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हत्या, रेप, फरेब, लूटमार, नशा जैसे जुर्मों के बीच आर्थिक तंगी से जूझती औरत

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 9th May. 2021, Sun. 12:15 PM (IST) : ( Article ) Kuldeep Sharma गर्भपात का सवाल कहीं से भी अजन्मे शिशु की रक्षा से जुड़ा हुआ नहीं। ये जुड़ा है मर्दों के ईगो से। जैसे ही वे जानते हैं कि फलां की कोख में मेरा कुछ हिस्सा है, वे फूल उठते हैं। ये उनके लिए कुछ ऐसा ही है, जैसे जमीन का नया टुकड़ा पाना। इसमें प्रेम नहीं, केवल सत्ता का भाव होता है। ऐसे में औरत अगर गर्भपात की सोचे तो मर्द इसे सत्ता पर हमले की तरह देखता है।एक और कारण है- औरत की शारीरिक शुद्धता के लिए आग्रह। पुरुष चाहे जो करे, औरतों के लिए शुचिता के पैमाने एकदम कसे हुए हैं। ऐसे में अगर बर्थकंट्रोल के तरीके आसान हो जाएं या फिर गर्भपात में कानूनी अड़चनें न हों तो औरत का दायरा भी बढ़ सकता है। ये भी हो सकता है कि औरतें किसी भी जैविक जरूरत के लिए शादी पर निर्भर न रहें। ऐसा हुआ, तब तो पुरुष सत्ता धरती से वाकई मंगल ग्रह चली जाएगी। ये भी एक वजह है कि बार-बार गर्भपात में रोड़ा अटकाया जा रहा है।साठ के दशक में जब दुनिया में पहली बर्थ-कंट्रोल गोली आई, तब औरतों के पास वोट देने का अधिकार नहीं था। वे दुनिया को चलाए रखने की मशीन-भर थीं। अब संविधानों में औरत-मर्द बराबर हैं। दोनों सरकार चुनते हैं। सड़कों पर उतरकर दोनों ही सरकारें गिरा भी पाते हैं, लेकिन इस एक मामले में औरतें निपट अकेली हैं। तभी तो पोलैंड के इस सबसे बड़े प्रदर्शन में सैकड़ों औरतों के बीच एकाध मर्द दिख जाता है, जैसे वाक्य के बाद का पूर्णविराम। 18वीं सदी तक कोमा में गए मरीजों की पहचान का कोई तरीका नहीं था। तब अगर कोई लंबी बेहोशी में चला जाए तो डॉक्टर उसका नाम लेकर जोर-जोर से पुकारते। कई बार नाम लेने के बाद भी मरीज में कोई हरकत न हो तो उसे कोमा में मान लिया जाता था। चूंकि आज की तरह लाइफ-सपोर्ट मशीनें नहीं थीं, चुनांचे आनन-फानन में अंतिम संस्कार भी हो जाया करता था। फिलहाल आधी आबादी कोमा में है। एक-एक का नाम लेकर पुकारा जा रहा है। पता नहीं, कब, किसकी आंखें खुलेंगी। खुलेंगी भी या नहीं! फास्ट फॉरवर्ड टू 2021! यूरोप के बेहद खूबसूरत देश पोलैंड में कोरोना के चलते सख्त लॉकडाउन लगा है। रुक-रुककर भयंकर बर्फबारी हो रही है। इस सबके बीच हजारों की संख्या में औरतें सड़कों पर उतरी हुई हैं। वे गर्भपात का अधिकार चाहती हैं। नौकरी में मर्दों जितनी तनख्वाह नहीं। बस-ट्रेन में सीट का अधिकार नहीं। राजनीति में बोलने का अधिकार नहीं। बस, गर्भपात का अधिकार। वे चाहती हैं कि अगर किसी वजह से वे बच्चे को जन्म नहीं देना चाहें, तो कोर्ट या समाज इसमें रुकावट न बने। चांद और मंगल पर घर बसाने की योजना बनाती दुनिया में वे अपने शरीर पर अपना अधिकार चाहती हैं। वैसे तो पोलैंड में पहले से ही अबॉर्शन पर काफी सख्ती थी, लेकिन अब नए कानून के तहत ये लगभग नामुमकिन हो चुका है। ताजा फैसले में कोर्ट ने कहा- जिस बच्चे का जन्म नहीं हुआ है वो भी मनुष्य है। ऐसा कहते हुए जजों ने 9 महीनों बाद बनने जा रहे अनदेखे जीव को सुरक्षित कर दिया , लेकिन उस स्त्री को नहीं, जो उसके सामने जीती-जागती खड़ी है। यूरोप में मजबूत अथर्व्यवस्था की तरह उभरता पोलैंड अब वो मुल्क होगा, जहां पांच बच्चों को संभालती एनीमिक मां छठवें बच्चे का इंतजार कर रही होगी। और अगर किसी औरत ने किसी भी वजह से गर्भ गिराने का फैसला लिया तो वो अपराधी हो जाएगी।हत्या, रेप, फरेब, पोर्नोग्राफी, लूटमार, नशा जैसे जुर्मों के बीच गर्भपात भी एक अपराध होगा। प्यार में धोखा खाई स्त्री अगर उस धोखे से उबरना चाहे तो वो हत्यारिन कहलाएगी। आर्थिक तंगी से जूझती औरत अगर भूल-सुधार करे तो उस पर हत्या की तोहमत लगेगी। यहां तक कि भ्रूण अगर भरपूर शिशु न होकर केवल एक मांसपिंड हो तो भी औरत को उसे दुनिया में लाना होगा।

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