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एनएच मुआवजा घोटालाः एसआइटी कर रही किसानों की गिरफ्तारी की तैयारी

देहरादून: एनएच 74 मुआवजा घोटाले में एसआइटी अब किसानों की गिरफ्तारी शुरू करने की तैयारी कर रही है। जांच के दायरे में आए करोड़ों का मुआवजा लेने वाले 40 से अधिक किसान इस जद में आ सकते हैं। एसआइटी ने काशीपुर, जसपुर, बाजपुर के ऐसे किसानों की रिपोर्ट संबंधित थाना और चौकी पुलिस को सौंप दी है।

उधमसिंह नगर-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-74) निर्माण के दौरान उधमसिंह नगर जिले के जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा और सितारगंज के दर्जनों किसानों की भूमि जद में आई थी। आरोप है कि तब कई किसानों ने अधिकारियों की मिलीभगत से कृषि भूमि को बैक डेट पर अकृषि दर्शाकर करोड़ों का मुआवजा ले लिया था।

एसआइटी की जांच के बाद इस सिलसिले में पांच पीसीएस अधिकारी, कर्मचारी, किसान और बिल्डर्स समेत 22 आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस पर किसानों ने लिया गया अतिरिक्त मुआवजा वापस करने की पेशकश की तो एसबीआइ में खाता खोला गया।

इसमें कुछ किसान राशि जमा भी कर चुके हैं, जबकि 40 ऐसे किसान हैं, जिन्होंने करोड़ों का अतिरिक्त मुआवजा लिया है। एसआइटी इन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक इन किसानों को चिह्नित कर लिया गया है। गिरफ्तारी के लिए काशीपुर, जसपुर और बाजपुर के थाना पुलिस को रिपोर्ट भेज दी गई है।

बुजुर्ग और महिला किसानों का ध्यान

एसआइटी सूत्रों के मुताबिक जांच के दायरे में 50 किसान आए थे। इसमें से कुछ बुजुर्ग और महिला किसान भी थे। इनकी गिरफ्तारी में एसआइटी के समक्ष परेशानी आ रही थी। इसे देखते एसआइटी ने बुजुर्ग और महिला किसानों को चिह्नित करना शुरू कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक ऐसे बुजुर्ग और महिला किसानों को छोड़कर अब करीब 40 किसानों की गिरफ्तारी होगी।

आइएएस के खिलाफ भेजी दूसरी रिपोर्ट

एसआइटी ने आइएस डॉ. पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव के खिलाफ दूसरी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। बीते 11 सितंबर को शासन ने एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर दोनों आइएएस अफसरों को निलंबित कर दिया था। इस बीच एसआइटी दोनों आइएएस अफसरों के खिलाफ और साक्ष्य जुटाने में जुट गई थी।

इसके लिए डीएम कार्यालय में तैनात रहे तत्कालीन पेशकार से जहां तीन बार पूछताछ की गई, वहीं आर्बिट्रेशन के मामलों में पैरवी करने वाले चार-पांच अधिवक्ताओं से भी एसआइटी ने पूछताछ की थी।

कांग्रेस हर जांच को तैयार: इंदिरा

नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली) चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले में जो भी आता है, उसकी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस हर जांच के लिए तैयार है। उन्होंने जोड़ा कि सरकार सीबीआइ जांच से न घबराए और इसकी जांच कराए।

एनएच 74 मुआवजा घोटाले को लेकर सियासत लगातार गरमा रही है। अब इसमें भाजपा व कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। भाजपा ने जहां इस मामले में संलिप्त कांग्रेस नेताओं की जांच की बात कही है, वहीं कांग्रेस भी भाजपा में शामिल नेताओं की जांच की बात कर रही है।

गौरतलब है कि एनएच 74 घोटाले का मसला विधानसभा चुनावों में भी गूंजा था। इसके बाद एसआइटी ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से भी मामले में पूछताछ की थी। हाल ही में सरकार द्वारा दो आइएएस अधिकारियों को निलंबित करने के बाद इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी फिर से तेज हो गई है।

भाजपा इसे सरकार की उपलब्धि बताने की साथ ही कांग्रेस को इस मामले में निशाने पर ले रही है। इस मामले में कुछ नेताओं के नाम सामने आने की बात कहते हुए कांग्रेस व भाजपा दोनों ही इसमें जांच की बात कह रहे हैं।

देहरादून में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में नेता प्रतिपक्ष ने इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा कि प्रदेश में सरकार भाजपा की है। सरकार चाहे तो किसी की भी जांच कर सकती है। इस घोटाले में जो कोई भी आता है, उसकी जांच होनी चाहिए। भाजपा नाम सामने लाए। हालांकि, भाजपा इस मामले में सीबीआइ जांच से बच रही है।

एनएचएआइ अफसरों को बचा रही सरकार : रावत

सरकार एनएच घोटाले की जांच से एनएचएआइ के अफसरों को बचा रही है। निष्पक्ष जांच के लिए एनएचएआइ को भी दायरे में लाना होगा। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रुद्रपुर में पत्रकार वार्ता में कही।

रविवार को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक रात बेहड़ के आवास पर पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि एनएच-74 घोटाले की जांच में अब तक जितने भी छोटे-बड़े लोग सामने आए हैं, उनका कहीं न कहीं से बीजेपी कनेक्शन है। दो सिरे से जांच हो रही है तो एनएचएआइ अफसरों पर भी आंच आनी चाहिए। जब तक उनकी जांच नहीं होगी, प्रक्रिया को अधूरा माना जाएगा।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कांग्रेसियों पर आरोप लगा जिस प्रकार उनके खाते की जांच की बात कर रही है, उसी प्रकार बीजेपी सहित राजनीतिक दलों के खाते की जांच भी हो।

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