नयी दिल्ली. प्राप्त ख़बरों के अनुसार आज केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉपप्लेटफॉर्म्स के लिए एक जन हितार्थ गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इस बाबत आज दोपहर दो बजे केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जरुरी रेगुलेशंस की घोषणा की।अब इस नई गाइडलाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और नेटफ्लिकस, ऐमजॉन प्राइम, हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी आएंगे। गौरतलब है कि इसके पहले मंत्री जावड़ेकर ने कहा था कि इसके संबंध में सभी जरुरी दिशानिर्देश तैयार किए जा चुके हैं और जल्द ही उन्हें लागू भी किया जाएगा। यह दोनों ही केंद्र मंत्री आज क्या बड़े ऐलान कर रहे हैं, आइए हम आपको बताते हैं।
यह रहेगी नयी सोशल मीडिया पॉलिसी :
अब इसमें दो तरह की कैटिगरी हैं: सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
अब सबको ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म भी बनाना पड़ेगा और अगले 24 घंटे में शिकायत दर्ज होगी और 14 दिन में इन मामलों को निपटाना होगा।
अब अगर यूजर्स खासकर महिलाओं के सम्मान से कोई भी खिलवाड़ की शिकायत हुई तो 24 घंटें में इस कंटेंट को हटाना होगा।
इसके साथ ही सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया को अब चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर रखना होगा जो भारत का ही निवासी होगा।
वहीं अब साथ में एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा।
इसके साथ ही अब एक मासिक कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर कोई खुराफात सबसे पहले किसने की, इसके बारे में भी सोशल मीडिया कंपनी को विस्तृत रूप से बताना पड़ेगा।
हर सोशल मीडिया कंपनी का भारत में एक स्थायी डाक पता रखना होना।
अब हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास उसके यूजर्स वेरिफिकेशन की व्यवस्था भी रखनी होगी।
ख़ास बात यह है कि सोशल मीडिया के लिए उक्त सारे नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। वहीं सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को फिलहाल तीन महीने का वक्त लगेगा।
इधर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ़ तौर पर कहा कि, ‘सरकार ने समझा कि मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक लेवल-प्लेइंग फील्ड होना चाहिए इसलिए अब कुछ नियमों का जरुर से पालन करना पड़ेगा। इसको लेकर लोगों की मांग बहुत थी।’
यह होंगे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए नए गाइडलाइंस:
OTT और डिजिटल न्यूज मीडिया को अपने बारे में पुरी और विस्तृत जानकारी देनी होगी। हाँ इनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
अब इन दोनों OTT और डिजिटल न्यूज मीडिया को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर कोई गलती पाई गई तो उन्हें खुद से रेगुलेट करना होगा।
इसके साथ ही OTT प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी भी बनानी होगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती ही निर्देशित करेगी।
अब सेंसर बोर्ड की तरह OTT पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था होगी। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
आज यह भी साफ़ कहा गया कि डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार बिलकुल नहीं है।
इधर इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने केंद्र सरकार से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने से पहले स्टेकहोल्डर्स से एक बार बातचीत करने की अपील की है। गौरतलब है किपूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स, प्राइम और हॉटस्टार (डिज्नी प्लस) सहित कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।
विदित हो कि केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट को यह बताया था कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के क्या कदम उठाने पर विचार कर रही है। वहीं पिछले साल अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न ओटीटी/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया था। वहीं देश की संसद में भी कई सांसदों ने बीते 12 फरवरी को ‘लोकसभा’ में वेब सीरीज को सेंसरशिप के एक दायरे में लाने की पुरजोर मांग रखी थी।