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निजीकरण के खिलाफ बिजली इंजीनियरों, कर्मचारियों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 3th, Feb. 2021.WED, 6:17 PM (IST) : ( Article ) Sampada Kerni ,Siddharth & Kapish Sharma, नयी दिल्ली: बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ बुधवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वितरण कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया रद्द करने की मांग की। ‘ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन’ (ए.आई.पी.ई.एफ) के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा, ‘‘बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों ने सरकार की निजीकरण नीतियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया है। कर्मचारियों ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में बिना कोई देरी किये सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया वापस लेने की मांग की।’’ बयान के अनुसार बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के बैनर तले बिजली क्षेत्र के हजारों कर्मचारियों ने विरोध बैठकें की और बिजली संशोधन विधेयक, 2021 को वापस लेने की मांग की। यह विधेयक संसद के मौजूदा बजट सत्र में पेश किये जाने को सूचीबद्ध है। गुप्ता ने कहा, ‘‘हमें फिलहाल नहीं पता कि 2020 के विधेयक के मूल मसौदे में क्या संशोधन किये गये हैं।’’ चंडीगढ़ में एक रैली के दौरान एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि चंडीगढ़ बिजली विभाग बेहतर प्रबंधित बिजली विभाग है और यह पिछले साल से मुनाफे में है। ऐसे में इसके निजीकरण का कोई मतलब नहीं है कि जबकि इसका नुकसान कम है, दरें कम है तथा ग्राहकों को अच्छी सेवा दे रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण देश के कुछ उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये शुरू किया गया है। एआईपीईएफ के मुख्य संरक्षक पद्ममजीत सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि बिजली वितरण के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। चंडीगढ़ के मामले में 100 प्रतिशत निजीकरण का प्रस्ताव है। ऐसे में प्रतिस्पर्धा कैसे होगी। गुप्ता ने कहा कि सरकार सुधारों के नाम पर बिजली क्षेत्र का निजीकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों से बाजार उन्मुख बिजली क्षेत्र सुधारों से केंद्र सरकार के सुधार कार्यक्रम की अकुशलता की कलई खुल गयी है। प्रदर्शन कर रहे इंजीनियरों और कर्मचारियों ने बिजली संशोधन विधेयक तथा बिजली वितरण के पूर्ण रूप से निजीकरण के लिये मानक बोली दस्तावेज को रद्द करने की मांग की।

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