श्रीनगर गढ़वाल: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड श्रीनगर के शैक्षणिक कार्यों को सुचारु रूप से पुन: शुरू करवाने की कोशिशों के लिए एनआइटी प्रशासन सक्रिय हो गया है। एनआइटी के प्रभारी निदेशक के साथ ही डीन एकेडमिक, कुलसचिव, डीएसडब्ल्यू और विभागाध्यक्षों की ओर से बिना बताए घर चले गए छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से ई मेल से पुन: अपील करते हुए छात्रों को वापस संस्थान भेजने की अपील की गयी।
पिछले लगभग एक महीने से एनआइटी में शैक्षणिक कार्य ठप रहने और संस्थान के आंदोलित छात्र-छात्राओं के इस आंदोलन के कारण अपनी मिड टर्म टू परीक्षा भी नहीं देने के संदर्भ को लेकर अब एनआइटी सीनेट से गाइड लाइन लेने की पहल की गयी है।
इसके लिए एनआइटी के प्रभारी निदेशक डॉ. आरबी पटेल ने सभी विभागाध्यक्षों से बैठक कर अपनी-अपनी फैकल्टी बोर्ड से प्रस्ताव पारित कर सीनेट की बैठक बुलाने का अनुरोध डीन फैकल्टी से करने को कहा है। सीनेट की बैठक बुलाने को लेकर डीन एकेडमिक ने ही विधिवत अनुरोध किया जा सकता है।
एनआइटी सीनेट के अध्यक्ष निदेशक और सचिव कुलसचिव हैं। सीनेट में कुल 11 सदस्य होते हैं जिसमें तीन एनआइटी संस्थान से शेष आइआइटी रुड़की, एनआइटी जयपुर और अन्य उच्च तकनीकी संस्थानों से हैं। जानकारी के अनुसार सीनेट से स्वीकृति मिलने पर मिड टर्म टू परीक्षा दूसरी बार आयोजित हो सकती है। यदि सीनेट ने इसे स्वीकृति नहीं दी तो इससे छात्रों के ओवर आल ग्रेड पर फर्क पड़ेगा।
एनआइटी के स्थायी परिसर का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने तब तक अस्थायी परिसर को भी श्रीनगर से हटाने की प्रमुख मांग को लेकर बीते चार अक्टूबर से आंदोलित छात्र-छात्राएं बीते 23 अक्टूबर को बिना बताए अचानक संस्थान छोड़कर वापस अपने-अपने घरों को चले गए थे। तभी से एनआइटी के कुलसचिव कर्नल सुखपाल सिंह, प्रभारी निदेशक डा. आरबी पटेल के साथ ही डीएसडब्ल्यू और संबंधित संकाय अध्यक्ष लगातार छात्रों को ई मेल से संपर्क कर उनसे वापस संस्थान आकर शिक्षण कार्य शुरू करने का अनुरोध किया जा रहा है।
छात्र अभी मांगें पूर्ण हुए बिना वापस आने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। शुक्रवार को भी प्रभारी निदेशक डॉ. पटेल को छात्रों की ओर से मिले 25 ई मेल संदेशों में छात्रों ने कहा है कि मांग पूर्ण होने पर ही वह वापस लौटेंगे। अन्य संकाय अध्यक्षों, विभागाध्यक्षों की मेल पर भी छात्रों के ऐसे ही संदेश आए हैं।
अपनी मिड टर्म परीक्षा टू नहीं देने के साथ ही बीते लगभग एक महीने से शिक्षण कार्य ठप रहने और अब छात्रों द्वारा संस्थान छोड़ दिए जाने से सेमेस्टर पर भी प्रभाव पड़ता दिख रहा है। एनआइटी फैकल्टियों का मानना है कि शिक्षण कार्य शीघ्र शुरू हो जाने पर सर्दियों की छुट्टियों के साथ ही अन्य अवकाशों में भी कटौती कर सेशन को समय पर लाया जा सकता है।
दूसरी ओर एम्स ऋषिकेश में भर्ती घायल एनआइटी छात्रा नीलम मीणा की देखरेख और सहायता के लिए प्रभारी निदेशक डॉ. आरबी पटेल द्वारा इलेक्ट्रानिक्स विभाग से एक महिला फैकल्टी सरिता यादव और नर्स संगीता बासु की ड्यूटी एम्स ऋषिकेश में लगायी है। स्वयं डा. पटेल भी दो दिनों तक एम्स ऋषिकेश में उसकी देखरेख में रहे। अन्य फैकल्टियां भी समय-समय पर वहां देखरेख के लिए जाती हैं।
जलेथा में 112 एकड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति का इंतजार
श्रीनगर से लगभग 25 किमी दूर जलेथा टॉप में 112 एकड़ भूमि जिला प्रशासन पौड़ी ने एनआइटी के स्थायी परिसर के लिए चिह्नित की गयी है। भूमि के इस प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए डीएम पौड़ी सुशील कुमार ने लगभग एक महीने पहले स्वीकृति के लिए प्रदेश के राजस्व विभाग देहरादून को भेजा है। यह भूमि एनआइटी के नाम हस्तातरित होनी है, जिसमें 47 एकड़ ग्रामीणों की नाप भूमि है शेष 65 एकड़ राजस्व भूमि है।