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इस पार्क को चमकाने में घोटाला, इतने हजार में लगार्इ सिर्फ एक एलईडी लाइट

देहरादून: केंद्र सरकार की ‘अमृत योजना’ के डेढ़ करोड़ रुपये के बजट से गांधी पार्क में बनाए गए किड्स जोन में भारी वित्तीय अनिमितताओं के आरोप लगे हैं। हालात यह हैं कि नगर निगम अधिकारियों ने पार्क के लिए एक या दो हजार में नहीं बल्कि 28 हजार छह सौ रुपये में एक एलईडी लाइट खरीदी गई। यही नहीं, साधारण बेंच की खरीद भी 18 हजार रुपये में की गई। निवर्तमान पार्षद अजय सिंघल द्वारा किड्स जोन खर्च को लेकर सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी तो नगर निगम अधिकारियों की कारगुजारियों से पर्दा उठा। जानकारी के मुताबिक 120 वॉट की 15 एलईडी की कुल कीमत 4,29,000 रुपये, जबकि पार्क में लगे एक कूड़ेदान की कीमत भी 7900 रुपये बताई गई है। पार्षदों ने दावा किया है कि पूर्व में शहर के लिए यही कूड़ेदान चार हजार में खरीदे गए थे।

अमृत योजना के तहत नगर निगम बोर्ड ने गांधी पार्क में दो चरणों में डेढ़ करोड़ रुपये यानी कुल तीन करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव पारित किया था। इसके अंतर्गत पहले डेढ़ करोड़ से किड्स जोन का काम शुरू हुआ। यहां पर बच्चों के मनोरंजन के लिए टॉय ट्रेन के साथ कई तरह के झूले व पार्क का सौंदर्यीकरण आदि का काम किया गया है।

निर्वतमान पार्षद अजय सिंघल ने बताया कि उन्होंने निगम से किड्स जोन पर आए कुल खर्च और खरीदे गए सामान की जानकारी मांगी थी। उनका आरोप है कि सभी सामान बाजारी भाव से ज्यादा में खरीदे गए हैं। लाइटों व कूड़ेदान के साथ ही पार्क में रोशनी के लिए लगाए गए 12 मीटर ऊंचे तीन हाई मास्ट पोल 1,65,000 रुपये में खरीदे गए। यानि 55,000 में एक पोल खरीदा गया। बिजली फीडर पर लगा एक पिलर 48000 का खरीदा जाना दर्शाया गया है। 10 कूड़ेदानों की कीमत 79,200 तो पार्क में लगाई गईं 37 बेंच की कीमत 18,000 प्रति बेंच के हिसाब से 6,66,000 रुपये बताई गई है।

अनियमितता के आरोप लगाकर निर्वतमान पार्षदों अजय सिंघल, अमिता सिंह, राजकुमार कक्कड़ ने अमृत योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर आशीष कठैत से मुलाकात कर सामान खरीद की जांच की मांग की। अजय सिंघल का आरोप है कि बाजारी कीमत से कहीं अधिक पर ये सामान खरीदे गए और निगम अधिकारियों ने इनके बिलों परीक्षण नहीं किया। आरोप है कि अधिशासी अभियंता को सभी बिलों व सामान की कीमत की जांच करनी होती है, लेकिन इसे दरकिनार किया गया। ऐसे में निगम अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। मामले की शिकायत शहरी विकास मंत्री और शासन में भी की गई है।

साढ़े 12 लाख की टॉय ट्रेन के शेड पर खर्च कर डाले 10 लाख 

सूचना के अधिकार में मिली जानकारी में टॉय ट्रेन को लेकर भी चौंकाने वाला सच सामने आया है। निगम अधिकारियों ने इस ट्रेन की कीमत 12,50,000 रुपये बताई है, जबकि इसके ऊपर लगाए गए टिन शेड पर 9,96,341 रुपए का खर्च आना बताया है।

पहले प्रोजेक्ट में ये हाल, आगे क्या होगा 

किड्स जोन अमृत योजना का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जो वजूद में आ चुका है। इसके अलावा अमृत योजना में ही गांधी पार्क में डेढ़ करोड़ रुपये से सौंदर्यीकरण का काम अलग से चल रहा। इसके साथ ही करीब 60 करोड़ रुपये से सीवरेज व ड्रेनेज के काम भी चल रहे हैं। निवर्तमान पार्षदों के आरोप हैं कि जब पहले प्रोजेक्ट में इतना गोलमाल किया गया तो शेष की स्थिति खुद आंकी जा सकती है।

निवर्तमान महापौर विनोद चमोली ने बताया कि नगर निगम ने पार्क के लिए बाकायदा टेंडर प्रक्रिया अपनाई। सामान ठेकेदार ने खरीदा। अगर इसकी खरीद में अनियमितता हुई है तो निगम अधिकारियों को परीक्षण जरूर करना चाहिए था। अगर परीक्षण को दरकिनार किया गया है तो यह गलत है। मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।

नगर आयुक्त विजय जोगदंडे ने बताया कि मुझे अभी शिकायत नहीं मिली है। अनियमितता की शिकायत है तो इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। जो दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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