www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 10th Jun. 2021, Thu. 5: 16 PM (IST) : टीम डिजिटल: Kunwar & Kuldeep जम्मू- पिछले कई दिनों सेतरह-तरह की अफवाहों को खूब हवा दी जा रही है। इसी हलचल के बीच पाकिस्तान भी बहके-बहके से बयान जारी कर देता है। पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन पीएजीडी के नेताओं ने नौ जून को बैठक कर राजनीतिक विश्लेषकों को चर्चा के लिए मुद्दा प्रदान कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा एवं राजनीतिक मामलों के विश्लेषक और जम्मू कश्मीर में भाजपा प्रवक्ता ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता रिटायर्ड कहते हैं, बारूद साथ लेकर बैठक कर रहे हैं ‘गुपकार’ समझौते के नेता। सात महीने की गहरी नींद के बाद यह गठबंधन जागा है। सोशल मीडिया में जम्मू-कश्मीर के विभाजन की अफवाहों पर बारूद डाला जा रहा है, ताकि इसकी गूंज दूर तक सुनाई दे। दरअसल गुपकार समझौते में शामिल ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस अब यू टर्न मारनी चाहती है। ब्रिगेडियर गुप्ता का दावा है कि फारुख अब्दुल्ला देर-सवेर परिसीमन प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। इसकी औपचारिक घोषणा करने से पहले वे गुपकार के दूसरे साथियों के मन की टोह ले रहे हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद वहां के राजनीतिक दलों, जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित कई पार्टियां शामिल थीं, ने गुपकार समझौता किया था। इन दलों का मकसद, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने से पहले की स्थिति बहाल कराना है। बैठक में गठबंधन के नेताओं ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल कराने के लिए संघर्ष तेज करने की बात कही है। पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, हमारे पास सभी विकल्प खुले हैं, लेकिन उन्होंने विकल्पों की जानकारी नहीं दी। सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर के विभाजन को लेकर चल रही अफवाहों को लेकर अब्दुल्ला का कहना था, जितना आम लोग इस मुद्दे पर अंधेरे में हैं, उतना ही हम भी अंधेरे में हैं। अब्दुल्ला का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि जम्मू-कश्मीर के विभाजन को लेकर सोशल मीडिया में कई दिनों से जिन अफवाहों को हवा दी जा रही है, वह गलत नहीं हैं। जम्मू क्षेत्र को राज्य का दर्जा देने की बात सही हो सकती है। कश्मीर को सीधे नई दिल्ली द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, ऐसी भी अफवाहें भी चल रही हैं। दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्सों का राजनीतिक महत्व समाप्त करने के लिए उन्हें जम्मू के नए राज्य में शामिल किया जा सकता है। ‘गुपकार’ समझौते के तमाम नेताओं के बीच इन सभी अफवाहों पर खुलकर चर्चा हुई है। सुरक्षा एवं राजनीतिक मामलों के विश्लेषक ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता (रिटायर्ड) कहते हैं, इन अफवाहों को फैला कौन रहा है, इस सवाल का जवाब फारुख अब्दुल्ला या गुपकार में शामिल उनके दूसरे सहयोगी दे सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में सैनिकों की सामान्य आवाजाही को इन नेताओं ने किसी बदलाव का प्रतीक बता दिया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करते हैं तो उसका मतलब यह निकाला जाता है कि जम्मू को राज्य का दर्जा दिया जा रहा है। ये सब खबरें ‘गुपकार’ से ही आ रही हैं। इतना ही नहीं, अफवाहों की यह चक्की इतनी सक्रिय थी कि कुछ दिन पहले शाम 5 बजे जब पीएम मोदी राष्ट्र के नाम संबोधन करने वाले थे तो उसे भी जम्मू-कश्मीर से जोड़कर अफवाहों का बाजार तैयार कर दिया था। सीएपीएफ की तैनाती को अफवाहों का आधार बना दिया गया। हालांकि पीएम के भाषण ने इन नेताओं की कल्पनाओं को जमीन दिखा दी थी। महबूबा मुफ्ती के गुपकार रोड स्थित आवास पर बैठक में अफवाह फैलाने वालों को नया बारूद प्रदान किया गया है। मकसद इन नेताओं की पतंगबाजी को फिर से जीवंत कराना है। गुप्ता के मुताबिक ऐसी अफवाहें फैलाने वालों का मकसद कश्मीर में शांति भंग करना है। उन्हें यह बात पच नहीं रही है कि घाटी में लगातार दो शांतिपूर्ण ग्रीष्मकाल कैसे संभव हो गए। इन नेताओं के पाकिस्तानी साथियों के लिए भी सुपाच्य नहीं है। गुपकार की बैठक में दरअसल ये नेता अब खुद मुख्य धारा में लौटने का रास्ता तलाश रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला की पार्टी का प्रयास है कि वह जम्मू-कश्मीर में शुरू होने जा रही परिसीमन प्रक्रिया में शामिल हो जाए। हालांकि उनके लिए यह आसान भी नहीं है, लेकिन वह यू-टर्न मार सकते हैं। चूंकि अब वह गुपकार समझौते के अध्यक्ष भी हैं इसलिए सार्वजनिक घोषणा करने से पहले उन्हें गठबंधन के अन्य सदस्यों को विश्वास में लेना पड़ेगा।
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