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वर्ष 2021 -22 में जम्मू कश्मीर पिछले वर्ष की तुलना में शिक्षा क्षेत्र में करीब 523 करोड़ रूपये ज्यादा खर्च किए जाएंगे

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 8th May. 2021, Sat. 4:33 PM (IST) : ( Article ) Kuldeep Sharma 1986 के बाद पहली बार यानी 34 साल बाद जम्मू कश्मीर में शिक्षा नीति बदल रही है। इसमें बच्चे के प्राइमरी स्कूल में एडमिशन से लेकर हायर एजुकेशन कर जॉब फोर्स से जुड़ने तक काफी बदलाव किए गए हैं। एजुकेशन पॉलिसी एक कॉम्प्रेहेंसिव फ्रेमवर्क होता है जो जम्मू कश्मीर में शिक्षा की दिशा तय करता है। यह पॉलिसी मोटे तौर पर दिशा बताता है और राज्य से उम्मीद है कि वे इसे फॉलो करेंगे। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट सरकार जम्मू कश्मीर व इसरो के वैज्ञानिक रह चुके शिक्षाविद के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने बनाया है। इससे पहले की शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी। उसमें ही संशोधन किए गए थे। लंबे समय से बदले हुए परिदृश्य में नई नीति की मांग हो रही थी। जम्मू कश्मीर में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में शिक्षा क्षेत्र में करीब 523 करोड़ रूपये ज्यादा खर्च किए जाएंगे , केंद्र शासित  प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र का बुनियादी ढांचा विकसित करने पर मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार 1873 करोड़ रुपये का निवेेश करने जा रही है। प्रदेश के आतंकवादग्रस्त और पिछड़े क्षेत्रों में 10 नए डिग्री कॉलेजों का बुनियादी ढांचा भी तैयार किया जाएगा। वर्ष 2021-22 के दौरान पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में शिक्षा क्षेत्र में करीब 523 करोड़ रूपये ज्यादा खर्च किए जाएंगे। शिक्षा विभाग के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान पूरे प्रदेश में 245 निर्माण कार्य पूरे किए जाएंगे। इनमें माॅडल स्कूल, कक्षाओं के लिए विभिन्न स्कूलों में नए कमरे, शौचालय और स्मार्ट कक्षाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा आतंकवाद से प्रभावित और पिछड़े इलाकों में 10 नए डिग्री कॉलेजों की इमारतें व अन्य ढांचा भी तैयार किया जाएगा। यह कॉलेज बनिहाल, कुपवाड़ा, गूल, किलौत्रान, माहाैर, कालाकोट, हादीपोरा, सिंगपोेरा, विलगाम और पाडर में हैं। इनके अलावा मौजूदा कॉलेजों में 108 अतिरिक्त कमरे भी बनाएं जाएंगे। इन 10 कॉलेजों में अत्याधुनिक साजो सामान से लैस साइंस लेबाेरेटरी भी बनायी जाएगी। इसके अलावा 1200 क्लास रूम को सूचना प्रौद्योगिकी से लैस स्मार्ट क्लास रूम में भी बदला जाएगा। कॉलेजों में छात्रों को विभिन्न प्रकार के कौशल सिखाए जा सकें, इसके लिए कौशल केंद्र भी प्रत्येक कॉलेज में तैयार किया जाएगा। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान कौशल दक्षता प्रशिक्षण एस-ई-टी योजना के तहत 10 हजार छात्रों को हुनरमंद बनाने के अलावा पूरे प्रदेश में चिन्हित किए गए 382 प्राथमिक स्कूलों में 19.10 करोड़ की लागत से 382 सीएएल (कंप्यूटर एडिड लर्निंग सेंटर) भी स्थापित किए जाएंगे। हाई व हायर सैकेंडरी स्कूलों में 3.85 करोड़ की लागत से 77 वोकेशनल लैब भी तैयार होंगी। जम्मू कश्मीर में 114.14 करोड़ की लागत से छात्राओं के लिए चिन्हित जगहों पर निर्माणाधीन छात्रावासों का निर्माण कार्य भी इस वर्ष पूरा किया जाएगा। इन पर करीब 114.14 करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष में 40 कस्तूरबा गांधी बालिक विद्यालयों की इमारतें भी तैयार कर ली जाएंगी। इन पर 43.33 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे। शिक्षा विभाग के अनुसार, पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों का इस वर्ष पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया जाएगा। उनमें पढ़ाई की सभी मौलिक सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। प्रत्येक जिलाधिकारी, जिला शिक्षाधिकारी और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस संदर्भ में लगातार फीड बैक प्राप्त कर, उसके आधार पर आगे के काम को बढ़ाया जा रहा है। फिलहाल शिक्षा का फोकस इस बात पर है कि कैसे लाभ हासिल किया जाए। लेकिन नए सिस्टम में पूरा फोकस व्यवहार पर आधारित शिक्षा पर होगा। स्कूलों में कक्षा 6 से ही व्यवसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी। इसमें इंटर्नशिप भी शामिल होगी। ताकि बच्चों को पास के किसी उद्योग या संस्था में ले जाकर फर्स्ट-हेंड एक्सपीरियंस दिया जा सकेगा। नई शिक्षा नीति में कम से कम कक्षा 5 तक बच्चों से बातचीत का माध्यम मातृभाषा/स्थानीय भाषा/ क्षेत्रीय भाषा रहेगी।  छात्रों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को विकल्प के रूप में चुनने का अवसर मिलेगा। त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्‍प शामिल होगा। भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज को मानकीकृत किया जाएगा और बधिर छात्रों के इस्तेमाल के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्‍तरीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी। स्कूलों के प्रशासनिक ढांचे को कई स्तरों पर बदला जा रहा है। स्कूलों को परिसरों या क्लस्टरों में बांटा जा सकता है, जो गवर्नेंस की मूल इकाई होगा। केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी बनाएंगे। एससीईआरटी सभी संबंधितों से परामर्श कर स्कूल क्वालिटी असेसमेंट फॉर्मेट बनाएगी। यह बदलाव जल्द नहीं होंगे बल्कि इसमें समय लग सकता है। यह एक प्रक्रिया की शुरुआत के तौर पर देखा जाना चाहिए।

 

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