………हम दो, हमारे दो’ के जरिए राहुल का मोदी सरकार पर वार, जानिए किसने और क्यों दिया था यह नारा…?
www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 11th Feb. 2021.Thu, 2:16 PM (IST) :नई दिल्ली : लोकसभा में गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषण के दौरान उस वक्त जमकर हंगामा मच गया, जब उन्होंने बजट पर चर्चा के दौरान अपने भाषण में किसान आंदोलन और कृषि कानून को लेकर बहस शुरू कर दी। सत्ता पक्ष के लोगों ने इसे नियमों के खिलाफ बताकर राहुल गांधी से बजट पर अपनी बात रखने की मांग की। इस दौरान सदन में मौजूद टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के सांसदों ने राहुल गांधी का पक्ष लिया और उन्हें बोलने न देने पर सत्ताधारी दल के सांसदों की आलोचना की। दरअसल, बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जब बोलने का मौका मिला तब उन्होंने कृषि कानूनों का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि कृषि कानून के इंटेंट और कंटेंट पर बात न किए जाने पर मोदी सरकार ने चिंता जताई थी, इसलिए आज वह उस पर बात करेंगे। राहुल ने इसके बाद कृषि कानूनों की व्याख्या करते हुए कहा कि इससे उद्योगपतियों को असीमित जमाखोरी का अधिकार दे दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘हम दो हमारे दो’ की सरकार है। राहुल का निशाना पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अंबानी और अडानी की ओर था। इसे लेकर सत्ता पक्ष के सांसदों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। बीजेपी के एक सांसद ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा खत्म हो गई है। ऐसे में अब उस पर चर्चा करके राहुल स्पीकर का अपमान कर रहे हैं। रूल बुक दिखाते हुए उन्होंने कहा कि मैं उन्हें (राहुल गांधी को) याद दिलाना चाहता हूं कि वह केवल बजट पर चर्चा करें। उन्होंने राहुल गांधी से उनके आरोपों को सिद्ध करने की भी चुनौती दी। इसके बाद अधीर रंजन चौधरी खड़े हुए और नियम बताते हुए कहा कि सदन में जनरल डिस्कशन की अनुमति है। बजट में एग्रीकल्चर का भी मुद्दा है, इसलिए इस पर बहस करना गलत नहीं है। अधीर रंजन के बाद टीएमसी सांसद सौगत रॉय भी राहुल गांधी के समर्थन में खड़े हो गए। उन्होंने स्पीकर को नियम समझाते हुए कहा कि अगर कोई माननीय सदस्य अपनी बात रख रहे हों तो उन्हें शोर या किसी अनुचित तरीके से डिस्टर्ब नहीं किया जाना चाहिए। फिर (सत्ता पक्ष के) लोग राहुल गांधी को डिस्टर्ब क्यों कर रहे हैं? राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि न देने पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने अपील की कि अपने भाषण के अंत में वह आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देंगे, तब सभी सांसद उनका साथ दें। इसके बाद जब राहुल किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए मौन हुए तो कांग्रेस सांसदों के साथ टीएमसी के सांसद भी खड़े हुए और किसानों को श्रद्धांजलि दी। टीएमसी के अलावा डीएमके के सांसदों ने भी खड़े होकर किसानों को श्रद्धांजलि दी। हालांकि, सत्ता पक्ष के सांसद राहुल का विरोध करते रहे।
हम दो, हमारे दो’ के जरिए राहुल का मोदी सरकार पर वार, जानिए किसने और क्यों दिया था यह नारा: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को तीन नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि यह ‘हम दो, हमारे दो’ की सरकार है। इस नारे के बहाने उन्होंने बिना नाम लिए मोदी सरकार को कुछ उद्योगपतियों के लिए काम करने वाली सरकार होने का आरोप लगाया। दरअसल, ‘हम दो, हमारे दो’ का बहुचर्चित नारा जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से दिया गया था। आइए सबसे पहले जानते हैं इस नारे के बारे में। भारत की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए इंदिरा गांधी सरकार ने ‘हम दो, हमारे दो’ का नारा दिया था। हालांकि, उनकी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण अभियान पर सवाल भी उठते हैं। इंदिरा गांधी सरकार पर लोगों की जबरन नसबंदी कराने के भी आरोप लगे थे। माना जाता है कि ‘हम दो, हमारे दो’ नारे को हिंदी के मशहूर कवि बालकवि बैरागी ने लिखा था। आइए अब बात करते हैं कि इस नारे के बहाने राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर किस तरह हमला किया। राहुल गांधी ने लोकसभा में आम बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि इन कानूनों से मंडिया खत्म हो जाएंगी और कृषि क्षेत्र कुछ बड़े उद्योगपतियों के नियंत्रण में चला जाएगा। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में बुधवार को दिए बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा था कि विपक्ष केवल आंदोलन की बात कर रहा है लेकिन कानूनों के कंटेंट और इंटेंट के बारे में नहीं बोल रहा है। मैं इन कानूनों के कंटेंट और इंटेंट के बारे में बताता हूं।’ पहले कानून का कंटेंट है यह है कि कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी कितना भी अनाज, सब्जी और फल खरीद सकता है। अगर खरीदी असीमित होगी तो फिर मंडी में कौन जाकर खरीदेगा। इसका कंटेंट मंडियां खत्म करने का है।’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘दूसरे कानून का कंटेंट है कि कुछ उद्योगपति जितना चाहें, उतना अनाज, सब्जी और फल जमा कर सकते हैं। इसका मतलब है कि दूसरे कानून का कंटेंट असीमित जमाखोरी शुरू करना है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘तीसरे कानून का कंटेंट यह है कि जब किसान अपनी उपज का सही दाम मांगेगा तो उसे अदालत में नहीं जाने दिया जाएगा।’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि एक कानून का ‘इंटेंट’ यह है कि इनके (सरकार के) दो मित्रों में से एक सबसे बड़े मित्र को सारे अनाज, सब्जी और फल को बेचने का अधिकार देना है। राहुल गांधी ने कहा कि इन कानूनों के बाद देश का कृषि क्षेत्र दो-चार उद्योगपतियों के हाथ में चला जाएगा। उन्होंने दावा किया कि इन कानूनों से मंडियां खत्म हो जाएंगी, कुछ उद्योगपति जमाखोरी करेंगे और लोग भूख से मर जाएंगे तथा देश रोजगार पैदा नहीं कर पाएगा। सत्तापक्ष के सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘सालों पहले परिवार नियोजन का नारा था, हम दो हमारे दे। जैसे कोरोना दूसरे रूप में आता है उसी तरह यह नारा आया है। यह हम दो, हमारे दो की सरकार है।’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ‘प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि उन्होंने विकल्प दिया है। इन्होंने भूख, बेरोजगारी और आत्महत्या का विकल्प दिया है। राहुल गांधी के भाषण के दौरान सत्तापक्ष के कई सदस्य यह कहते सुने गए कि कांग्रेस नेता को बजट पर बोलना चाहिए। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि बजट पर चर्चा हो रही है तो कांग्रेस सांसद को इस पर बात करनी चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी से अपील की कि वह बजट पर बोलें। इस दौरान सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कृषि बजट का हिस्सा है तो फिर इस पर बातचीत क्यों नहीं की जा सकती। सत्तापक्ष के सदस्यों के टोकने पर राहुल गांधी ने कहा कि किसान भी बजट का हिस्सा हैं, उनका आदर करिए।
किसान आंदोलन का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं है, यह देश का आंदोलन है। किसान रास्ता दिखा रहा है। एक आवाज़ से पूरा देश ‘हम दो हमारे दो’ की इस सरकार के खिलाफ उठने जा रहा है…किसान एक इंच पीछे नहीं हटने वाला, किसान आपको हटा देगा, क़ानून वापस लेना ही होगा। पने भाषण के आखिर में राहुल गांधी ने कहा कि वह किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में दो मिनट का का मौन रखेंगे। वह स्थान पर कुछ देर के लिए मौन खड़े रहे। उनके साथ कांग्रेस के सांसद भी खड़े हो गए। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आप लोगों ने सदन चलाने का अधिकार मुझे दिया तो सदन मुझे चलाने दीजिए।