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युवाओं को शेयर बाजार की फिक्र नए इन्वेस्टर में 25-30 साल वाले बढ़े

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 9th May. 2021, Sun. 2:36 PM (IST) : ( Article ) Siddharth & Kapish ,सेंसेक्स 10 साल में जितना नहीं उछला, कोरोना के 10 महीने में उछल गया 2010 से शेयर बाजार नियमित गति से बढ़ रहा था। 30 सितंबर 2010 को सेंसेक्स 20,069 अंक पर था, जो 20 जनवरी 2020 को इंट्रा-डे में 42,273 अंक तक पहुंचा था। इस दिन बाजार 41,528 पर बंद हुआ ‌था। यानी डबल होने में 10 साल लगे थे। लेकिन 23 मार्च 2020 को लुढ़कर 25,981 पर आ गया। इसका मतलब जनवरी से मार्च के बीच करीब 40% की गिरावट आई। कोरोना महामारी और लॉकडाउन से घबराए डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) ने शेयर बेचकर पैसे निकालने शुरू किए। उसी दौर में विदेशी सेंट्रल बैंक भी अपनी इकोनॉमी बचाने के लिए उभरते बाजार की तरफ रुख करने लगे। नतीजतन 10 महीने में पिछले 10 साल से ज्यादा की बढ़ोतरी लेकर BSE सेंसेक्स जनवरी 2021 में 50,183 अंक पर पहुंच गया। कोरोना और लॉकडाउन के खतरे के बावजूद भारत के शेयर मार्केट में तेजी के पीछे बड़ी वजह फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) का सिर्फ 2020 में 1.70 लाख करोड़ रुपए का भारी इन्वेस्टमेंट भी रहा।

                                                     भारत में निवेश की तीन खास वजहें

 

  1. प्रोत्साहन पैकेजः केआर चौकसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड के देवेन चौकसी ने कहा, ‘मार्च के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रोत्साहन पैकेज दिया जाना महत्वपूर्ण रहा। करीब 8 ट्रिलियन डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज दिया गया। इससे लिक्विडिटी बढ़ी और हर अर्थव्यवस्था में पैसा पहुंचा। बहुत से इन्वेस्टर्स ने चीन के ऊपर भारत को वरीयता दी। बीएनपी परिबास की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की बड़ी कंपनियां और अच्छे स्टॉक्स हैं, जो इसे अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में ज्यादा लुभावना बनाते हैं।

 

  1. ब्याज दरों में कटौती: लिक्विडिटी के अलावा जिस चीज ने मार्केट की मदद की, वह ब्याज दरों में कटौती थी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने मार्च में रेपो रेट को 75 बेसिस प्वाॅइंट कम किया। बाद में मई में फिर से इसे 40 बेसिस प्वाॅइंट और कम किया गया। वर्तमान में रेपो रेट 4% है, जो फरवरी, 2019 के मुकाबले 250 बेसिस प्वाॅइंट कम है। इस पर चौकसी कहते हैं, ‘तेल के कम दामों ने आयात बिल को कम किया और अर्थव्यवस्था को फायदे में लाने का काम किया। कम ब्याज दरों ने कर्ज देने वाले संस्थानों के स्वास्थ्य को भी अच्छा किया। इसके अलावा बेहतरीन कृषि उपज ने निवेशकों की भावनाओं को मजबूत किया।
  2. निवेशकों की परिपक्वता: चौकसी कहते हैं, ‘निवेशक मेच्योर हैं और वे अपने निवेश को एक सेक्टर से निकालकर दूसरे सेक्टर में लगा रहे हैं। वे एक साथ पूरा पैसा नहीं निकाल रहे। इसलिए कभी फार्मा सेक्टर बढ़ रहा है, कभी आईटी सेक्टर और कभी केमिकल सेक्टर। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस वक्त शेयर बाजार में बुलबुला है जो फूट सकता है। मार्केट में 10-15% का करेक्शन कभी भी हो सकता है। सक्षम वेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर समीर रस्तोगी का मानना है कि पिछले 10 महीनों में शेयर बाजार में उछाल के साथ ही स्टील, जिंक, कॉपर जैसी कमोडिटी के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है। इससे दुनियाभर की कंपनियों को अपने सामान के दाम बढ़ाने पड़े। इससे महंगाई बढ़ने की संभावना है। महंगाई बढ़ने पर शेयर बाजार सिकुड़ता है। ऐसे में स्टॉक्स में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि पटरी पर लौटती अर्थव्यवस्था, कोविड-19 का टीका, कंपनियों का मुनाफा बढ़ने के साथ बाजार में निवेश बढ़ेगा। इससे ये तेजी बरकरार रह सकती है। यस सिक्योरिटीज के सीनियर प्रेसिडेंट अमर अंबानी, BNP परिबास के इंडिया इक्विटी रिसर्च हेड अमित शाह समेत कई एक्सपर्ट्स ये मान रहे हैं कि 2025 तक BSE सेंसेक्स एक लाख अंक के पार पहुंच जाएगा। 21 से 28 जनवरी के बीच बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स करीब 3000 अंक गिरा है। फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) पैसा निकाल रहे हैं। FIIs ने इक्यूटी मार्केट से 25 जनवरी को शुद्ध रूप से 839 करोड़ का शेयर बेचा। तब सेंसेक्स 531 अंक टूटा। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख विनोद नायर बताते हैं, ‘जनवरी खत्म होते-होते विदेशी इन्वेस्टर भारतीय मार्केट को लेकर सतर्क हो चुके हैं। इनकी मुनाफा वसूली भी वर्तमान गिरावट की बड़ी वजह है।’ तो आइए जानते हैं कि इस दिनों भारतीय शेयर बाजार में चल क्या रहा है? एक्‍सिस सिक्योरिटीज के MD बी गोपकुमार कहते हैं, ‘वो जमाना गया, जब शेयर बाजार के उछलने-गिरने से 10-15 टियर-1 शहरों में रहने वाले खुश और हताश होते थे। अब टियर 2-3 शहर के 15 हजार कमाने वाले के पैसे भी मार्केट में लगे हैं।’ जिरोधा के सह-संस्थापक और CEO निखिल कामथ कहते हैं कि नए इन्वेस्टर में 25-30 साल वाले बढ़े हैं। यानी अब देश के युवाओं को शेयर बाजार की फिक्र है।

 

 

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