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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 03 May 2020.
Sun, 7:00 AM (IST) : Team Work: Pawan Vikas Sharma , Kunwar , Imtiaz Chowdhury, Arun Gavaskar, Siddharth, Kuldeep Sharma,Gurmeet , Kapish, Sampada Kerni & Taru. R.Wangyal
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी, उसके अनुसार यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांत, प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवादाताओं को श्रृद्धाजंलि देने का दिन है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्त्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का अर्थ- “मीडिया के सभी माध्यमों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त करना है। 1993 से लेकर आज तक हर साल 3 मई को ये दिन मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम है ( Journalism Without Fear Or Favour) ‘लोकतंत्र के लिए मीडिया व फर्जी खबरों और सूचनाओं के दौर में पत्रकारिता एवं चुनाव’ रखी गई है। हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम अलग होता है। 2020 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का 27 वां उत्सव है
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता
भारत में अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा होती रहती है। 3 मई को मनाए जाने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारत में भी प्रेस की स्वतंत्रता पर बातचीत होना लाजिमी है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।1997 से अब तक भारत के किसी भी पत्रकार को यह पुरस्कार नहीं मिलने की एक बड़ी वजह कई वरिष्ठ पत्रकार पश्चिम और भारत में पत्रकारिता के मानदंडों में अंतर को बताते हैं। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि भारतीय पत्रकारिता में हमेशा विचार हावी होता है, जबकि पश्चिम में तथ्यात्मकता पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा भारतीय पत्रकारों में पुरस्कारों के प्रति जागरूकता की भी कमी है, वे इसके लिए प्रयासरत नहीं रहते। प्रेस स्वतंत्रता के मामले में भारत का स्थान बहुत नीचे है। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों की सूची में भारत 142वें नंबर पर आता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2000 से 2019 तक पत्रकारों पर 1166 हमले हुए हैं। इसमें 36 हमले साल 2019 में हुए। 107 हमलों में पत्रकार की हत्या कर दी गई, जिसमें 73 हत्याएं सीधे तौर पर खबर छापने से नाराज होने पर की गईं। कुल हमलों के तिहाई मामलों में एफ.आई.आर तक दर्ज नहीं हुई है। Banarsi Dutt ( Chief Editor Young Organiser )
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस: इतिहास History Of World Press Freedom Day : 1976 में, कुछ स्वतंत्र पत्रकारों द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता समिति की स्थापना की गई थी, जो प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और दुनिया भर के 44 मीडिया संगठनों को कवर करने के लिए थी। यह संगठन अर्जेंटीना में स्थित है। यह इंटरनेशनल एक्सचेंज ऑफ एक्सप्रेशन एक्सचेंज का एक सदस्य है जो प्रेस, मानवाधिकार विशेषज्ञों और पत्रकारों की स्वतंत्रता के लिए कई अन्य संगठनों के साथ सहयोग करता है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रेस की स्वतंत्रता को प्रतिबिंबित करने के लिए, 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की व्यवस्था करने के लिए एक पहल की। इस दिन को विंडहोक की घोषणा की जयंती पर चिह्नित किया गया था। यह मूल रूप से एक स्वतंत्र अफ्रीकी प्रेस को प्रोत्साहित करने के लिए अफ्रीकी पत्रकारों द्वारा 1991 में इकट्ठी प्रेस स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का एक बयान है।
गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज
विश्व स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया, जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस से संबंधित मुख्य तथ्य
1. अभिव्यक्ति की आजादी अनुच्छेद 19 के अनुसार मौलिक मानवाधिकार है।
2. प्रेस की आजादी और समाचारों को लोगों तक पहुंचाकर, सशक्त हो रहे मीडियाकर्मियों का व्यापक विकास करना इसका उद्देश्य है।
3. 3 मई 1991 को अफ्रीकी समाचारपत्रों के पत्रकारों द्वारा जारी किए गए विंड हॉक की घोषणापत्र की वर्षगांठ भी 3 मई को ही होती है।
4. प्रत्येक वर्ष इसी तिथि को प्रेस की आजादी के बुनियादी सिद्धांतों को याद किया जाता है।
5. विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी पत्रकार अपना काम निर्भय होकर करने की शपथ लेते है।
प्रेस स्वतंत्रता दिवस :
मीडिया (प्रेस) को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में माना जाता है, लेकिन इस स्तंभ पर भी अत्याचार कुछ कम नहीं होते। मीडिया की शक्ति और प्रभावित करने की क्षमता को देखते हुए कई असामाजिक तत्व व अपराधी प्रवृत्ति के लोग इसे अपनी गिरफ्त में ले लेना चाहते हैं। इसके लिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। ऐसे लोग कभी अपनी ताकत व पद का इस्तेमाल कर या कभी अपने जानकारों का इस्तेमाल कर इसे दबाने की कोशिश करते हैं। कई बार खबरें दबाने के लिए रिपोर्ट्स को धमकियां देकर भी डराया जाता है। इस तरह से अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म कर दिया जाता है। इसलिए 3 मई का दिवस प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके। साथ ही सरकारों का ध्यान भी इस तरफ खींचा जा सके।
विश्व इतिहास में तीन मई के नाम पर बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं। इस दिन कहीं गृहयुद्ध समाप्त हुआ तो कहीं शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुये। भारत में सिने जगत के इतिहास में 3 मई का दिन यादगार रहा क्योंकि इसी दिन भारत की पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चन्द्र’ तत्कालीन बम्बई (अब मुंबई) में प्रदर्शित हुई।
1660: स्वीडन, पोलैंड और ऑस्ट्रिया ने ओलिवा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1764: बंगाल के नवाब मीर कासिम को अंग्रेजों ने हराया।
1765: फिलाडेल्फिया में पहला अमेरिकी मेडिकल कॉलेज खुला।
1845: चीन के कैंटन में थियेटर में आग लगने से 1600 लोगों की मौत।
1913: पहली भारतीय फीचर फिल्म राजा हरिश्चन्द्र का प्रदर्शन।
1961: कमांडर ऐलन शेपर्ड अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अमेरिकी यात्री बने।
1965: कंबोडिया ने अमेरिका के साथ राजनयिक संबंध समाप्त किए।
1969: भारत के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन का निधन।
1981: भारतीय सिने अभिनेत्री नरगिस का निधन।
1989: देश के पहले 50 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का हरियाणा में शुभारंभ।
1993: संयुक्त राष्ट्र ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की।
1998: यूरो को यूरोपीय मुद्रा के रूप में स्वीकार किया गया।
2006: पाकिस्तान और ईरान ने द्विपक्षीय गैस पाइप लाइन करार पर दस्तखत किए।
2008: टाटा स्टील लिमिटेड को ब्रिटेन में कोयला खनन का पहला लाइसेंस मिला।
2013: चीन में डायनासोर का लगभग 16 करोड़ साल पुराना जीवाश्म मिला।