को अपने बचाव में यही तर्क दिया लेकिन हाईकोर्ट ने उल्टा निगम अधिकारियों से ही सवाल पूछ लिया। ऐसे में निगम अधिकारी बगले झांकने लगे। वहीं, अब निगम को शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने को 48 घंटे फिर मिल गए हैं और 14 सितंबर को इस संबंध में पूरी रिपोर्ट हाईकोर्ट को देनी है। लिहाजा, जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन की ओर से नगर आयुक्त को हर संभव प्रयास कर शहर साफ करने के निर्देश दिए हैं।
जिलाधिकारी और नगर आयुक्त विजय कुमार जोगदंडे ने मंगलवार को भी शहर में सफाई व्यवस्था की कमान संभाले रखी और जगह-जगह निरीक्षण किया। अफसरों ने परेड ग्राउंड से तिब्बती चौक और बहल चौक समेत कनक चौक तक पैदल भ्रमण कर सफाई और चोक नालियों की स्थिति देखी। निगम ने अतिरिक्त संसाधनों के साथ व बरसात के बावजूद मंगलवार को 260 मीट्रिक टन कूड़ा उठान का दावा किया है। जिलाधिकारी ने शहर में तैनात सभी साठ पर्यवेक्षकों से फोन पर बात कर पूरी रिपोर्ट ली और सफाई दुरुस्त रखने के निर्देश भी दिए।
धार्मिक स्थल के पास गंदगी
श्री गंगा उद्वार सेवा समिति गौतमकुंड चंद्रबनी की ओर से नगर आयुक्त को पत्र देकर मंदिर के बाहर गंदगी फैली होने की शिकायत की है। समिति की ओर से पहले भी कई दफा शिकायत दी जा चुकी है पर नगर निगम कोई कदम उठाया। समिति के महंत हेमराज ठाकुर व स्थानीय लोगों की ओर से निगम की कार्यशैली पर सवाल भी उठाए हैं।
स्ट्रीट लाइटें बंद, सफाई ठप
कांग्रेस के वरिष्ठ निवर्तमान पार्षद जगदीश धीमान ने नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर शहर में स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी होने, सफाई व्यवस्था लचर और नालियां चोक होने की शिकायत की। आरोप है कि नगर निगम ने शहर में 42 हजार एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने का जिम्मा जिस कंपनी को दिया हुआ है, वह बेहद घटिया गुणवत्ता की लाइटें लगा रही है। वर्तमान में चार से पांच हजार लाइटें खराब पड़ी हैं और ठीक नहीं किया जा रहा। धीमान का आरोप है कि कंपनी ने सात से आठ सौ में मिलने वाली लाइट की कीमत चार हजार रुपये बताई है। उन्होंने इसकी जांच की मांग की है।
तीन माह बाद दून को मिला मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी
दून में सफाई-व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए हाईकोर्ट ने सख्त एक्शन क्या लिया, राज्य सरकार की भी नींद टूट गई। बीते चार माह से नगर निगम में खाली पड़ी वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी की कुर्सी पर नियुक्ति के आदेश मंगलवार को जारी कर दिए गए हैं। यही नहीं निगम में अब वरिष्ठ नहीं बल्कि मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी पदनाम पर तैनाती दी गई है। स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात संयुक्त निदेशक डा. कैलाश जोशी को मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी बनाकर भेजा गया है।
शासन ने 18 मई को स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर तबादले किए थे। इसमें दून नगर निगम के तत्कालीन वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश गुंज्याल को इसी पद पर हरिद्वार नगर निगम भेजा गया था, जबकि डा. कैलाश जोशी को दून का वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी बनाया गया था। हालांकि, डा. जोशी ने ज्वाइनिंग नहीं दी और यह पद तभी से खाली चलता रहा। नगर निगम में अतिरिक्त कार्यभार देख रहे मसूरी नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरके सिंह को ही फिलहाल निगम में प्रभारी वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई।
इस बीच शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने पर हाईकोर्ट ने गत आठ सितंबर को जिलाधिकारी एवं नगर आयुक्त को 24 घंटे में शहर को साफ करने के आदेश दिए तो सवाल स्वास्थ्य अधिकारी की रिक्त चल रही कुर्सी पर भी उठे। जिलाधिकारी ने इस संबंध में शासन में बात की तो सरकार भी कुछ गंभीर हुई। इसी क्रम में मंगलवार को सचिव स्वास्थ्य ने डा. कैलाश जोशी को तत्काल मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी का पदभार ग्रहण करने के आदेश दिए। जोशी को रीलीव कर स्वास्थ्य महानिदेशालय में उनके कार्य संयुक्त निदेशक डा. मीनू शाह को सौंपे गए हैं।
पॉलीथिन मुक्ति को लेकर नोडल अधिकारी नियुक्त
हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश को पॉलीथिन मुक्त कराने को लेकर जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने नोडल और पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं।
जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने नगर निगम क्षेत्र के लिए सहायक नगर आयुक्त को नोडल अधिकारी नामित किया है। नगर के सभी वार्डों में जनपद स्तरीय अधिकारियों को मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। तहसील स्तर पर संबंधित उप जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया है। सभी एसडीएम अपनी तहसील के अन्तर्गत आने वाले नगर निगम एवं नगर पालिका परिषद या नगर पंचायत के संबंधित सहायक नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी के सहयोग से वार्डवार टीम गठित करेंगे।