देहरादून: देहरादून में आगामी सात अक्टूबर से शुरू होने वाले इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने के लिए सरकार की ओर से किए गए प्रयासों पर सकारात्मक रुझान मिलने लगे हैं। प्रदेश सरकार को अभी तक विभिन्न औद्योगिक घरानों से निवेश के लिए 74 हजार करोड़ से अधिक के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। वहीं, 61 हजार करोड़ के प्रस्तावों पर निवेश के लिए समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर (एमओयू) किए जा चुके हैं।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा तैयार की गई नौ नीतियों का विमोचन किया। इनमें वृहद औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति, उत्तराखंड आयुष नीति, बायोटेक्नोलॉजी नीति, पिरुल व अन्य प्रकार के बायोमास से विद्युत उत्पादन नीति, उत्तराखंड एरोमा नीति, राइट ऑफ वे नीति, उत्तराखंड इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माणक ई वी उपयोग संवर्द्धन और संबंधित अवसंरचना नीति तथा उत्तराखंड पर्यटन नीति शामिल हैं।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के मद्देनजर उद्योग व अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन करने के साथ ही बाजार को देखकर नीतियां बनाई गई हैं। इनका मकसद यह है कि राज्य में उद्योग और बेहतर निवेश करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट से पहले सरकार 40 हजार करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान लगा रही थी लेकिन विभिन्न स्थान पर किए गए रोड शो से काफी सकारात्मक रुझान मिले हैं। पर्वतीय क्षेत्रों का विकास राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है।
सौर ऊर्जा, फूड प्रोसेसिंग, हर्बल, ऑर्गेनिक, आयुष व पर्यटन में होने वाले निवेश का लाभ राज्य को मिलेगा। सोलर पावर नीति में पांच मेगावाट प्रोजेक्ट में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि औद्योगिक ईकाइयों की स्थापना के लिए प्रदेश के पास पर्याप्त भूमि है कुछ और क्षेत्रों का चयन किया गया है। पर्वतीय जिलों में लघु औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हैं और जिलाधिकारियों को भी नए स्थान चिह्नित करने को कहा गया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार, अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, आरके सुधांशु, दिलीप जावलकर व अरविंद ह्यांकि समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।