www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 10th Jun. 2021, Thu. 7: 16 PM (IST) : टीम डिजिटल: Pt. Hanuman Dogra , आज साल का पहला सूर्यग्रहण अमेरिका में सूर्योदय ही ग्रहण के साथ हुआ। नासा ने इसकी तस्वीरें जारी की हैं। तस्वीर में सुबह का उगता सूर्य चांद की तरह दिख रहा है। अमेरिका के साथ सूर्य ग्रहण यूरोप में भी देखा गया। भारत में ग्रहण सूर्यास्त के पहले लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में देखा गया। वेबसाइट टाइम एंड डेट के मुताबिक, यह भारतीय समय के मुताबिक दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू हुआ। ग्रहण 6 बजकर 41 मिनट तक रहा। यानी भारत में सूर्यग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे की रही। इस दिन 148 साल बाद शनि जयंती का भी संयोग बना। इससे पहले शनि जयंती पर सूर्यग्रहण 26 मई 1873 को हुआ था। भारत में जहां सूर्यग्रहण दिखेगा वहीं सूतक लगेगा , सूर्यग्रहण का सूतक ग्रहण के 12 घंटे पहले शरू हो जाता है। शास्त्रों के मुताबिक जहां ग्रहण दिखता है, वहीं सूतक माना जाता है। सूतक के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। इस दौरान खाना बनाना और खाना भी अच्छा नहीं माना जाता। यहां तक कि सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन आज के सूर्यग्रहण का सूतक लद्दाख और अरुणाचल को छोड़ देश के बाकी हिस्सों में मान्य नहीं होगा, क्योंकि बाकी जगहों पर ग्रहण दिखेगा ही नहीं। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चांद आ जाता है तो इसे सूर्यग्रहण कहते हैं। इस दौरान सूर्य से आने वाली रोशनी चांद के बीच में आ जाने की वजह से धरती तक नहीं पहुंच पाती है और चांद की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। दरअसल सूर्य के आसपास पृथ्वी घूमती रहती है और पृथ्वी के आसपास चंद्रमा। इसी वजह से तीनों कभी न कभी एक दूसरे के सीध में आ जाते हैं। इन्ही वजहों से सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में ये सूर्यग्रहण आंशिक रूप से नजर आएगा। वहीं उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। जब सूर्यग्रहण पीक पर होगा तब ग्रीनलैंड के लोगों को रिंग ऑफ फायर भी नजर आ सकती है। चांद पृथ्वी के आसपास एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इस वजह से पृथ्वी से चांद की दूरी हमेशा घटती-बढ़ती रहती है। जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है, उसे एपोजी (Apogee) कहते हैं और जब सबसे नजदीक होता है तो उसे पेरिजी (Perigee) कहते हैं। जब चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब रहते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में ले लेता है। इससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाती है। इस खगोलीय घटना को पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण: इस स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में तो आता है लेकिन दोनों के बीच काफी दूरी होती है। चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढंक पाता है और सूर्य की बाहरी परत ही चमकती है। जो कि वलय यानी रिंग के रूप में दिखाई देती है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। खंडग्रास सूर्य ग्रहण: इस खगोलीय घटना में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह आता है कि सूर्य का थोड़ा सा ही हिस्सा अपनी छाया से ढंक पाता है। इस दौरान पृथ्वी से सूर्य का ज्यादातर हिस्सा दिखाई देता है। इसे खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहते हैं। ज्यादातर एक साल में दो बार सूर्यग्रहण होता है। ये संख्या ज्यादा से ज्यादा 5 तक जा सकती है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। नासा के मुताबिक पिछले 5 हजार साल में सिर्फ 25 साल ऐसे रहे हैं जब एक साल में 5 बार सूर्यग्रहण पड़ा। आखिरी बार 1935 में सालभर के अंदर 5 बार सूर्यग्रहण पड़ा था। अगली बार ऐसा 2206 में होगा। वैसे कोई भी सूर्यग्रहण पृथ्वी के केवल कुछ इलाकों में ही दिखता है।
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