इसकी जिम्मेदारी किसके सर
1) आलोक कुमार तो अपने नाम के मुताबिक यातायात में नागरिको के लिए न तो दिपक और न हीं कोई प्रकाश ला पाए (आई जी ट्रैफिक आलोक कुमार ने जब पद भार संभाला तो शहर की ट्रैफिक एक दम से सही और सुचीबद्य तरीके से चल रही थी।) कुंवर की कलम से।
2) लेकिन हां बसंत रथ जरुर अपने नाम के मुताबिक यातायात में नागरिकों को बसंत का महिना देने में नहीं चूके (बसंत रथ ने जब पदभार संभाला तो शहर की सड़कों की हालत यातायात के मामले में ऐसे ही थी जैसे कि वर्तमान में है।) पी.वी. शर्मा की कलम से।
कुंवर, जम्मू। शहर का हर नागरिक इस से भलीभांती परिचित है कि हमारे शहर के अन्दर नवीन यातायात प्रणाली के यंत्र एवं उनके सिपाही हर चौंक पर तैनात हैं, यह बात अलग है कि जिन सिपाहियों को यंत्रो की देखरेख एवं यातयायत प्रणाली धवस्त न होने के रोकने के लिए लगाया गया है वह सारा दिन यां तो फोन पर गप्पें हांकने में तो या फिर सड़को पर आते जाते नागरिकों से धन उगाही कैसे की जाए इसमें ही अपना सारा समय गुजार देते है। दुसरी तरफ बात करें नवीन यातायात प्रणाली की तो नागरिक इस बात से भली भांती परिचित हैं कि हर चौंक में लगे यातायात नियंत्रण उपकरण जिन्हें हम आसान भाशा में रैड लाईट सिगनल भी उचारते हैं वह इस तरह से हर चौंक पे मौन खड़े हैं जैसे इनमें सिगनल देने की क्षमता का उपकरण इंजिनियर लगाना भुल गया हो।
आज शहर के नागरिक को सड़कों पर एक किल्लोमीटर का सफर तै करने में 35 से 40 मिनट लग रहे हैं। हैरत है हमारे शहर के नागरिक इतनी बुरी तरह से सताए जाने पर भी खामोश कैसे हैं और नागरिक इस से भी भली भांती परिचित हैं कि हमारे शहर में 15 से 20 ऐसे संगठन कार्यरत है जो कि अपने आप को एक बड़े संगठन का नेता बताने में कतराते नहीं। मानों इन सभी संगठनों ने भी अपनी आंखों पर पट्टी व कानों में रुई ठुस रखी है। क्योंकि इनमें से भी कोई संगठन आगे आकर अबतक बुरी तरह से ध्वस्त पड़ी यातायात प्रणली के खिलाफ विद्रोह प्रदर्षन नहीं कर पाया।
आज से करीब दो महीना पहले ततकालीन आई जी ट्रैफिक बसंत रथ ने लगभग 8 महीना मेहनत कर के जम्मू शहर एवं कश्मीर शहर के अन्दर यातायात प्रणली को पटरी पर लाया, पर अफसोस जिस शक्स ने अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए नागरिकों को सड़को पर वाहन चलाना एवं वाहन को चनलाने के बाद सड़को पर कैसे और कहां खड़ा करना है सिखाया और तो और इस भले मानुष ने सड़को पर अक्सर लगने वाले जाम को युं नागरिकों की खुली आंखों के सामने जाम शब्द को गायब कर दिया मानों किसी ने जादु की शड़ी से दिन में सड़कों पर लगने वाले जाम को एक कहावत की शकल दे दी हो। इस भले मानुष बसन्त रथ ने शहर की पटड़ियों पर लगने वाली दुकानों एवं शहर की सड़कों पर दौड़ने वाली रेहड़ियों को भी उनकि जगह बताई कि तुम लोग सड़को और पटड़ियों को छोड़ कर जम्मू नगर निगम द्वारा चिन्हित की हुई जगहों पर ही अपने साजो सामान को बेचोगे अन्यथा तुम्हारे साथ बुरा बरताव भी जम्मू पुलिस द्वारा किया जा सकता है। इस भले मानुष कि अच्छी कार्यकरनी पर पड़दा डालने का काम एक विडियो ग्राफी कर गयी। इस विडियो ग्राफी में गिन्ती के कुछ व्यक्तियों के साथ बुरा बरताव करने के आरोप लगाए गए तथा इसे इसके ओहदे आई जी ट्रैफिक बसंत रथ से ट्रांसफर ही करा दिया गया।
अब बात करें विडियो ग्राफी की, क्योंकि आज का नागरिक खाना खाए न खाए लेकिन दिन में आठ दस बार मोबाईल पे वहटसएैप, ट्वीटर एवं फेसबुक देखने से चुकता नहीं। इन्हीं सब एप्स का सहारा लेकर बसंत रथ का तबादला करवाने में भ्रश्टाचारी, घुसखोरों और इसके साथ-साथ कुछ रसुख दार लोग कामयाबी हासिल कर पाए। नागरिकों को इस बात का इल्म होना चाहिए कि विडियोग्रफी में आप वही देख पाओगे जो कि विडियो ग्राफर शुट करके आप तक पहुंचाने की मंश रखता हो। तो फिर इस भले मानुश का हमें नहीं लगता कोई कसुर है।