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चीन के दबाव के आगे अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता करने का कोई सवाल ही नहीं है। भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन अगर सीमा की रक्षा की बात होगी तो किसी भी हद तक बढ़ने में कोई हिचक नहीं होगी: CHINA-INDIA-BORDER.jpg May 27, 2020: Young Organiser

लद्दाख भारत शांति का पक्षधर लेकिन रक्षा की बात होगी तो हिचक नहीं

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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 27 May 2020.

 Wed, 06:18 PM (IST) :Team Work:  Taru. R.Wangyal & Pawan Vikas Sharma

नई दिल्ली : चीन के दबाव के आगे अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता करने का कोई सवाल ही नहीं है। भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन अगर सीमा की रक्षा की बात होगी तो किसी भी हद तक बढ़ने में कोई हिचक नहीं होगी।  चीन ने पूर्वी लद्दाख में संघर्ष शुरू होने के बाद भारतीय इलाकों से सटकर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने लगा। अब उसने भारी संख्या में सैन्य ट्रकों को भी उतार दिया है जो जमीन भरने के काम आते हैं। चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी उन इलाकों में युद्ध जैसे हालात की तैयारी करने में जुट गया है। उसने इलाके में एक यात्री विमानों के लिए बने हवाई अड्डे को मिलिट्री बेस में तब्दील करना शुरू कर दिया है। भारत और चीन के बीच कम-से-कम चार समझौतों के जरिए सीमा प्रबंधन का तंत्र विकसित हुआ जो अब भी कारगर है। इन समझौतों में 1993 और 1996 के समझौते, 2005 से विश्वास बहाली के उपाय और फिर 2013 के सीमा समझौता शामिल हैं। इन समझौतों ने ऐसा तंत्र दिया है जिसके तहत चीन और भारत सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाते रहे हैं और 1967 के बाद से अब तक कोई खूनी झड़प नहीं हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का वुहान सम्मेलन के साथ-साथ दोनों देशों अन्य राष्ट्राध्यक्षों के बीच शिखर वार्ताओं के केंद्र में भी यही समझौते हैं। भारतीय सीमा में भी अतिक्रमणसूत्रों ने बताया कि चीन सड़कों के जरिए सैनिकों को एलएसी पर जुटाना करना शुरू किया। उसने कई इलाकों में सैनिकों का भारी दलबल तैनात कर दिया और इसी क्रम में उसने कुछ जगहों पर भारतीय सीमा में अतिक्रमण भी कर लिया। उन्होंने कहा कि संघर्ष शुरू होते ही चीन ने बड़ी सफाई से इलाके में अपने सैनिकों की तादाद बढ़ाकर भारतीय सैनिकों को हैरान कर दिया था। चीन ने ट्रकों और दूसरे बड़े वाहनों में सैनिकों को सीमा की तरफ लाकर तैनात कर दिया। गारा ढोने वाले ट्रकों में भी आए चीनी सैनिकसैनिकों की संख्या बढ़ाने में चीन की जल्दबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने सैनिकों को उन ट्रकों में भी बोज दिया जिनका इस्तेमाल एयरफील्ड के विस्तार के लिए गारे की ढुलाई में किया जाता है। सूत्रों ने कहा कि वेस्टर्न हाइवे प्रॉजेक्ट समेत पिछले कई दशकों में तैयार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने चीन को तेजी से अपने सैनिकों की ढुलाई में मदद पहुंचाई। चूंकि विभिन्न समझौतों के तहत एलएसी पर दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गोलियां नहीं चलाने को बाध्य हैं, ऐसे में सैनिकों की संख्या के जरिए ही एक-दूसरे को छोटा दिखाने की कोशिश होती रहती है। जिस पक्ष के पास जितनी तेजी से सैनिकों को बॉर्डर पर लाने की क्षमता है, वो इस खेल में दूसरे पर बढ़त हासिल कर लेगा। चीन इस माइंड गेम में भारत को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता है। यही कारण है कि वह सीमाई इलाकों में भारत के आधारभूत ढांचों के निर्माण में दखलंदाजी करता रहता है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास भारत की तरफ से हो रहे निर्माण कार्यों पर वह लगातार आपत्ति जताता रहा है लेकिन इन आपत्तियों को तवज्जो नहीं मिलता देख वह दबाव की रणनीति अपनाने लगा। इस रणनीति के तहत चीन ने इलाके में विवादित स्थानों पर अपने सैनिक तैनात कर दिए। सूत्रों ने कहा कि दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली नई सड़क और आसपास के इलाकों में आम नागरिकों और सेना की आवाजाही बढ़ने से चीन की बौखलाहट बढ़ गई है। दूसरे सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी नेता जो बयान दे रहे हैं, उसका पूर्वी लद्दाख में चीन की कार्रवाइयों से कोई लेनादेना नहीं है। क्या तनाव की मौजूदा स्थिति और बिगड़ सकती है क्योंकि चीन ने भारत से अपने विद्यार्थियों एवं अन्य नागरिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है इस सवाल पर सूत्रों का कहना है कि भारत से अपने नागरिकों को बुलाने का लद्दाख में जारी संघर्ष से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में चीनी नागरिक अपनी सरकार से खुद को भारत से निकालने की गुहार लगा रहे थे जिसे चीनी सरकार ने अब तवज्जो दी।

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