देहरादून: सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ पर सेना ने महिंद्रा ग्राउंड में सैन्य हथियारों की लगाई प्रदर्शनी। कैंट क्षेत्र के स्कूली छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शनी का लुत्फ उठाया। प्रदर्शनी बम लॉन्चर, मशीन गन, लेजर आदि कई आधुनिक मशीनें रखी गई है। इस दौरान छात्र-छात्राएं सेना हथियारों के बारे में जानकारी ले रहे हैं।
प्रदर्शनी में पहली बार रशियन, स्वीटजरलैंड फ्रांस और भारत के बने हथियार भी रखे गए हैं। प्रदर्शनी में सेना परिवारों के अलावा गढ़ी कैंट और राजधानी से आने वाले लोग हथियारों के बारे में जानकारी ली।
सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र आते ही जगता है देशभक्ति का जज्बा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सर्जिकल स्ट्राइक दिवस पर जारी अपने संदेश में कहा कि यह दिन हिंदुस्तान के इतिहास में एक खास दिन है। जब हमारे जवान पीओके में घुसे और आतंकियों को उन्हीं के घर में घुसकर तबाह कर लौटे। आतंकियों के आका व पाकिस्तानी सैनिकों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इस तरह की यह पहली सर्जिकल स्ट्राइक थी। खास बात यह कि इस अभियान में हमारे किसी भी जवान को एक खरोंच तक नहीं आई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिन को याद कर हर भारतीय का सीना गर्व से फूलता है। जैसे ही सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र आता है, देशवासियों के दिल में देशभक्ति का जज्बा और वीर जवानों के प्रति सम्मान उमड़ पड़ता है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे सुरक्षाबलों के वीर जवान अपनी जान की परवाह किए बगैर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तत्पर हैं। हमारे सैनिक कश्मीर घाटी में लगातार आतंकियों का सफाया कर रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से 400 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया गया है। 2017 में सेना ने ऑपरेशन ऑलआउट में 213 से ज्यादा आतंकी मारे। 2018 में भी अब तक 150 से ज्यादा आतंकी मार गिराए हैं। आज कोई भारत की तरफ आंख उठाकर देखने का दुस्साहस नहीं कर रहा। यह हमारे वीर जवानों की जांबाजी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तान की ताकत का असर है।
वर्षों बाद मिलकर भावुक हो उठे रिटायर सैन्य अधिकारी
नेशनल डिफेंस ऐकेडमी (एनडीए) से वर्ष 1963 में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर पासआउट हुए कैडेट (अब रिटायर सैन्य अधिकारी) वर्षों बाद फिर एक मंच पर जुटे। मौका था दून में आयोजित सैनिक पुनर्मिलन समारोह का। कई साल बाद खुद को पुराने साथियों के बीच देख सेना के ये जांबाज अफसर बीते दिनों को याद कर कभी भावुक हुए और खुशी के साथ साथियों को गले लगाया। इन रिटायर सैन्य अधिकारियों ने भारतीय सैन्य अकादमी, वन अनुसंधान संस्थान समेत दून के अन्य पर्यटक स्थलों का भ्रमण कर प्रकृति की छटा को भी नजदीक से देखा। पुनर्मिलन समारोह का आयोजन दून में रह रहे इस बैच अधिकारियों ने आपसी समन्वय से किया है।
लंबी सैन्य सेवा के दौरान इस बैच के कई कैडेट थलसेना, नौसेना व वायुसेना के ऊंचे ओहदे तक भी पहुंचे हैं। सैन्य प्रशिक्षण पूरा करने के तुरंत बाद इन कैडेटों ने वर्ष 1965 व 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में भी बखूबी मोर्चा संभालकर दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे। हालांकि बैच में शामिल रहे कई जवान अब इस दुनिया में नहीं रहे। लंबे अर्से बाद इस बैच में शामिल 35 जांबाज एक बार फिर मिले तो एक-दूजे से खुद को गलबहियां करने से रोक न सके। शाम को जीएमएस रोड स्थित एक होटल में आयोजित डिनर में इन्होंने अपने अनुभव साझा भी किए। रिटायर एयर मार्शन वीएम बाली, ब्रिगेडियर जगमोहन सिंह रावत, कर्नल पीएल पाराशर, कर्नल जीएम चीमा आदि पूर्व सैन्य अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।