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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 15 May 2020.
Fri, 04:55 PM (IST) : Team Work: Kuldeep & Sandeep Agerwal
वॉशिंगटन : चीन के साथ तनावपूर्ण होते संबंधों के बीच अमेरिका ने चीन पर मिलिटरी दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। दोनों देशों के बीच कोरोना वायरस और साउथ चाइना सी को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है। इस बीच अमेरिका की कोशिश है कि क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर लिया जाए। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका के नेवी शिप और एयर फोर्स -1 बॉम्बर्स अपनी मौजूदगी का सबूत देते दिख रहे हैं।चीन पर हमलावर अमेरिकासी.एन.एन.एन के मुताबिक अमेरिका की कोशिश है कि कोरोना की चपेट में आए एयरक्राफ्ट कैरियर USS Theodore Roosevelt को महीने के अंत तक वापस क्षेत्र में भेजा जा सके। एक ओर खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पेइचिंग को लगातार घेर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सैन्य गतिविधियां जारी हैं। अमेरिका ने चीन पर यह आरोप तक लगाया है कि उसने कोरोना की महामारी का फायदा उठाकर मिलिटरी और इकनॉमिक फायदे उठाने की कोशिश की है। अमेरिका सेना के इंडो-पैसिफिक कमांड के प्रवक्ता नेवी कैप्टन माइकल काफ्का ने बुधवार को आरोप लगाया था कि चीन कोरोना वायरस पर क्षेत्रीय ध्यान भटकाकर खुद अपने फायदे के लिए आगे कदम बढ़ाना चाहता है। इतना ही नहीं अमेरिकी सेना ने साफ किया है कि कोरोना वायरस की वजह से उसकी क्षमता में कोई कमी नहीं आई है और वह किसी भी कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। एयर फोर्स ग्लोबल स्ट्राइक कमांड के कमांडर जनरल टिमोथी रे ने कहा है, ‘हमारे पास क्षमता और योग्यता है कि हम लंबी दूरी की फायर कर सकते हैं किसी भी वक्त।’ हाल के वक्त में अमेरिका ने अपने B-1 बॉम्बर्स को अमेरिका के बेस से हटाकर तीन बार साउथ चाइना सी और गुआम के क्षेत्र में भेजा गया है। पिछले महीने अमेरिकी नेवी ने चीनी के स्प्रैटली और पारासेल आइलैंड पर दावे को भी चुनौती दी थी। इसके बाद चीन ने अमेरिका से कहा था कि वह अपने यहां कोरोना वायरस की महामारी पर ध्यान दे और मिलिटरी ऑपरेशन में नरमी बरते।