देहरादून: एसआइटी जांच में एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में लिप्तता को लेकर वरिष्ठ नौकरशाह के खिलाफ विभागीय जांच के रूप में शिकंजा कसने के संकेत हैं। राज्य सरकार ने उक्त नौकरशाह के खिलाफ विभागीय जांच के लिए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पत्र लिखा है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में विजिलेंस और न्याय महकमे के आला अधिकारियों की बैठक में भी इस मसले पर चर्चा हुई। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि एसआइटी जांच रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर जल्द ही सख्त वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है। ऐसे मामलों में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
ऊधमसिंह नगर जिले में एनएच-74 मुआवजा घोटाले में जिले के तत्कालीन आला नौकरशाह का नाम आने से नौकरशाही में हड़कंप मचा हुआ है। एसआइटी जांच में सामने आए तथ्यों के बाद सरकार भी एक्शन मोड में है। चूंकि मामला आला नौकरशाह से जुड़ा हुआ है, इस वजह से बेहद सावधानी भी बरती जा रही है। साथ ही डीओपीटी को भी पत्र भेजकर आगे की कार्यवाही की अनुमति मांगी गई है।
उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो डीओपीटी से भी आगे की कार्यवाही के लिए अनुमति मिल चुकी है। वहीं मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मंगलवार को सचिवालय में प्रमुख सचिव न्याय मीना तिवारी, अपर पुलिस महानिदेशक विजिलेंस राम सिंह मीणा और विजिलेंस के एसएसपी सेंथिल अबुदेई कृष्णराज के साथ बैठक की।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में एसआइटी रिपोर्ट पर गहन चर्चा हुई। संपर्क करने पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि एसआइटी की रिपोर्ट शासन को मिल चुकी है। इसका अध्ययन किया जा रहा है। इस मामले में रिपोर्ट से मिले तथ्यों के आधार पर जल्द ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी भ्रष्टाचार के मामले में सख्ती बरतने के अपने स्टैंड पर सख्ती से कायम रहने की बात कही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में लिप्तता पर किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। गौरतलब है कि मुआवजा घपले में अब तक आठ पीसीएस अधिकारी नप चुके हैं। इस घपले में आला नौकरशाह की लिप्तता का यह पहला मामला है।