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www.youngorganiser.com Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 14th Feb. 2021.Sun, 2:04 PM (IST) : Team Work: Arun Gavaskar & Gurmeet Singh
* रानी दिद्दा का जन्म आज के दौर में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ था। 10वीं शताब्दी में वहां हिंदू शाही वंश का शासन था, जिसमें दिद्दा का जन्म हुआ था। दिद्दा की शादी कश्मीर के शासक क्षेमगुप्त से हुई थी...?

नौकरानी का दूध पीकर बड़ी हुईं और बनीं कश्मीर की क्वीन

* पढ़ें- रानी दिद्दा की कहानी, जिन पर फिल्म बना रहीं कंगना…?

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 14th Feb. 2021.Sun, 2:04 PM (IST) : Team Work: Arun Gavaskar & Gurmeet Singh, मुंबई : मणिकर्णिका मूवी में रानी लक्ष्मीबाई का रोल प्ले कर तारीफ बटोरने वालीं कंगना रनौत अब 10वीं शताब्दी की जम्मू-कश्मीर की रानी दिद्दा पर फिल्म बनाने वाली हैं। इस मूवी में वह रानी दिद्दा के रोल में नजर आएंगी। सूत्रों के मुताबिक वह भविष्य में भी ऐसी कई फिल्मों में आ सकती हैं, जो भारत की गुमनाम महिला नायकों पर आधारित होंगी।

आइए जानते हैं कौन हैं रानी दिद्दा… रानी दिद्दा का जन्म आज के दौर में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ था। 10वीं शताब्दी में वहां हिंदू शाही वंश का शासन था, जिसमें दिद्दा का जन्म हुआ था। दिद्दा की शादी कश्मीर के शासक क्षेमगुप्त से हुई थी। राजा अपनी पत्नी के सौंदर्य से बेहद प्रभावित थे। कूटनीतिक और राजनीतिक तौर पर भी रानी दिद्दा काफी मजबूत थी, ऐसे में वह अकसर उनकी सलाह लेते थे। इस तरह से राजा का एक नाम दिद्दाक्षेम भी पड़ गया था। यही नहीं उनके नाम से क्षेम गुप्त ने सिक्के भी बनवाए थे, जिन पर लिखा था- दिद्दा क्षेमगुप्त देव। उस दौर में यह सोचना भी कठिन था कोई व्यक्ति खुद से पहले पत्नी का नाम जोड़ ले। हालांकि 958 में क्षेमगुप्ता का निधन हो गया था और फिर शुरू हुआ दिद्दा की जिंदगी का वह कठिन दौर जिसके बाद वह एक मजबूत शासक के तौर पर उभरीं।पति के साथ सती होने की बजाय बेटे के लिए जीने का लिया फैसला: पति के निधन के बाद दिद्दा पर दरबारी दबाव डालने लगे कि उन्हें पति के साथ सती हो जाना चाहिए, लेकिन रुढ़ियों का विरोध करते हुए दिद्दा ने बेटे अभिम्यु के लिए जीने का फैसला लिया और सती होने से इनकार कर दिया था। इसके बाद दिद्दा के बेटे अभिम्यु का राजतिलक हुआ और वह उसकी राज्य संरक्षक बनी थीं। इस दौरान उन्हें राजपरिवार, राजदरबार की साजिशों का सामना करना पड़ा था। इनका सामना करना करते हुए रानी दिद्दा ने राज्य पर मजबूत पकड़ बना रखी थी। कल्हण ने राजतरंगिणी में रानी दिद्दा की तुलना हनुमान से करते हुए लिखा है, ‘जिस दिद्दा के बारे में दरबारी सोच रहे थे कि वह गाय की तरह सीधे चल भी नहीं सकती, उसने हनुमान की तरह समुद्र पार करके दिखा दिया।’जब रानी की सेना ने गजनवी को खदेड़ा: रानी दिद्दा का निधन 1003 में हो गया था, लेकिन उनके बाद लोहारा वंश के शासन समग्रमराज ने सत्ता संभाली थी। इस दौरान 1015 और 1023 में मोहम्मद गजनवी ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था, लेकिन असफलता ही उसके हाथ लगी थी। इसकी वजह यही थी कि उस वक्त रानी दिद्दा की बनाई सेना काफी मजबूत थी। रानी दिद्दा की सैन्य विरासत के चलते समग्रमराज ने मोहम्मद गजनवी जैसे आक्रांता को कश्मीर की सीमा से खदेड़ दिया था।

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