ऋषिकेश: बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम अब पहाड़ों में भी नजर आएगा। परियोजना के द्वितीय चरण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिलने और भूमि हस्तांतरण के बाद आरवीएनएल (रेल विकास निगम लि.) ने कार्यों को गति देनी शुरू कर दी है। जल्द ही ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल टनल, पुल और स्टेशन निर्माण का कार्य धरातल पर दिखाई देने लगेगा।
पहाड़ पर रेलगाड़ी दौड़ाने की यह स्वप्निल परियोजना धीरे-धीरे आकार लेने लगी है। आरवीएनएल ने इसके लिए दो चरणों में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी।
पहले चरण में देहरादून वन प्रभाग व दूसरे चरण में ऋषिकेश से आगे टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों से संबंधित वन प्रभागों के क्षेत्रों में वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति शामिल थी। देहरादून वन प्रभाग में तो करीब दो वर्ष पूर्व ही भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी और रेल विकास निगम ने यहां काम भी शुरू कर दिया था।
ऋषिकेश में परियोजना के पहले न्यू ऋषिकेश स्टेशन सहित श्यामपुर बाईपास मार्ग पर रोड अंडर ब्रिज, देहरादून मार्ग पर रोड ओवर ब्रिज व चंद्रभागा नदी पर स्टील गार्डर ब्रिज भी आकार लेने लगा है। आरवीएनएल के परियोजना निदेशक ओपी मालगुड़ी ने बताया कि ऋषिकेश से आगे के कार्यों के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय बीती 20 फरवरी को हरी झंडी दे चुका है।
निगम को कुल 500.5996 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित कर दी गई है। इसमें 173.0313 हेक्टेयर भूमि धरातल पर और 327.5683 हेक्टेयर भूमि भूमिगत शामिल है। स्वीकृति के बाद आगे के कुछ कार्यों के लिए टेंडरिंग की प्रक्रिया पूर्ण भी हो चुकी है।
पहले बनेंगी एप्रोच और एडिट रोड
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कुल 18 टनल (सुरंग) बनेंगी। मगर, सुरंगों के निर्माण से पूर्व उनके इनलेट और आउटलेट तक पहुंचने के लिए एप्रोच रोड बनाई जानी हैं। इसके लिए आरवीएनएल ने टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कर ली है।
वहीं, बड़ी सुरंगों का काम जल्द से जल्द पूरा हो, इसके लिए बीच-बीच में भी सुरंग खोदने का काम किया जाएगा। ऐसे स्थानों तक पहुंचने के लिए एडिट रोड बनाई जा रही हैं। इसके लिए भी निगम जल्द निविदाएं जारी करेगा। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर बनने वाली 18 सुरंगों के निर्माण कार्य को नौ पैकेज में विभाजित किया गया है।
इसके अलावा सुरंगों के मुहाने तक विद्युत लाइन बिछाने के लिए भी उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन को धन आवंटित कर दिया गया है। एप्रोच व एडिट रोड के अलावा पावर सप्लाई का काम पूरा होने के साथ ही सुरंगों की खुदाई का काम भी शुरू किया जाएगा।
कार्यों में आएगी तेजी
रेल विकास निगम के परियोजना निदेशक ओपी मालगुड़ी के मुताबिक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से द्वितीय चरण की स्वीकृति मिलने के बाद आगे होने वाले कार्यों में तेजी आ जाएगी। फिलहाल हमें टनल तक पहुंचने के लिए एप्रोच और एडिट रोड की जरूरत है, जिन पर जल्द काम शुरू हो जाएगा। अन्य कार्यों के लिए भी शीघ्र टेंडर निकाले जाएंगे।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर एक नजर
-कुल लागत 16216.31 करोड़ रुपये।
-रेल लाइन की कुल लंबाई 126 किमी।
-रेल लाइन पर कुल 18 सुरंगें व 16 पुल होंगे
-सबसे बड़ी सुरंग सवा 15 किमी लंबी, जबकि सबसे छोटी सुरंग 220 मीटर लंबी होगी।
-छह किमी से अधिक लंबी सुरंग पर एक निकासी टनल भी बनाई जाएगी।
-प्रत्येक सुरंग की चौड़ाई आठ गुणा दस डाईमीटर होगी।
-सुरंगों के भीतर लाइट व वेंटिलेशन की भी पूरी व्यवस्था होगी।
-रेल लाइन का मात्र 26 किमी हिस्सा ही बाहर होगा, शेष 105 किमी रेल लाइन सुरंगों से गुजरेगी।
-ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल 16 रेलवे स्टेशन होंगे।
-रेल परियोजना के तैयार होने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचने में करीब ढाई घंटे का वक्त लगेगा।