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RBI रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, 2021-22 के लिए GDP ग्रोथ रेट 10.5% रहने का अनुमान

.लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं…

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 5th, Feb. 2021.Fri, 12:45 PM (IST) : ( Article ) Sampada Kerni ,Siddharth & Kapish Sharmaमुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4 प्रतिशत पर अभी भी बरकरार है। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद आरबीआई ने शुक्रवार को ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। साथ ही MSF और बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पहले की तरह ही 4.25% है। RBI ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए GDP ग्रोथ रेट 10.5% रहने का अनुमान जताया है। जबकि, आर्थिक सर्वे में इसे 11% रहने का अनुमान जताया गया था। वहीं इस वित्त वर्ष GDP में 7.7% गिरावट का अनुमान जताया गया है। उन्होंने कहा कि 2020 में हमारे सामर्थ्य की परीक्षा हुई और 2021 में नए आर्थिक युग का निर्माण हो रहा है। MPC बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। यह लगातार चौथा मौका है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35% पर ही रखा गया है। साथ ही MSF और बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पहले की तरह ही 4.25% है।

अगले साल जीडीपी में 10.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान

दास ने कहा कि इकॉनमी में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है, स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि को लेकर परिदृश्य सकारात्मक हुआ है। रिकवरी के संकेत मजबूत हुए हैं। महंगाई 4 फीसदी के संतोषजनक दायरे में आ गई है और अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’ उन्होंने कहा कि समय की मांग अभी ग्रोथ को सपोर्ट करने की है। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कैपिसिटी यूटिलाइजेशन सुधरा है और यह इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 63.3% रहा जो Q1 में केवल 47.3% था। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी और तेज हुई है।

क्या होता है रेपो रेट

बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।

रिवर्स रेपो रेट यह रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। जब भी बाज़ारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।

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