………..प्रोत्साहन पैकेज पर अभी फैसला नहीं कोविड की दूसरी लहर के आर्थिक असर का हो रहा आकलन राज्यों के साथ चल रही बातचीत………..
www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 30th May. 2021, Sun. 00: 16 AM (IST) : टीम डिजिटल: Agency , Arun Gavaskar, Gurmeet Kour : नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के साथ महामारी की स्थिति बिगड़ने के साथ ही कम राजस्व संग्रह के बीच पिछले वित्त वर्ष के लिए अपनाया गया जीएसटी मुआवजा उपकर बंटवारा फॉर्मूला चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहेगा। सरल शब्दों में कहें तो राज्यों की जीएसटी राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र सरकार पिछले साल की तरह ही इस साल भी कर्ज उठाएगी और उसे राज्यों को जारी करेगी। इस साल यह राशि 1.58 लाख करोड़ रुपये होगी। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र 1.58 लाख करोड़ रुपये उधार लेकर राज्यों को प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर जैसे संग्रह, वितरण और समय सीमा के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। सीतारमण ने कहा, चूंकि हम 14 प्रतिशत मुआवजे की संरक्षित राजस्व व्यवस्था के 5 वर्षों के अंत में हैं, मैंने सदस्यों को आश्वासन दिया है कि हम जीएसटी परिषद का एक विशेष सत्र आयोजित करेंगे। उन्होंने बताया कि यह विशेष रूप से एकल-बिंदु एजेंडे पर आधारित होगा कि मुआवजा उपकर कैसे है एकत्र किया जा सकता है। पिछले साल 5 अक्टूबर को जीएसटी परिषद ने मुआवजा उपकर की लेवी को पांच साल की संक्रमण अवधि से आगे बढ़ाने का फैसला किया था, जो कि राजस्व अंतर को पूरा करने के लिए आवश्यक हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए अभी अगले प्रोत्साहन पैकेज पर कोई फैसला नहीं हुआ है। हाल ही में लगाए गए लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों के प्रतिकूल आर्थिक असर का आंकलन किया जा रहा है। इसको लेकर राज्यों सरकारों से भी बातचीत चल रही है। यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही है। इंडस्ट्री-राज्यों से हो रहा परामर्श : जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने 1 फरवरी को बजट की घोषणा की थी। अभी हम मई में हैं। हमारे पास आगे बढ़ने के लिए पूरा साल पड़ा है। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर आ गई। हालांकि, इस दौरान पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाया गया। केवल राज्यों ने लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगाए। अब हम इनपुट ले रहे हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि कहां प्रभाव पड़ा है और कितना पड़ा है? परामर्श की प्रक्रिया चल रही है। राज्यों और इंडस्ट्री के साथ परामर्श हो रहा है। कोविड के कारण प्रभावित हुई है अर्थव्यवस्था : वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कोविड की दूसरी लहर के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे संकट से गुजर रही है। कोविड का प्रसार रोकने के लिए कई राज्यों में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। जानकारों का कहना है कि एक और प्रोत्साहन पैकेज अर्थव्यवस्था में जान फूंक सकता है। इससे पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि वित्त मंत्रालय 2020 की तरह एक और प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक कमजोर हुआ : रॉयटर्स के एक ताजा पोल के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक एक बार फिर कमजोर दिख रहा है। पोल में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में भारत में नौकरियों का संकट और गहरा हो सकता है। हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों से आर्थिक गतिविधियों में रुकावट पैदा हुआ है। इससे लाखों लोगों को काम से दूर होने पड़ा है। रॉयटर्स के पोल में वार्षिक आधार पर चालू तिमाही में 21.6% की गिरावट रहने का अनुमान जताया गया है। टूरिज्म और एविएशन सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न राज्यों ने लॉकडाउन और आंशिक कर्फ्यू जैसे उपाय अपनाए हैं। इस कारण लोगों के आवागमन पर प्रतिबंध लग गया है। इसका सबसे ज्यादा असर टूरिज्म, एविएशन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर पड़ा है। 2020 में लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन से भी यह सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने ग्रोथ का अनुमान भी घटाया : कोरोना की दूसरी लहर के कारण 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष के लिए अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने ग्रोथ का अनुमान भी घटा दिया है। बेरोजगारी दर बढ़ने और बचत कम होने के कारण डबल डिजिट ग्रोथ की संभावना कम ही दिख रही है। हालांकि, इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने चालू वित्त वर्ष में 12.5% ग्रोथ का अनुमान जताया है। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ग्रोथ रेट 10.5% रहने का अनुमान जताया है। पिछले साल घोषित किया था 20.97 लाख करोड़ रुपए का पैकेज : केंद्र सरकार ने कोविड के प्रतिकूल आर्थिक असर से निपटने के लिए पिछले साल मई में 20.97 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। 5 चरणों में की गई इस घोषणा में लगभग सभी सेक्टर्स को राहत दी गई थी। इसके अलावा आरबीआई ने भी कारोबारों को राहत देने के लिए लोन मोरेटोरियम, लोन री-स्ट्रक्चरिंग, कुछ सेक्टर्स को लोन के लिए फंड का आवंटन जैसी घोषणाएं की थीं। अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए पिछले साल दिवाली से पहले भी केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए कई घोषणाएं की थीं। Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें। हर पल अपडेट रहने के लिए YO APP डाउनलोड करें Or. www.youngorganiser.com। ANDROID लिंक और iOS लिंक।