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वैश्विक प्रकोप का मतलब है कि हम कारक के गनीमत स्थिति पर

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 20th May. 2021, Thu. 12:50 PM (IST) :  ( Article ) Siddharth – वैश्विक प्रकोप का मतलब है कि हम कारक के गनीमत महामारी की स्थिति पर मौजूदा स्थिति गौर करें तो एक्टिव केसेज में 45 फीसदी केरल और 26 फीसदी महाराष्ट्र में दर्ज अमेरिका और यूरोप में नए केसों और मृतकों से जुड़े आंकड़े एक बार बहुत नीचे चले गए थे, फिर भी वैश्विक आंकड़ों पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा तो उसकी वजह यह रही कि एक देश में कमी के आंकड़े दूसरे नए क्षेत्रों में वायरस के फैलाव से बैलेंस होते जा रहे थे। उन संक्रामक महामारियों को विश्वमारी (अंग्रेजी-चंदकमउपब) कहते हैं जो एक बहुत बड़े भूभाग (जैसे कई महाद्वीपों में) में फैल चुकी हो।ख्1, यदि कोई रोग एक विस्तृत क्षेत्र में फैल हुआ हो किन्तु उससे प्रभावित लोगों की संख्या में वृद्धि न हो रही हो, तो उसे विश्वमारी नहीं कहा जाता। इसके अलावा, फ्लू विश्वमारी के अन्दर उस फ्लू (सिन) को शामिल नहीं किया जाता जो मौसमी किस्म के हो और बार-बार होते रहे हों। सम्पूर्ण इतिहास में चेचक और तपेदिक जैसी असंख्य विश्वमारियों का विवरण मिलता है। एचआईवी (भ्प्ट) और 2009 का फ्लू अधिक हाल की विश्वमारियों के उदाहरण हैं। हाल ही में १२ मार्च, २०२० को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोनावायरस को विश्वमारी घोषित किया है।ख्2, १४वीं शतब्दी में फैली श्ब्लैक डेथश् नामक विश्वमारी अब तक की सबसे बड़ी विश्वमारी थी जिससे अनुमानतः साढ़े सात करोड़ से लेकर २० करोड़ लोगों की मृत्यु हुई थी।कोई भी बीमारी या दुर्दशा सिर्फ इसलिए विश्वमारी नहीं कहलाती है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर फैलता है या इससे कई लोगों की मौत हो जाती है बल्कि इसके साथ-साथ इसका संक्रामक होना भी बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए, कैंसर से कई लोगों की मौत होती है लेकिन इसे एक विश्वमारी की संज्ञा नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह रोग संक्रमणकारी या संक्रामक नहीं है।मई 2009 में इन्फ्लूएंजा विश्वमारी पर आयोजित एक आभासी संवाददाता सम्मलेन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण के विज्ञापन अंतरिम सहायक महानिदेशक, डॉ केइजी फुकुडा, ने कहा ष्विश्वमारी के बारे में सोचने का एक आसान तरीका … यह कहना हैरू विश्वमारी, एक वैश्विक प्रकोप है। तब आप खुद से पूछ सकते हैंरू ष्वैश्विक प्रकोप क्या है ? वैश्विक प्रकोप का मतलब है कि हम कारक के गनीमत है कि भारत में महामारी में उतार का दौर काफी लंबा चल गया है और जानकार दायरों में यह उम्मीद भी जताई जाने लगी है कि दूसरी लहर की नौबत यहां शायद न ही आए। भारत में महामारी सितंबर महीने में अपने चरम पर थी, जब रोज करीब एक लाख तक नए केस आने लगे थे। इसके बाद गिरावट का क्रम शुरू हुआ और अभी दस हजार के आसपास नए केस रोजाना दर्ज हो रहे हैं। इस कमी में टीके की कोई खास भूमिका नहीं मानी जा सकती। कारण एक तो यह कि टीकाकरण काफी देर से शुरू हुआ जबकि गिरावट काफी पहले से दिखाई देने लगी थी।दूसरी बात यह कि टीके अभी सिर्फ डॉक्टरों और हॉस्पिटल स्टाफ जैसे फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स को ही लगाए गए हैं और इन्हें भी अभी पहला डोज ही मिल पाया है। टीके का पूरा असर दूसरा डोज दिए जाने के बाद ही जांचा जा सकेगा। हालिया अध्ययनों के आधार पर विशेषज्ञ महामारी में आई इस कमी का श्रेय देशवासियों के शरीर में बड़े पैमाने पर जन्मी एंडीबॉडीज को देते हैं। उनके मुताबिक अलग-अलग इलाकों में 20 से 40 फीसदी लोग किसी न किसी रूप में संक्रमित हो चुके हैं और उनके अंदर कोरोना का प्रतिरोध भी विकसित हो चुका है।हालांकि एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि इतनी इम्यूनिटी के आधार पर दूसरी लहर की संभावना खारिज नहीं की जा सकती है। महामारी की मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो एक्टिव केसेज में 45 फीसदी केरल और 26 फीसदी महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं। केवल 29 फीसदी ही देश के बाकी हिस्सों में मौजूद हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि बचाव के प्रयासों को भी केरल और महाराष्ट्र पर ज्यादा केंद्रित किया जाए।टीकाकरण की मौजूदा नीति स्वास्थ्यकर्मियों के बाद 1 मार्च से 50 की उम्र पार कर चुके लोगों को वैक्सीन देने की है। लेकिन अच्छा होगा कि ज्यादा एक्टिव केसेज वाले दोनों राज्यों में टीकाकरण का दायरा जल्दी बढ़ा दिया जाए। खासकर केरल में युनिवर्सल वैक्सिनेशन भी एक कारगर विकल्प हो सकता है। प्रसार के साथ-साथ उसके बाद विषाणु के प्रसार के अलावा रोग गतिविधियों को देख सकते हैं।देश में कोरोना का टीकाकरण अभियान शुरू हुए आज एक महीना पूरा हो रहा है। 16 जनवरी से पहले चरण के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को टीका देने की शुरुआत हुई थी। 28 दिन पूरा होने के बाद इन लोगों को दूसरा डोज दिया जाना भी शुरू हो गया है। इस बीच देश में नए संक्रमणों की संख्या में खासी कमी आई है। हालांकि दुनिया में हर जगह इस महामारी की एक लहर मंद पड़ने के बाद दूसरी लहर दर्ज की गई है, जिससे हम फिलहाल बचे हुए हैं।

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