www.youngorganiser.com// Mumbai Thu,28,Feb,2019. updated,4:55 PM IST ( Tamana Kapoor, Young Organiser Jammu)
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अवधि:1 घंटा 48 मिनट, मूवी टाइप–Drama,Action,Crime
कहानी: आप लोगों से भाग सकते हैं लेकिन खुद से कैसे भागेंगे? आप दूसरों का मुंह बंद कर सकते हैं लेकिन अपनी अंतरात्मा की आवाज कैसे बंद करेंगे? बीहड़ के परिपेक्ष्य में सोनचिड़िया अफसोस और मुक्ति की कहानी है। ऐक्टर्स की परफॉर्मेंस और जबरदस्त सिनेमटॉग्रफी इस कहानी को और भी जबरदस्त बना देती है। अभिषेक चौबे ने अपना स्टाइल फॉलो किया है। फिल्म में ऐसे लोगों को दिखाया गया है जिन्हें पापी माना जाता है। उनकी बगावत और मौत के सामने खड़े हुए उनके दिमाग में क्या चल रहा है, इन्ही बातों से कहानी बनी है। मध्य प्रदेश के बीहड़ में बनी इस फिल्म में अभिषेक ने इस बात पर ध्यान खींचने की कोशिश की है कि क्या वास्तव में सही है और क्या गलत है। अभिषेक ने इसके लिए अपने किरदारों का खूब इस्तेमाल किया है। मान सिंह (मनोज बाजपेई) और उसके आदमी, वकील (रणवीर शौरी) और लखना (सुशांत सिंह) भगवान में विश्वास रखने वाले डाकू हैं। वे अपने जीने की वजह ढूंढते हैं, अपने वजूद पर सवाल करते हैं। डकैत, पुलिस, लड़ाई, हमला जैसी चीजों से भरी होने के बाद भी फिल्म अपराध पर बेस्ड नहीं है बल्कि अपराध करने के बाद अपराधियों के हालात की कहानी है। क्या ये लोग अपने अंदर के विलेन को दबा पाते हैं या फिर यह विलेन उनपर हावी होता है? इस फिल्म में प्रकृति के नियम को दिखाया गया है। सांप चूहे का शिकार करता है और बाज सांप का। नियम है कि मारने वाला भी एक दिन मारा जाएगा। फिल्म जाति प्रथा, पितृसत्ता, लिंग भेद और अंधविश्वास को दिखाया गया है। फिल्म यह भी दिखाती है कि क्यों बदला लेने और न्याय में अंतर है। विशाल भारद्वाज का म्यूजिक और रेखा भारद्वाज की आवाज, किरदारों के अंदर चल रहे तूफान को पर्दे पर लाने में सफल रहे। स्पेशल अपियरेंस में भी मनोज बाजपेई ने साबित किया है कि वह एक बेहतरीन ऐक्टर हैं। सुशांत सिंह राजपूत ने लखना का किरदार पूरे दिल से निभाया है। भूमि पेडनेकर ने एक बहादुर महिला के किरदार के साथ न्याय किया है और आशुतोष राणा ने ऐंटी-हीरो के तौर पर बेमिसाल ऐक्टिंग की है।