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भारत ने विश्व के 133 देशों तक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन HCQ tablets पहुंचाकर चीन को मेडिकल डिप्लोमेसी में कड़ी टक्कर दी है: .jpg May 17, 2020 Young organiser

भारत का विश्व के 133 देशों तक Tablets HCQ पहुंचा

www.youngorganiser.com …अब अफ्रीकी देशों तक पहुंचाएगा HCQ Tablets

Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 17 May 2020.

 SUN, 01:14 PM (IST) :Team Work:   Siddharth, Kapish, Sampada Kerni & Taru. R.Wangyal

नई दिल्ली : कोरोना संकट से इस वक्त पूरा विश्व जूझ रहा है। ऐसे में विश्व के तमाम देशों को मेडिकल सामग्री की जरूरत पड़ रही है। भारत ने विश्व के 133 देशों तक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन HCQ tablets पहुंचाकर चीन को मेडिकल डिप्लोमेसी में कड़ी टक्कर दी है। दरअसल, कोरोना संकट के समय भारत मेडिकल डिप्लोमेसी के मामले पर चीन को कड़ी टक्कर दे रहा है। चीन इस मामले में काफी सक्रीयता दिखा रहा था। उसने विश्व के तमाम मुल्कों को कोरोना से संबंधित राहत सामग्री जैसे पीपीई किट, जांच किट, वेंटिलेटर और भी तमाम सामान भेजकर अपनी दयालू छवि पेश की। लेकिन चीन के सामानों में बहुत सारी खामियां मिली। भारत ने भी चीन से मदद मांगी थी लेकिन उसकी जांच किट का रिजल्ट खराब आने के बाद उसको वापस करने का फैसला ले लिया गया।

अभी तक नहीं मिला कोई ठोस इलाज : कोरोना को लेकर अभी तक कोई ठोस दवा सामने नहीं आई है। इसका इलाज अभी तक संभव नहीं हो पाया है। हालांकि विश्व के कई देशों ने दावा किया है कि उन्होंने वैक्सीन बनाई है और वो अंतिम पड़ाव पर हैं लेकिन उसके ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं। भारत में बनने वाली एंटीमलेयिरल दवा ने इस बीमारी पर जरूर कुछ काबू पाया है। विश्व के तमाम देशों ने भारत से इस दवा की मांग की है और भारत ने उन सभी देशों को दवा भेजी भी है। भारत से पहले दुनियाभर की मीडिया चीन की तारीफ कर रही थी। चीन ने पीपीई किट सहित तमाम मेडिकल के सामानों को दूसरे देशों में भेजा था लेकिन अब भारत ने लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों तक दवाई की मदद पहुंचाकर कूटनीतिक सफलता पाई है। अब तक 24 देशों को भेजी गई दवाएं: अमेरिका के कई देशों ने भारत से एंटीमैरियल दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) खरीदी है। सरकार ने अबतक इसे 24 देशों को अनुदान सहायता के रूप में ये दवाई निर्यात की हैं। अब भारत मुख्य रूप से लैटिन अमेरिका और कैरिबियन (LAC) में फैले 52 और देशों और अफ्रीका में भी मेडिकल से संबंधित सामान अनुदान के साथ पहुंचना चाहता है। चीन ने पिछले कुछ महीनों में लैटिन अमेरिका और अफ्रीका दोनों को सहायता प्रदान की है।

5 मिलियन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वी टैबलेट : आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि भारत ने 28 अमेरिका और कैरिबियन देशों के लिए 5 मिलियन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वी टैबलेट और 19 अफ्रीकी देशों में 100,000 टैबलेट भेजी थीं। भारत अगले कुछ हफ्तों में 90 से अधिक देशों को अनुदान के रूप में कोरोना वायरस रोकथाम से संबंधित सामान की आपूर्ति करेगा। सभी सत्तर देशों को भारत से अनुदान सहायता के रूप में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वी गोलियां प्राप्त होंगी। सब मिलाकर 133 देशों को भेजी गई मददवाणिज्यिक और अनुदान दोनों आधारों पर, भारत ने 133 देशों (446 मिलियन एचसीक्यू टैबलेट और 1.54 बिलियन पेरासिटामोल टैबलेट) को दवाओं की आपूर्ति की है। नेशनल डिफेंस कॉलेज के एक कार्यक्रम में विदेश सचिव हर्ष सिंगला ने कहा कि 24 देश जोकि पहले ही दान के रूप में एचसीक्यू प्राप्त कर चुके हैं, उन देशों में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान और मालदीव जैसे भारत के पड़ोसी हैं।

एल.ए.सी देशों के लिए 5 मिलियन टेबलेट्स :एल.ए.सी देशों के लिए 5 मिलियन गोलियों में से, पेरू को 900,000 और वेनेजुएला को 740,000 मिलेंगे। भारत ग्वाटेमाला में 500,000 टैबलेट, इक्वाडोर को 400,000 और क्यूबा, बोलीविया और हैती में प्रत्येक को 300,000 भेजेगा। अफ्रीका में, भारत HCQ को गिनी बिसाऊ, काबो वर्डे, नाइजीरिया, लाइबेरिया, बेनिन, मोजाम्बिक, इथियोपिया, मलावी, नामीबिया, केन्या, चाड, सिएरा लियोन, कांगो गणराज्य, स्वाज़ीलैंड, ज़िम्बाब्वे, सेनेगल, गिनी, गाम्बिया और इक्वेटोरियल को दान देगा गिनी।चीन के बाद भारत ने की सबसे ज्यादा मददएक अधिकारी ने कहा, ‘हम पहले ही 24 मिलियन एचसीक्यू टैबलेट 24 देशों को दे चुके हैं। लगभग 7 मिलियन अधिक एलएएन देशों और अफ्रीका को दान किए जाएंगे। सीरिया, किर्गिस्तान, माल्टा और मोल्दोवा को इन टैबलेटों की आपूर्ति करने का भी प्रस्ताव है। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले एक महीने में, चीन ने लैटिन अमेरिका और अफ्रीका दोनों को सहायता प्रदान की है। जहां देशों को वेंटिलेटर, सर्जिकल मास्क और परीक्षण किट जैसे उपकरणों की तीव्र कमी का सामना करना पड़ रहा है। महामारी ने भारत को एचसीक्यू और पेरासिटामोल जैसी भारत में निर्मित दवाओं की मांग में तेजी के साथ दुनिया भर के देशों तक पहुंचने का अवसर प्रदान किया है।अमेरिका ही नहीं, कोरोना संकट से जूझ रहे 55 देशों को मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भेज रहा है भारतभारत कोरोना संकट से जूझ रहे 55 देशों को मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भेजने की तैयारी में है। अधिकारियों ने बताया कि कई देशों को तो दवाई बेची जा रही जबकि कुछ देशों को इस महामारी से लड़ाई में मदद के तौर पर दवा भेजी जा रही है। अमेरिका, मॉरिशस और सेशेल्स जैसे कुछ देशों को तो कुछ दिनों पहले ही यह टैबलेट भेजा जा चुका है। बाकी देशों को इस सप्ताहांत तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप मिल जाएगी।

पाबंदी हटते ही आने लगे ऑर्डर पर ऑर्डर : हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को यूएस फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने कोविड-19 बीमारी का संभावित इलाज बताया। संस्था इस टैबलेट का न्यूयॉर्क के 1,500 से ज्यादा कोरोना मरीजों पर आजमा भी रही है। यही कारण है कि जब भारत ने इस दवा के निर्यात पर लगा प्रतिबंध उठाने का फैसला किया तो पिछले कुछ दिनो से इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग में बड़ा इजाफा देखा गया।

न पड़ोसियों को भेजी जा रही दवाई : भारत अपने पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, मॉरिशस, श्रीलंका और म्यांमार को यह दवा भेज रहा है। यह अभी पता नहीं चला है कि पाकिस्तान ने भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मांग की है या नहीं? इन देशों को भी मिलेगा हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन:भारत इन पड़ोसी देशों के अलावा जिन देशों को दवा भेज रहा है, उनमें जांबिया, डोमिनिकन रिपब्लिक, मेडागास्कर, युगांडा, बुर्कीना फासो, नाइजर, माली कॉन्गो, मिस्र, अर्मेनिया, कजाखिस्तान, इक्वाडोर, जमैका, सीरिया, यूक्रेन, चाड, जिंबाब्वे, फ्रांस, जॉर्डन, केन्या, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान और पेरू शामिल हैं। साथ ही, फिलिपींस, रूस, स्लोवानिया, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) उज्बेकिस्तान, उरुग्वे, कोलंबिया, अल्जीरिया बहामास और यूनाइटेड किंगडम (यूके) को भी मलेरिया रोधी टैबलेट भेजा जा रहा है। ट्रंप के आग्रह पर भारत ने उठाया प्रतिबंधअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टेलिफोन पर हुई हालिया बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगी पाबंदी हटाने का आग्रह किया था। ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका में कोविड-19 मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, लिहाजा उसे यह दवाई बेचने की अनुमति दी जाए। उसके बाद भारत ने दवा का निर्यात दोबार बहाल कर दिया।

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