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युद्ध अभ्यास: जंगी हेलीकॉप्टर से आतंकी ठिकानों पर उतरे कमांडो, आतंकवादियों को मार गिराया

रानीखेत, अल्मोड़ा: रक्षा सहयोग, सामरिक संबंधों व वैश्विक चुनौती आतंकवाद के खात्मे को भारत व अमेरिका के बीच 14वें संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास- 2018 के तहत ‘काउंटर इंसर्जेंसी एंड काउंटर टेरेरिज्म’ थीम पर सबसे बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। विभिन्न चरणों को पार कर आखिरी दिन आतंकियों के खिलाफ विशेष मिशन छेड़ा गया। भारत व अमेरिका के सैन्य विशेषज्ञों व जांबाजों ने तड़के आतंकवाद प्रभावित गांव में आतंकी ठिकानों पर हवाई मार्ग से उतरने की साझा रणनीति बनाई। जंगी हेलीकॉप्टर से पैरा कमांडो उतारे गए। चीते सी फुर्ती के साथ संयुक्त सैन्य कार्रवाई कर आतंकी ठिकानों को तहस नहस कर आतंकवादियों को मार गिराया तो कुछ को जिंदा पकड़ लिया गया।

चौबटिया सैन्य क्षेत्र में 15-गढ़वाल रेजीमेंट की अगुवाई में दो सप्ताह तक चले युद्धाभ्यास के अंतिम दिन शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) चार्टर के तहत अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन की रूपरेखा तय की गई। चौबटिया के निचले भूभाग में काल्पनिक गांव पर फोकस किया गया जो पूरी तरह आतंकियों के कब्जे में था। सुनियोजित रणनीति के तहत दोनों देशों के जांबाजों ने चारों ओर से संबंधित गांव को घेर लिया।

फिर जंगी हेलीकॉप्टर से रस्सी के जरिये भारतीय सेना के पैरा कमांडो ने नीचे उतर एक एक कर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर अपनी युद्धक क्षमता का प्रदर्शन किया। दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों व विशेषज्ञों ने युद्धाभ्यास के इस सबसे बड़े ऑपरेशन को देखने के बाद युद्ध नीति व तकनीक से जुड़े पहलुओं पर विचार साझा किए।

6000 से 7500 फीट की ऊंचाई पर चले ऑपरेशन
भारत व अमेरिकी संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास के तहत इस बड़े ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए तीन दिन व दो रात की अवधि में सत्यापन अभ्यास किया गया। इसमें खासतौर पर इंटरऑपरेबिलिटी (मिलकर कार्य करने की क्षमता), पारस्परिक प्रक्षिक्षण व काल्पनिक स्नैप परिस्थितियों के साथ जमीन पर परीक्षण किया गया। संयुक्त युद्धाभ्यास में भारतीय व अमेरिकी सेना के जवानों ने तकनीकी रणकौशल का अभ्यास किया।

यूएनओ की गाइडलाइन पर करीब 6000 फीट से 7200 फीट तक की ऊंचाई पर अभ्यास किया गया। इसमें सामरिक योजना, तैयारी व निष्पादन शामिल रहा। आतंकवादियों को बेअसर करने को ड्रिल अभ्यास पूरी लड़ाई भार के साथ लगभग छह किमी के कठिन मार्च के साथ शुरू हुआ। दोनों देशों के सैनिकों की शारीरिक फिटनेस का एसिड परीक्षण किया गया।

रेड, कॉर्डन, खोज संचालन, खोज, नष्ट संचालन व वाहन चैक पोस्ट आदि सभी पहलुओं का बखूबी प्रदर्शन किया गया। वहीं आतंकवादियों की निगरानी, ट्रैकिंग तथा पहचान, लड़ाई के लिए विशेषज्ञ हथियार का उपयोग, प्रभावी संचार स्थापित करने के लिए कला उपकरणों के इस्तेमाल पर फोकस किया गया।

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भारतीय सेना: मेजर जनरल (सेना मेडल) कवींद्र सिंह, गरुड़ डिवीजन कमांडर मेजर जनरल मनोज कुमार कटियार, कमांडर चौबटिया ब्रिगेड ब्रिगेडियर (सेना मेडल) विजय काला
अमेरिकी सेना: मेजर जनरल डेविड बैल्डविन (कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड), डिप्टी कमांडर वन कोर अमेरिकी सेना मेजर जनरल विलियम ग्राहम, ब्रिगेडियर डेविड ब्रिग्हम (अमेरिकी दूतावास)
प्रशिक्षण रहा अद्वितीय

कवींद्र सिंह (मेजर जनरल, भारतीय सेना) का कहना है कि 14 दिन से युद्धाभ्यास चल रहा है। इस बार यह प्रशिक्षण अद्वितीय रहा। इसमें दोनों देशों की सेनाओं की एक डिवीजन स्तर की टास्क फोर्स यूएनओ के अधीन एक ऐसे काल्पनिक देश में उतरी, जहां हालात बिगड़ते जा रहे हैं। वहां शांति स्थापना करना था। गर्व हो रहा कि इस प्रशिक्षण के हर पहलू को हम निपुणता व संपूर्ण रूप से हर लक्ष्य हासिल कर पाए।

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