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स्थायी राजधानी की मांग को लेकर आंदोलनकारियों का विस कूच, गिरफ्तार

देहरादून: स्थायी राजधानी की मांग को लेकर गैरसैंण संघर्ष समिति ने विधानसभा कूच किया। इस दौरान जुलूस की शक्ल में जनगीतों गाते हुए विधानसभा के पास पहुंचे आंदोलनकारी बेैरिकेडिंग पर चढ़ गए। जहां उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई। बाद में जनसभा करते हुए आंदोलनकारियों ने सरकार को चेताया कि जल्द राजधानी को लेकर फैसला न हुआ तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर विभिन्न राजनीतिक और आंदोलनकारी संगठनों के प्रतिनिधि कचहरी स्थित शहीद स्थल पर एकत्र हुए। यहां गैरसैंण संघर्ष समिति के बैनरतले जनगीत गाकर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग की।

इसके बाद जुलूस की शक्ल में आंदोलनकारी विधानसभा की तरफ बढ़े। रास्ते में पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनाई जाए, गैरसैंण पर सरकार जल्द निर्णय लें, जैसे नारे लगाते हुए विधानसभा के पास पहुंचे। यहां पहले से पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था और बेरिकेडिंग लगाते हुए आंदोलनकारियों को रोक दिया।

मगर, स्थायी राजधानी की मांग कर रहे भाकपा माले के इंद्रेश मैखुरी, संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी, संयोजक चारू तिवारी आदि आंदोलनकारी बेरिकेडिंग पर चढ़ने लगे।

इसे लेकर उनकी पुलिस के साथ जमकर धक्का-मुक्की हुई। काफी देर तक रिस्पना पुल के पास आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प होती रही। बाद में जुलूस सभा में तब्दील हो गया।

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि स्थायी राजधानी की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा। सरकार को चेताया कि जल्द उनकी मांग पूरी न की गई तो राज्य गठन जैसा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

इस मौके पर उक्रांद के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी, परिवर्तन पार्टी के पीसी तिवारी, महिला मंच की कमला पंत, उक्रांद के गंगा दत्त सेमवाल, रमेश नौटियाल, विनोद डिमरी, छात्र नेता अजय पुंडीर, अंकित उछोली, सतीश धौलाखंडी, योगेश भट्ट, जयदीप सकलानी, प्रदीप सती, रतन सिंह असवाल आदि मौजूद रहे।

दस अक्टूबर से प्रदेशभर में यात्रा 

गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर संघर्ष समिति 10 अक्टूबर से प्रदेश के सभी जिलों में यात्रा निकालेगी। इससे पहले दो अक्टूबर को पर्चे और पोस्टर जारी करेगी। इसे लेकर हर जिले में पत्रकार वार्ता और सम्मेलन किए जाएंगे।

पुलिस ने राज्य आंदोलनकारी को लिया हिरासत में

विधानसभा सत्र के दौरान बिना पास अंदर घुस रहे एक व्यक्ति को पुलिस ने हिरासत में लिया है। आरोपित से पूछताछ करने पर पता चला कि वह राज्य आंदोलन समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हैं। बाद में पुलिस ने पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया।

विधानसभा के सत्र के पहले दिन राजधानी में आंदोलनकारियों का खूब हो-हल्ला रहा। सड़कों के साथ ही आंदोलनकारी विधानसभा तक पहुंच गए। चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति की मांगों को लेकर केंद्रीय अध्यक्ष जेपी पांडे अचानक विधानसभा में घुसने लगे। यह देख आस-पास मौजूद पुलिस फोर्स ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद वह नारेबाजी करते हुए वह जबरन भीतर जाने की कोशिश करने लगे।

इसके बाद पांडेय को हिरासत में लेकर नेहरू कॉलोनी थाने लाया गया। इंस्पेक्टर राजेश साह ने बताया कि पांडे को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है।

सड़क पर जाम और बैरेकेड से आमजन को हुई परेशानी

विधानसभा सत्र के दौरान विभिन्न संगठनों के धरने और प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस ने रिस्पना पुल के पास बैरेकेड लगाए हुए थे। आंदोलनकारियों को यहीं पर रोका गया। इस दौरान आमजन को भी परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर स्कूली बच्चों को भी पैदल चलकर आगे बढ़ना पड़ा।

किशोर को विधानसभा में घुसने से रोका, हंगामा

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय को विधानसभा के भीतर न आने देने को लेकर जम कर हंगामा हुआ। विधायक काजी निजामुद्दीन ने सादी वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों पर सवाल उठाते हुए इसे विशेषाधिकार हनन का मामला बताया।

मामला बढ़ता देख किशोर को विधानसभा के भीतर प्रवेश करने दिया गया। वहीं, किशोर उपाध्याय ने कहा कि वह केवल उत्तराखंड के निवासियों के परंपरागत अधिकारों, हक हकूकों के संरक्षण और उत्तराखंड वासियों को वनवासी का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर विधानसभा आ रहे थे। पूर्व विधायक होने के नाते उन्हें प्रवेश से रोका नहीं जा सकता।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहयोगियों के साथ अपनी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने विधानसभा आ रहे थे। पुलिस को यह सूचना मिली कि वह सदन के भीतर इसकी प्रतियां फेंक सकते हैं। इस पर पुलिस ने उन्हें पहले सड़क पर ही रोकने का प्रयास किया। यहां किशोर पुलिस को गच्चा देकर परिसर में पहुंच गए।

जब वह विधानसभा भवन के भीतर आने का प्रयास कर रहे थे तो वहां पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस पर किशोर अपने सहयोगियों के साथ धरने पर बैठ गए। उन्होंने भाजपा सरकार पर आवाज दबाने का आरोप लगाया। इस बीच पुलिस उनके सहयोगियों को उठाकर बाहर ले गई।

इस दौरान कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन विधानसभा के भीतर जा रहे थे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को धरने पर बैठा देख उनका पारा चढ़ गया। वह उन्हें उठाकर भीतर ले जा रहे थे तो सादी वर्दी में तैनात दो पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। विधायक काजी निजामुद्दीन ने इसे विशेषाधिकार हनन की बात कहते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

उनके तेवर देख पुलिस कर्मियों ने किशोर उपाध्याय को भी भीतर प्रवेश करने दिया। सदन के भीतर कांग्रेसी विधायकों ने इस मामले को उठाया। इस पर पीठ ने निर्देश दिए कि पूर्व विधायकों को विधानसभा में प्रवेश करने से रोका नहीं जाए।

विधानसभा के 300 मीटर क्षेत्र में धारा 144 लागू

विधानसभा सत्र के चलते जिलाधिकारी ने विधानसभा क्षेत्र के 300 मीटर परिधि में धारा 144 लागू कर दी है। विधानसभा सत्र की समाप्ति तक यह लागू रहेगी। इसका उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने बताया कि सत्र के चलते विभिन्न संगठनों द्वारा प्रदर्शन, धरना, अनशन एवं अन्य प्रकार की गतिविधियों के कारण शान्ति व्यवस्था प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे में विधानसभा परिसर के चारों ओर 300 मीटर की परिधि में धारा-144 तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गयी है।

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