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बेरोजगार नौजवानों कमाने की है इच्छा तो करें इन 10 देशों का रुख

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 12th Jun. 2021, Sat. 11: 16  PM (IST) : टीम डिजिटल: Sampada Kerni :   बैंक विभिन्न कर्जा योजनाओं के माध्यम से नौजवानों को मजबूत बनाने के लिए पढ़े लिखे बेरोजगार नौजवानों को अधिक से अधिक ऋण प्रदान करें ताकि वे सशक्त हो सकें। बैंकों को सीडी रेशों बढ़ाने की जरूरत बैंकों को इस दिशा में ध्यान देने के लिएजिले के विभिन्न बैंकों द्वारा कर्ज योजना वर्ष 2020-21 के अंतर्गत मार्च 2021 तक कुल 15323.61 करोड़ रुपये कर्ज के तौर पर दिए गए जबकि लक्ष्य 15120.07 करोड़ रुपये का था। इसमें से प्राथमिकता क्षेत्र में को 14276.15 करोड़ रुपये के कर्जे दिए गए जबकि गैर प्राथमिकता क्षेत्र में 1046.47 करोड़ रु पये के कर्जे दिए गए। प्राथमिकता क्षेत्र में 8991.99 करोड़ रुपये कृषि के लिए, 2513.48 करोड़ रु पये गैर कृषि क्षेत्र के लिए और 2770.68 करोड़ रुपये अन्य प्राथमिकता क्षेत्र को कर्जे के तौर पर दिए गए। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा गरीब लोगों का बीमा किया जाए। इसी तरह बैंकों की ओर से दिए गए कुल कर्जे की रकम जो कि मार्च 2020 में 8678.67 करोड़ रुपये थी, मार्च 2021 में बढ़ कर 9428.89 करोड़ रुपए हो गई। जिले के बैंकों में मार्च 2020 में 2167 किसानों को 126.89 करोड़ रुपये किसान कार्ड जारी किए गए हैं ओर जो बेरोजगार नौजवानों बाहर देश का रुख करना चाहते हैं तो बहुत से लोगों की इच्छा होती है कि वे विदेश में जाकर अच्छी सैलरी वाली जॉब करें और पैसा कमाएं. ऐसे में बहुत से लोग हर साल विदेश का रुख करते हैं. लेकिन ऐसे में ये भी सवाल उठता है कि आखिर किस देश में सबसे ज्यादा सैलरी दी जाती है. आइए ऐसे ही 10 देशों के बारे में जाना जाएं, जहां कर्मचारियों को सबसे अधिक सैलरी दी जाती है. अगर आप विदेश जाकर काम करने का मन बना रहे हैं तो इन देशों का रुख भी कर सकते हैं। मध्य यूरोप में स्थित ऑस्ट्रिया एक छोटा सा देश है. जीवन की गुणवत्ता के मामले में ऑस्ट्रिया को अक्सर शीर्ष देशों में स्थान दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक है. इसके अलावा ऑस्ट्रिया में औसतन सैलरी भी बहुत अधिक है. यहां काम करने वाले लोगों को औसतन सालाना 50 हजार डॉलर (करीब 36 लाख रुपये) के करीब तनख्वाह मिलती है। नॉर्वे की पहचान इसके प्राकृतिक नजारों और साफ शहरों के लिए होती है. नॉर्वे भी दुनिया के उन देशों में शामिल हैं, जहां लोगों को सबसे ज्यादा वेतन दिया जाता है. यहां पर औसतन सालाना सैलरी 51 हजार डॉलर (करीब 37 लाख रुपये) है। इसके अलावा, नॉर्वे में तेल भी प्रचुर मात्रा में मौजूद है. इस वजह से देश की अर्थव्यवस्था काफी अच्छी है। यूरोप में स्थित बेल्जिय में तीन आधिकारिक भाषाएं बोली जाती हैं, इसमें फ्लेमिश डच, फ्रेंच और जर्मन शामिल है. दूसरी ओर, कार्यस्थल पर अंग्रेजी भी बोली जाती है. बेल्जियम में सैलरी बहुत अधिक है. बेल्जियम में औसतन सालाना सैलरी 52 हजार डॉलर (लगभग 38 लाख रुपये) है। ऑस्ट्रेलिया को सुंदर समुद्री तटों और जहरीले सांपों के अलावा उसकी आर्थिक शक्ति के लिए भी जाना जाता है। देश की आव्रजन नीति काफी सरल है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो देश में पढ़ाई पूरी कर ऑस्ट्रेलिया में काम करना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया में कर्मचारियों की औसतन सालाना सैलरी 53 हजार डॉलर (लगभग 39 लाख रुपये) है। यूरोप में स्थित नीदरलैंड एक और देश है, जहां आप जाने का मन बना सकते हैं, यदि आप अधिक वेतन हासिल करना चाहते हैं. नीदरलैंड में औसतन सालाना सैलरी 54 हजार डॉलर (लगभग 40 लाख रुपये) है. अधिक सैलरी के अलावा नीदरलैंड का ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी बहुत अच्छा है. इसकी राजधानी एम्स्टर्डम की पहचान एक ग्लोबल सिटी के तौर पर होती है। डेनमार्क एक स्कैंडिनेवियाई देश है, जहां जीवन स्तर काफी उच्च है. डेनमार्क में औसतन सालाना सैलरी 55 हजार डॉलर (लगभग 41 लाख रुपये) है. देश को अक्सर दुनिया के सबसे खुशहाल देश की सूची में शामिल किया जाता है। डेनमार्क दुनिया में व्यापार करने वाले सबसे आसान देशों में से एक है। अमेरिका में न केवल दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि यहां लोगों की सैलरी भी बहुत अधिक है. देश में औसतन सालाना सैलरी 63 हजार डॉलर (लगभग 46 लाख रुपये) है. सैलरी के अलावा, अमेरिका में जीवन स्तर भी काफी अच्छा है। स्विट्जरलैंड यूरोप के केंद्र में एक छोटा और चारों ओर भूमि से घिरा हुआ देश है. यूरोपियन यूनियन में शामिल नहीं होने की वजह से यूरो के बजाय इसकी अपनी मुद्रा है. देश में एक शक्तिशाली बैंकिंग सिस्टम है. स्विट्जरलैंड में औसतन सालाना सैलरी 64 हजार डॉलर (लगभग 45 लाख रुपये) है। पश्चिमी यूरोप में एक छोटा सा देश स्थित है, जिसका नाम लक्जमबर्ग है. इसकी सीमाएं बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी से लगती हैं. देश की आबादी महज छह लाख है और यहां कर्मचारियों को मोटी सैलरी मलिती है. लक्जमबर्ग में औसतन सालाना सैलरी 65 हजार डॉलर (लगभग 48 लाख रुपये) है। आइसलैंड दुनिया के सबसे उत्तरी देशों में से एक है. देश में औसतन सालाना सैलरी 66 हजार डॉलर (लगभग 49 लाख रुपये) है. देश की आबादी भी सिर्फ 3.5 लाख ही है. ऐसे में यहां लोगों को ज्यादा भीड़भाड़ का सामना भी नहीं करना पड़ता है।

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