देहरादून: उत्तराखंड में बीते 48 घंटे से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। पौड़ी से पिथौरागढ़ और देहरादून से ऊधमसिंह नगर तक मौसम के तेवर तल्ख हैं। भूस्खलन से पहाड़ की लाइफ लाइन कही जाने वाली सड़कों पर आवाजाही बहाल नहीं हो पा रही है। नदियों के वेग से आम आदमी सहमा हुआ है। गंगा और यमुना के सहायक नदियां भी उफान पर हैं। यमुना की सहायक नदी टौंस खतरे के निशान को पार कर चुकी है। इससे देहरादून जिले के त्यूणी कस्बे के लिए खतरा पैदा हो गया है। रुद्रप्रयाग में केदारनाथ हाईवे फाटा, रामपुर, बांसवाडा समेत कई स्थानों पर मलबा आने से बंद हो गया है। पौड़ी जिले के कोटद्वार में रात में खो नदी में आये उफान में सिद्धबली मंदिर के समीप जल संस्थान के पंप हाउस का एक हिस्सा बह गया।
ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा चेतावनी रेखा के पास बह रही है। उधर, कुमाऊं में गोरी, कारी, सरयू व शारदा का जलस्तर बढ़ा हुआ है। हालांकि ये खतरे के निशान से दूर हैं। नदियों के किनारे की बस्तियों में रहने वालों को सतर्क किया जा रहा है। शासन ने पुलिस और प्रशासन के साथ ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व आपदा प्रबंधन से जुड़े महकमों को अलर्ट पर रखा है। शासन हालात पर नजर रखे हुए है।
गरुड़चट्टी पुल मंदाकिनी में डूबा
रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। कभी केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव रहा गरुड़चट्टी को जोड़ने वाला पुल नदी में डूब गया है। यह पुल गुरुड़चट्टी को केदारनाथ से जोड़ता है। वर्ष 2013 की आपदा से पहले यात्री इसी रास्ते आवाजाही करते थे, लेकिन आपदा के बाद पैदल मार्ग बदल दिया गया। हालांकि रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी का जल स्तर खतरे के निशान से चार मीटर नीचे है। फिलहाल इस पुल से आवाजाही रोक दी गई है। केदारनाथ चौकी प्रभारी बिपिन चन्द्र पाठक ने बताया कि बारिश के साथ ही केदारनाथ में कोहरा लगा हुआ है।
उत्तरकाशी में दो परिवारों को बचाया
उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लाक के सांद्रा गांव के पास नदी में आए उफान के कारण दो परिवार अपने घरों में ही फंस गए। ये दोनों मकान नदी के दूसरी ओर हैं। नदी के बहाव के कारण लगातार भूस्खलन से इनके मकान खतरे की जद में हैं। प्रशासन ने पांच घंटे की मशक्कत के बाद दोनों परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया है। इसके अलावा मोरी निकट नौगांव कस्बे में पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से पांच बाइक क्षतिग्रस्त हो गईं।
150 से ज्यादा सड़कें बंद
मौसम का सर्वाधिक असर सड़कों पर पड़ रहा है। मलबा आने से पिथौरागढ़, पौड़ी, देहरादून समेत ज्यादातर जिलों में संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हैं। उत्तराखंड में 153 सड़कों पर आवागमन बाधित है। छोटे कस्बों और गांवों तक आवश्वयक वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। चार धाम मार्गों के हाल भी अलग नहीं हैं। उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे पर यातायात थमा हुआ है, वहीं बदरीनाथ व केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी दिन में कई बार अवरुद्ध होते रहे।
अगले 48 घंटे भी भारी
उत्तराखंड पर अगले 48 घंटे भारी गुजरेंगे। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार फिलहाल मौसम अभी और परीक्षा लेगा। उन्होंने बताया कि अगले दो दिन उत्तरकाशी, देहरादून, टिहरी, हरिद्वार, पौड़ी और नैनीताल जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका है।
हरिद्वार में गंगा का जलस्तर बना हुआ है स्थिर
हरिद्वार में रात भर रुक रुककर बारिश होती रही। इसके चलते गंगा का जलस्तर स्थिर बना हुआ है। आज सुबह 6:00 बजे गंगा का जलस्तर 292.80 मीटर पर था, जबकि रात 12:00 बजे भी यही स्थिति थी। चेतावनी का निशान 293 मीटर पर है, जबकि खतरे का निशान 294 मीटर पर। प्रशासन हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है।
24 घंटे में सर्वाधिक बारिश
मसूरी-137.5
देहरादून-123.2
हरिद्वार-118.3
उत्तरकाशी-83.60
टिहरी-82.6
पंतनगर-71.8