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Breaking One:जर्मन पेपर ने कोरोना नुकसान के लिए चीन के नाम छापा 150 अरब यूरो का हर्जाना बिल

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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 23 Apr 2020.

 Thu 1:40 AM HRS (IST)  Sandeep & Kuldeep Sharma

1…कोरोना पर चीन के खिलाफ अमेरिका में केस दर्ज, जनता को धोखा देने और जानकारी को छिपाने का आरोप…

2 …चीन ने कोविड-19 मामले पर अमेरिका में दर्ज मुकदमे को मूर्खतापूर्ण बताकर खारिज किया

जर्मनी: कोरोना वायरस महामारी की वजह से पूरा विश्व प्रभावित है। इस बीच जर्मनी के टॉप टैबलॉयड पेपर बाइल्ड ने चीन से 150 अरब यूरो के हर्जाने की मांग की है। बाइल्ड ने यह हर्जाना कोविड-19 की वजह से हुए नुकसान के लिए मांगा है। उसने  What China owes us नाम से एक ओपन लेटर छापा है, जिसमें 150 अरब यूरो के हर्जाना का बिल पेश किया है। बाइल्ड ने ओपन लेटर में बताया है कि टूरिज्म को 24 अरब यूरो, फिल्म उद्योग 7.2 अरब यूरो, 10 लाख यूरो प्रति घंटा हवाई सेवा बाधित होने के लिए, 50 अरब यूरो छोटे उद्योगों के नुकसान के मद में जोड़ा है। वहीं उसका कहना है कि इस महामारी की वजह से जर्मनी की जीडीपी में 4.2 परसेंट की कमी होगी जिससे वहां के हर आदमी को 1784 यूरो का नुकसान होगा। हालांकि जर्मनी के विदेश मंत्री ने इसे कल्पना करार दिया है। इस मसले को चीनी दूतावास का कहना है कि यह राष्ट्रवादी, पूर्वाग्रह से ग्रस्त और चीन के खिलाफ दुर्भावना है। 

अमेरिका के एक राज्य मिसौरी ने चीन पर नोवेल कोरोना वायरस को लेकर सूचनाएं दबाने, इसका भंडाफोड़ करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने तथा इसकी संक्रामक प्रकृति से इनकार करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया है और कहा है कि इससे दुनियाभर के देशों को अपूरणीय क्षति हुई है तथा मानवीय क्षति के साथ अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है।

कोरोना पर चीन के खिलाफ अमेरिका में केस दर्ज, जनता को धोखा देने और जानकारी को छिपाने का आरोप…

ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट मिसौरी की एक अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से चीन की सरकार, वहां की सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी अधिकारियों एवं संस्थानों के खिलाफ अपनी तरह का पहला मुकदमा दायर किया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस के फैलने के शुरुआती अहम सप्ताहों में चीन के अधिकारियों ने जनता को धोखा दिया, महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाया, इस बारे में जानकारी सामने लाने वालों को गिरफ्तार किया, पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण की बात से इनकार किया, महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अनुसंधानों को नष्ट किया, दसियों लाख लोगों को संक्रमण की जद में आने दिया और यहां तक कि निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी की जिससे महामारी वैश्विक हो गयी।शिमिट ने कहा, ‘कोविड-19 ने पूरी दुनिया के देशों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है जिससे बीमारी बढ़ी है, लोगों की मौत हुई है, आर्थिक नुकसान के साथ मानवीय क्षति हुई है। मिसौरी में वायरस का असर बहुत भारी है जहां हजारों लोग प्रभावित हुए हैं और कई मर चुके हैं। परिवार अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं। छोटे कारोबार बंद हो रहे हैं तथा रोजाना कमाकर खाने वाले पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’उन्होंने आरोप लगाया, ‘चीनी सरकार ने कोविड-19 के खतरे और संक्रामक प्रकृति के बारे में दुनिया से झूठ बोला, जो इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे, उनकी आवाज दबा दी और बीमारी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।’ मुकदमे के अनुसार दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के पास मनुष्यों के बीच संक्रमण के पर्याप्त प्रमाण थे।

चीन ने कोविड-19 मामले पर अमेरिका में दर्ज मुकदमे को मूर्खतापूर्ण बताकर खारिज किया

चीन ने अमेरिकी राज्य मिसौरी द्वारा कोविड-19 को लेकर उसके खिलाफ दायर मुकदमे को ” मूर्खतापूर्ण और संप्रभुत्ता का उल्लंघन करार देते हुए बुधवार को खारिज कर दिया। इस मुकदमे में चीन द्वारा कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी छिपाने और इससे आगाह करने वालों को गिरफ्तार करके दुनिया को अपूरणीय क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट मिसौरी की एक अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से चीन की सरकार, वहां की सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी अधिकारियों एवं संस्थानों के खिलाफ अपनी तरह का पहला मुकदमा दायर किया गया है।इसमें आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस के फैलने के शुरुआती अहम सप्ताहों में चीन के अधिकारियों ने जनता को धोखा दिया, महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाया, इस बारे में जानकारी सामने लाने वालों को गिरफ्तार किया, पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण की बात से इनकार किया, महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अनुसंधानों को नष्ट किया, लाखों लोगों को संक्रमण की जद में आने दिया और यहां तक कि निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी की जिससे महामारी वैश्विक हो गयी।याचिका में एक आरोप जनजीवन बाधित करने, एक आरोप असाधारण तरीके से खतरनाक गतिविधि करने और दो आरोप कर्तव्य के निर्वहन में खामी के लगाए गए हैं। इस मुकदमे पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ” कथित आरोपों में कोई तथ्य और कानूनी आधार नहीं है। यह कुछ नहीं मूर्खता है। उन्होंने दोहराया कि महामारी की शुरुआत से ही चीनी सरकार ने खुली, पारदर्शी और जिम्मेदारीपूर्वक घटना की जानकारी अमेरिका, अन्य देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को दी। इसके अलावा वायरस का सामान्य अनुक्रमण जारी किया। गेंग ने कहा कि अद्यतन सूचनाएं सुनिश्चित करने के लिए चीन तीन जनवरी से ही इस मुद्दे पर अमेरिका से संवाद कर रहा है। उन्होंने कहा, ” यह चीन के महत्वपूर्ण योगदान का हिस्सा है और विश्व समुदाय ने इसे मान्यता दी है। यह कथित मुकदमा दुर्भावनापूर्ण तरीके से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। प्रवक्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत यह मुकदमा मौलिक कानून और समान संप्रभुत्ता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, ”महामारी पर चीन सरकार की कार्रवाई अमेरिकी अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में नहीं है। गेंग ने कहा कि इस तरह से मुकदमे का दुरुपयोग महमारी को रोकने का प्रयास कर रहे अमेरिका के हित में भी नहीं है और इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, ”इस तरह के दुर्भावनापूर्ण मुकदमे को अमेरिका द्वारा खंडन एवं खारिज किया जाना चाहिए।उल्लेखनीय है कि इस मुकदमें के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोलाल्ड ट्र्रम्प, अमेरिका के शीर्ष राजनीतिज्ञ और अधिकारी भी कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को छिपाने का आरोप चीन पर लगा उसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं। चीन में कोरोना वायरस से संक्रमण के 82,788 मामले आए जिनमें से 4,632 लोगों की मौत हुई जबकि अमेरिका में 8,24,600 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और इनमें से 45,290 लोगों को जान गंवानी पड़ी है जो दुनिया में किसी एक देश में हुई मौतों के मामले में सबसे अधिक है। 

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