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यंग आर्गेनाइजर दैनिक 1960 में पत्रकार बनारसी दत्त शर्मा द्धारा उर्दू भाषा में 2006 तक लोगो के लिए उपलबध रहा ।  2006 के बाद इसे उर्दू से हिंदी भाषा में परिवर्त्तित कर बनारसी दत्त शर्मा ने हिंदी भाषा के लिए एक नई टीम का गठन कर  यंग आर्गेनाइजर पत्रिका को समाज ओर पाठकों में एक नई पहचान दी ।  यंग आर्गेनाइजर दैनिक पत्रिका आज की तरीक में जम्मू शहर का सबसे पुराना गौरवशाली इतिहास रखता है ।  

यंग आर्गेनाइजर दैनिक समाचार पोर्टल पर प्रकाशित सामग्री रुचिकर और पठनीय होने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता से भरी होती है। जहाँ इंटरनेट पर सनसनीखेज और अशालीन सामग्री की भरमार है, वहीं यंग आर्गेनाइजर ने साफ-सुथरी तथा निष्पक्षतापूर्ण सामग्री के माध्यम से अपनी अलग पहचान बनाई है। यह पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण नहीं कर रहा अपितु भारतीय संस्कृति और भारतीयता का संदेश प्रसारित करने में भी तल्लीनता के साथ जुड़ा हुआ है।  

देश के अनेक जाने-माने पत्रकार, लेखक, साहित्यकार, व्यंग्यचित्रकार आदि यंग आर्गेनाइजर के साथ जुड़े रहे हैं। स्व. खुशवंत सिंह, स्व. अरुण नेहरू, स्व. जगदीश चन्दर, यंग आर्गेनाइजर पर नियमित कॉलम लिखते रहे। वर्तमान में बनारसी दत्त शर्मा, कुंवर भड़वल, संदीप अग्गरवाल, कुलदीप शर्मा, इम्तिआज़ चौधरी, अरुण गावस्कर, सिद्धार्थ, कपीश, सम्पदा केरनी, तरु आर बनग्याल, गुरमीत सिंह, पवन विकास शर्मा जैसे प्रतिष्ठित स्तंभकार यंग आर्गेनाइजर से जुड़े हुए हैं। तकनीकी दृष्टि से भी इस पोर्टल ने नए प्रतिमान कायम किए हैं, विशेषकर हिंदी भाषा में मौजूद प्रारंभिक सीमाओं तथा कठिनाइयों के बावजूद यंग आर्गेनाइजर ने गांव-कस्बों में रहने वाले नागरिकों के लिए उनकी अपनी भाषा में समाचार और विश्लेषण प्राप्त करना आसान बनाया है।