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इनमें 450 पद सामान्य वर्ग के लिए होंगे। 72 अनुसूचित जाति, 90 अनुसूचित जनजाति, 36 सोशल कास्ट, 36 अंतरराष्ट्रीय सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा, 90 आर.बी.ए, 90 आर्थिक रूप पिछड़े उम्मीदवारों के लिए : 12 Jun2020: young organiser

J&Kलोक सेवा आयोग को मेडिकल ऑफिसर्स के 900 पद रेफर

www.youngorganiser.com

Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 12th June 2020.

 Fri, 04:07 PM (IST) : Team Work:: Siddharth, Kapish & Sampada kerni

जम्मू- स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अनुसार विभाग ने जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग को मेडिकल ऑफिसर्स के 900 पद रेफर किए हैं। इनमें 450 पद सामान्य वर्ग के लिए होंगे। 72 अनुसूचित जाति, 90 अनुसूचित जनजाति, 36 सोशल कास्ट, 36 अंतरराष्ट्रीय सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा, 90 आर.बी.ए, 90 आर्थिक रूप पिछड़े उम्मीदवारों के लिए होंगी। इसके अलावा 36 अन्य पद अन्य वर्गो के लिए होंगे। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद मेडिकल ऑफिसर्स के लिए पहली बार पद रेफर हुए हैं। इसमें एक शर्त यह है कि अगर किसी उम्मीदवार का चयन होता है तो वह उच्च शिक्षा को आगे जारी नहीं रख सकता है।अगर चयनित उम्मीदवार पीजी कर रहा है या फिर डिमान्स्ट्रेटर है और रजिस्ट्राशिप कर रहा है तो उसे वे छोड़नी होगी। चयनित उम्मीदवार को दो में से एक विकल्प चुनना होगा। इसमें एक शर्त यह भी है कि चुने हुए उम्मीदवारों को दूरदराज के क्षेत्रों में ही नौकरी करनी होगी। यह पद बहुत जल्दी अधिसूचित होने जा रहे हैं। डॉक्टर्स एसोसिएशन जम्मू के प्रधान डॉ. बल¨वद्र सिंह का कहना है कि सरकार को नियुक्तियों में ऐसी शर्त नहीं थोपी चाहिए जिसमें युवाओं के भविष्य पर असर पड़ सकता हो।पहले के 50 पदों पर भी होगी नियुक्तियांः जम्मू-कश्मीर में एसआरओ 202 के तहत चयन प्रक्रिया के बावजूद 50 पद खाली हैं। पद भरने के लिए लोक सेवा आयोग से कहा है। यह वह पद थे जो 27 सितंबर 2018 को अधिसूचित किए थे। एक हजार मेडिकल आफिसर्स के पदों के लिए चयन प्रक्रिया हुई थी।पहले हुई था 921 डॉक्टरों का चयनः जम्मू-कश्मीर में डेढ़ साल पहले लोक सेवा आयोग ने 14 जनवरी 2019 को एसआरओ 202 के तहत रिकॉर्ड तीन महीने में 921 मेडिकल ऑफिसर्स का चयन किया था। यह पहली बार था कि चयन के लिए इंटरव्यू भी नहीं हुए और लिखित परीक्षा के आधार पर ही सभी को नियुक्ति आदेश जारी कर दिए। चयनित हुए डॉक्टरों को दूरदराज के अस्पतालों में रिक्त पदों में भेजा। परंतु बहुत कम डॉक्टरों ने ज्वाइन किया। 70 फीसद डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया और नौकरी छोड़ दी। एसआरओ 202 के तहत डॉक्टरों की नियुक्तियों में पांच साल तक निर्धारित वेतन पर काम करना पड़ता है। यही नहीं पांच साल तक उनका तबादला भी नहीं होगा। पांच साल तक चयनित डाक्टर उच्च शिक्षा के लिए भी नहीं जा सकते हैं। पांच साल के बाद ही उनकी नियुक्ति को स्थायी किया जाएगा।करीब डेढ़ साल पहले विवादों में रहे सर्विस रूल्स आर्डिनेंस (एसआरओ) 202 के बाद स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में फिर से मेडिकल ऑफिसर्स की चयन प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इस बार शर्तो में बदलाव लग रहा, लेकिन अभी भी कुछ ऐसी शर्तें रखी जा रही हैं जिनका विरोध हो सकता है। इसमें उम्मीदवारों को दो विकल्प दिए जाएंगे। चयन के बाद वे मेडिकल ऑफिसर की नौकरी करें या फिर उच्च शिक्षा हासिल करें।

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