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मोदी सरकार का मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया गया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया

* * *1986 में जब सेंसेक्स की शुरुआत हुई तो इसका बेस इयर 1978-79 को रखा गया * * *

  www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 11th Jul. 2021, Sun. 04: 55  AM (IST) : टीम डिजिटल: ( Article ) Siddharth &  Kapish 1986 में जब सेंसेक्स की शुरुआत हुई तो इसका बेस इयर 1978-79 को रखा गया और बेस 100 पॉइंट बनाया गया। जुलाई 1990 में ये आंकड़ा 1000 पॉइंट पर पहुंच गया। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद सरकार ने दरवाजे खोले और बिजनेस करने के कानून में बदलाव किया। मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया गया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया। इसने सेंसेक्स में गति बढ़ाई। सेंसेक्स 35 साल का हो चुका है। 1986 में इसकी शुरुआत हुई। तब इसका बेस 100 रखा गया था। चार साल बाद ये चार अंकों पर पहुंचा। तो पांच अंकों तक पहुंचने में इसे 20 साल लगे। आइए जानते हैं सेंसेक्स कब हजार से 10 हजार, 10 से 20 हजार, 20 से 30 हजार, 30 से 40 हजार और अब 50 हजार तक पहुंचा। और क्यों पहुंचा? इसके बाद इसमें कब और कितनी गिरावट आई? शेयर बाजार के लिए बीता हफ्ता नए कीर्तिमान लेकर आया। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण पढ़ने के साथ-साथ बाजार ने बढ़ना शुरू किया और बढ़ता ही रहा। इस पूरे हफ्ते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी ठैम् का इंडेक्स सेंसेक्स 4445.86 पॉइंट्स बढ़ा। बजट के दो दिन बाद यानी 3 फरवरी को सेंसेक्स पहली बार 50 हजार के ऊपर बंद हुआ। उसके बाद 4 और 5 फरवरी को 50 हजार के ऊपर ही इसकी क्लोजिंग हुई।इससे पहले अमेरिका में जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के अगले दिन 21 जनवरी को सेंसेक्स ने पहली बार 50 हजार का आंकड़ा छुआ था। हालांकि, उस दिन सेंसेक्स की क्लोजिंग 50 हजार के नीचे हुई थी। उसके बाद से बाजार गिरता ही रहा। इससे पहले 2019 में सेंसेक्स ने 40 हजार का आंकड़ा पार किया था। इसमें सबसे पहले सर्विस इंडस्ट्री, यानी बैंकिंग, टेलीकॉम और आईटी सेक्टर्स की कंपनियों को शामिल किया गया। इसके बाद 90 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में आईटी कंपनियों में तेजी से हो रहे डेवलपमेंट को देखते हुए पुरानी कंपनियों की जगह टीसीएस और इन्फोसिस को शामिल किया गया। उदारीकरण के बाद से ही भारत की बड़ी कंपनियां घरेलू बिक्री पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। ये सभी कंपनियां एक्सपोर्ट के जरिए बिजनेस बढ़ाती रही हैं। वहीं आईटी सेक्टर में आउटसोर्सिंग की वजह से इन्फोसिस जैसी कंपनियों को फायदा हुआ है। टाटा जैसी ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी ने यूके जैसे विकसित बाजारों में कदम रखा है। फरवरी 2006 में सेंसेक्स पहली बार 10 हजार के आंकड़े को पार कर गया। इसकी एक वजह ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में बूम होना भी था। इसके बाद भी सेंसेक्स में तेजी का दौर जारी रहा। एग्रेसिव परचेज के चलते 2006 और 2007 में सेंसेक्स में बढ़त जारी रही। ग्लोबल मार्केट में कैश फ्लो बढ़ने से दिसंबर 2007 में सेंसेक्स ने 20 हजार का आंकड़ा छू लिया। जो बाजार 22 महीने में 10 से 20 हजार तक पहुंचा था, वो 2008 की आर्थिक मंदी में टूटकर दस हजार के करीब पहुंच गया। 2009 में हुए सत्यम घोटाले के बाद ये और गिरा और दस हजार के भी नीचे आ गया। 2009 के लोकसभा चुनाव और न्च्। की जीत के बाद ये फिर से तेजी से बढ़ने लगा और नवंबर 2010 में ये 21 हजार के आंकड़े तक पहुंच गया। 6 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए। नरेंद्र मोदी पहली बार सत्ता में आए। मोदी सरकार का सेंसेक्स ने भी स्वागत किया और पहली बार 25 हजार के आंकड़े को छुआ। दस महीने बाद 4 मार्च 2015 को सेंसेक्स ने 30 हजार के आंकड़े को छू लिया।सितंबर 2016 में दुनियाभर के बाजारों में मंदी के संकेत और चीन के खराब आर्थिक अनुमान के कारण सेंसेक्स एक बार फिर से 25 हजार के नीचे आ गया। इसके बाद बिहार चुनाव नतीजों और नोटबंदी के दौरान भी ठैम् को बड़े झटके लगे। नोटबंदी के अगले दिन 9 नवंबर 2016 को सेंसेक्स में 1689 अंकों की गिरावट आई थी। 23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए। एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार की सत्ता में वापसी हुई। बाजार ने भी नतीजों पर जश्न मनाया और पहली बार 40 हजार के आंकड़े को छुआ। 4 दिसंबर 2019 को बाजार 45 हजार के आंकड़े को छू चुका था। इसके बाद कोरोना ने दस्तक दी और बाजार का गिरना शुरू हुआ।23 मार्च 2020 यानी जनता कर्फ्यू के अगले दिन बाजार 25,981 के निचले स्तर तक पहुंच गया। यानी चार महीने से भी कम समय में करीब 20 हजार अंकों की गिरावट आई, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बाजार ने धीरे-धीरे बढ़ना शुरू किया। 2021 के पहले ही महीने में सेंसेक्स ने बड़ी छलांग लगाई। 20 जनवरी को अमेरिका में जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली और उसके अगले दिन 21 जनवरी को सेंसेक्स ने पहली बार 50 हजार का आंकड़ा पार किया। हालांकि, उस दिन बाजार 49,624 पॉइंट्स पर बंद हुआ था। इसके बाद मार्केट गिरते-गिरते 46,285 पर आ गया। 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने जब बजट पेश किया, तो बाजार ने इसका स्वागत किया। उसी दिन बाजार 2,314 पॉइंट्स की बढ़त के साथ 48,600 पर बंद हुआ। उसके बाद 3 फरवरी को पहली बार सेंसेक्स 50 हजार के ऊपर बंद हुआ।

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