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sUSPENSION-OF-SERVICES-UNTILL-DEMANDS-NOT-FULL-FILL.jpg June7, 2020: YOUNG ORGANISER

सरकार ने यात्री वाहन चलाने की दी अनुमति, लेकिन ट्रांसपोर्टर इसके लिए तैयार नहीं

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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 8th June 2020.

 Sun, 04:07 PM (IST) :  Team Work:  Taru. R.Wangyal & Pawan Vikas Sharma

ट्रांसपोर्टरों की मांगें: यात्री किराये में 50 प्रतिशत वृद्धि की जाए // अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरह टोल माफ हो //एक वर्ष के लिए ऋण पर लिए वाहनों की किश्त ब्याज सहित माफ हो // अड्डा और पार्किंग फीस खत्म की जाए // बीएस-4 वाहनों के पंजीकरण की तिथि को बढ़ाया जाए // रेडियो टैक्सी दौड़ाने पर प्रतिबंध लगाया जाए // सरकार द्वारा भाड़े पर विभिन्न आयोजनों के लिए ली गई बसों की सभी बकाया भुगतान जारी किया जाए // मिनी बसों और ऑटो रिक्शा के लिए अलग से पार्किंग बनाई जाए // रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर यात्री वाहनों से वसूली जाने वाली पार्किंग फीस कम की जाए //ड्राइविग लाइसेंस के रेन्यू के दौरान वसूले जाने वाली दोगुनी फीस कम की जाए // फिटनेस सर्टिफिकेट की फीस माफ की जाए //आरटीओ कार्यालय में कामर्शियल वाहनों के लिए अलग से काउंटर खोला जाए

जम्मू : प्रशासन ने अनलॉक-1 में शहर के विभिन्न रूटों पर एक तिहाई यात्री वाहन दौड़ाने की रूपरेखा तैयार कर ली है जबकि ट्रांसपोर्टरों 50 प्रतिशत यात्री किराया बढ़ाने पर अड़े हैं। उन्होंने साफ किया है कि दस जून को प्रशासन के साथ दूसरे चरण की बैठक में 50 प्रतिशत यात्री किराया बढ़ाने समेत अन्य मांगें पूरी होने पर ही वे अपनी गाड़ियों को सड़क पर उतारेंगे। ट्रांसपोर्टरों ने यह भी साफ किया कि पचास प्रतिशत सवारियों को लेकर एक तिहाई यात्री वाहन चलाना संभव नहीं है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर सभी रूटों पर निर्धारित से एक तिहाई वाहन ही चलेंगे तो एक गाड़ी का नंबर तीसरे या चौथे दिन दोबारा आएगा, इससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।प्रशासन की ओर से शहर के विभिन्न रूटों पर यात्री वाहनों की संख्या को लेकर सूची जारी की गई है। इस सूची में पांच जून को डिप्टी कमिश्नर जम्मू के चैंबर में आयोजित बैठक का हवाला दिया गया है। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद से ही सड़कों से यात्री वाहन गायब हैं जबकि ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि तीन तीन महीने से अपनी गाड़ियों की किश्तें भी जमा नहीं करवा पाएं हैं। उधर प्रशासन अनलॉक-1 में यात्री गाड़ियों को चलाकर जनजीवन को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन ट्रांसपोर्टर इसके लिए तैयार नहीं हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि उनके नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने किसी पैकेज की घोषणा भी नहीं की है, जबकि सबसे ज्यादा नुकसान इस कोरोना काल में ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री को ही हुआ है। घाटे में गाड़ी चलाना मंजूर नहींआल जेएंडके ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव विजय शर्मा और मिनीबस वर्कर्स यूनियन के प्रधान विजय सिंह चिब का कहना है कि ट्रांसपोर्टर पहले ही लॉकडाउन में काफी नुकसान उठा चुके हैं लेकिन अब घाटे में गाड़ी चलाना मंजूर नहीं है। दस जून को हमारी ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हैं। हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि किराए में पचास प्रतिशत वृद्धि के बगैर गाड़ियों को नहीं चलाएंगे।

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