देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कुछ डॉक्टर न केवल अस्पताल की साख पर, बल्कि सरकारी खजाने पर भी बट्टा लगा रहे हैं। अस्पताल में तमाम जांच उपलब्ध हैं, लेकिन वे मरीज को जांच के लिए बाहर भेज रहे हैं। हद ये कि अधिकारियों की कई बार की चेतावनी पर भी वह नहीं मान रहे।
पूर्व में सामने आए मामलों में किसी तरह की कोई कार्रवाई न होने के कारण डॉक्टर निरंकुश हो गए हैं। एक बार फिर ऐसा ही प्रकरण सामने आया। जिस पर मरीज ने प्रशासनिक भवन में हंगामा किया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब वह शांत हुआ।
त्यूणी निवासी विपिन जोशी ने अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग में एक सीनियर रेजिडेंट को दिखाया। चिकित्सक ने उनके पेट में पथरी होने की आशंका जाहिर करते हुए उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। साथ में एक निजी रेडियोलॉजी लैब की पर्ची भी थमा दी।
इस पर मरीज ने हंगामा शुरू कर दिया और चिकित्सा अधीक्षक से शिकायत की। मरीज का कहना था कि रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते अल्ट्रासाउंड की कई-कई दिन की वेटिंग चल रही है। जिसका फायदा उठा डॉक्टर निजी लैब की पर्ची थमा दे रहे हैं। यह साबित करता है कि उनका कमीशन तय है।
उनकी शिकायत पर चिकित्सा अधीक्षक संबंधित चिकित्सक के चैंबर में पहुंचे, पर वह नहीं मिले। डॉ. टम्टा का कहना है कि सभी चिकित्सकों को बाहर से जांच न लिखने की सख्त हिदायत दी गई है। ऐसे चिकित्सकों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी आया मामला
करीब बीस दिन पहले मेडिसन विभाग के एक चिकित्सक ने मरीज को बाहर से जांच लिखी थी। डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा गया पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि मामले की जांच मेडिसन विभाग के विभागाध्यक्ष को दी गई है। उन्हें अभी रिपोर्ट नहीं मिली है।
बीएमडी मशीन ठीक
हड्डियों में दर्द और कमजोरी की शिकायत लेकर दून अस्पताल आने वाले मरीजों को राहत मिल गई है। अस्पताल में लंबे समय से खराब पड़ी बीएमडी मशीन ठीक करा ली गई है। प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार भारती गुप्ता ने बताया कि मशीन खराब होने की वजह से मरीजों की जांच नहीं हो पा रही थी। अब मशीन को ठीक करा दिया गया है।
रेडियोलॉजिस्ट को लेकर राहत
रेडियोलॉजिस्ट की कमी से जूझ रहे दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कुछ हद तक राहत मिली है। रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज शर्मा का स्थानांतरण अब अस्पताल में ही कर दिया गया है। वह अभी तक अटैचमेंट पर थे। इसके अलावा एक अन्य रेडियोलॉजिस्ट ने भी ज्वाइन किया है।
पांच चिकित्सकों को एक्सटेंशन
अस्पताल के ब्लड बैंक में तैनात पांच डॉक्टरों को विभाग ने एक साल का एक्सटेंशन दे दिया है। प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता ने बताया कि इन पांच चिकित्सकों में डॉ. डीसी ध्यानी, जेएस नेगी, डॉ. वीएस पाल, डॉ. टीआर जोशी व डॉ. वीके भट्ट शामिल हैं।
धूल फांक रही मेमोग्राफी वैन
दून अस्पताल में पिछले करीब दो माह से खड़ी मेमोग्राफी वैन व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही है। मरीजों की जांच के बजाय यह खड़ी-खड़ी धूल खा रही है। बता दें कि हंस फाउंडेशन ने यह वैन दी है। जिसके माध्यम से जगह-जगह स्वास्थ्य शिविर आयोजित होने हैं। स्तन कैंसर की जांच में इससे मदद मिलेगी, पर विभाग दान का भी मान नहीं रख पा रहा।
ऐसे भला कैसे कहेंगे आयुष्मान भव
अटल आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत शहर के निजी अस्पताल गरीबों का मुफ्त उपचार मुहैया कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिले में करीब दो सौ से अधिक छोटे-बड़े अस्पताल हैं। पर अभी तक केवल 18 निजी अस्पताल ही योजना से जुड़े हैं। इनमें भी एकाध को छोड़ दें, तो शहर के प्रमुख अस्पताल योजना में शामिल नहीं हैं।
प्रथम चरण में जनपद देहरादून में योजना के लाभार्थी परिवारों की संख्या 71,306 है। जबकि प्रदेश में यह संख्या 5 लाख 37 हजार 652 है। अगले चरण में इसमें राज्य कर्मचारियों, अधिकारियों, पेंशनर व उनके आश्रितों को भी स्वास्थ्य सुरक्षा मिलनी है। योजना के तहत लगभग 22 लाख परिवारों को इससे आच्छादित किया जाना है।
योजना के तहत इन परिवार को 1350 प्रकार की बीमारियों का मुफ्त उपचार मिलेगा। इलाज की दर निर्धारित है और इसके लिए पैकेज तैयार किए गए हैं। योजना में शामिल सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में लाभार्थियों को कैशलेस उपचार मिलेगा। इसके लिए निजी अस्पतालों से अनुबंध होना है, पर अब भी बहुत ज्यादा अस्पताल इस योजना से नहीं जुड़ पाए हैं।
एकाध बड़े अस्पतालों को छोड़, बाकि प्रमुख अस्पताल योजना से दूरी बनाए हुए हैं। योजना की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सरोज नैथानी का कहना है कि शहर के अधिकतर बड़े अस्पतालों ने अभी तक के सभी प्रशिक्षण सत्र में हिस्सा लिया है। यह अलग बात है कि वह अभी योजना में शामिल नहीं हुए हैं। पर ऐसा नहीं है कि उनकी इसे लेकर रुचि नहीं है। यह मसला प्रक्रियागत है और जल्द कई प्रमुख अस्पताल पैनल में जुड़ जाएंगे।
योजना के क्रियान्वयन में दिक्कत निजी अस्पतालों की बात छोड़िए, सरकारी अस्पताल भी योजना के क्रियान्वयन को लेकर ऊहापोह की स्थिति में हैं। कोई स्पष्ट निर्देश न होने के कारण इसमें अड़चन आ रही है।
अब दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल का ही उदाहरण लीजिए। अधिकारी दिनभर इसे लेकर मंथन करते रहे। जिस पर डॉ. नैथानी का कहना है कि योजना से संबंधित प्रशिक्षण पूर्व में दिया गया है। अगर किसी भी तरह की दिक्कत है तो कार्यशाला कर इसे भी दूर किया जाएगा। आरोग्य मित्र तैनात नहीं योजना के तहत चयनित अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए आरोग्य मित्र तैनात करने के निर्देश हैं, लेकिन ये निर्देश भी केवल कागजों पर दिख रहे हैं। अब तक इस ओर कदम नहीं उठाए गए हैं। कई अस्पतालों में तो कम्प्यूटर ऑपरेटर को ही आरोग्य मित्र बनाने की तैयारी है।
चार और नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि
डेंगू का डंक गहराता ही जा रहा है। हर दिन डेंगू के नए मामले सामने आने से स्वास्थ्य महकमा भी सकते में है। प्रदेश में चार और नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस तरह अब डेंगू पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़कर 141 हो गई है। आज जिन मरीजों के डेंगू होने की पुष्टि हुई है। उनमें नैनीताल से दो और ऊधमसिंहनगर के दो मरीज शामिल हैं।
कुल मिलाकर मौसम का बदलता मिजाज डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छर लिए अनुकूल हो रहा है। माना जा रहा है कि जब तक वातावरण में ठंडक नहीं आती, तब तक डेंगू का मच्छर सक्रिय रह सकता है। वहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं, वहां पर लार्वानाशक दवा का छिड़काव किया जा रहा है। नियमित रूप से फॉगिंग भी की जा रही है।