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संगठन ने गूगल से कहा है कि वह अखबारों को 85 फीसदी एड रेवेन्यू (विज्ञापन राजस्व) दे। बता दें कि इस समय दुनिया भर के कई हिस्सों में खास कर ऑस्ट्रेलिया में बड़ी टेक कंपनियों और मीडिया संस्थानों के बीच विवाद चल रहा
****संगठन ने गूगल से कहा है कि वह अखबारों को 85 फीसदी एड रेवेन्यू (विज्ञापन राजस्व) दे। बता दें कि इस समय दुनिया भर के कई हिस्सों में खास कर ऑस्ट्रेलिया में बड़ी टेक कंपनियों और मीडिया संस्थानों के बीच विवाद चल रहा....

दुनिया भर के कई हिस्सों में खास कर ऑस्ट्रेलिया में बड़ी टेक कंपनियों और मीडिया संस्थानों के बीच विवाद चल रहा

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 25th Feb. 2021, Thu 9:01 AM (IST) : Article: Kuldeep &Kunwar : भारत के अखबारों के एक संगठन ने गूगल से कहा है कि वह अपना कंटेंट ऑनलाइन लाते हैं, इसका उन्हें भुगतान मिलना चाहिए। संगठन ने गूगल से कहा है कि वह अखबारों को 85 फीसदी एड रेवेन्यू (विज्ञापन राजस्व) दे। बता दें कि इस समय दुनिया भर के कई हिस्सों में खास कर ऑस्ट्रेलिया में बड़ी टेक कंपनियों और मीडिया संस्थानों के बीच विवाद चल रहा है। ऑस्ट्रेलिया सरकार और सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के बीच चल रहे विवाद के बीच इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने गूगल को एक पत्र लिखा है। करीब 800 प्रकाशकों की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि अमेरिकी कंपनी गूगल को अखबारों द्वारा तैयार की गई खबर के लिए भुगतान करना चाहिए, जो हजारों पत्रकारों की आजीविका का साधन हैं। आईएनएस ने कहा, पिछले कुछ सालों से दुनिया भर के प्रकाशक कंटेंट के लिए उचित भुगतान का और गूगस के साथ विज्ञापन राजस्व के उचित बंटवारे का मुद्दा उठा रहे हैं। सोसायटी ने आगे कहा कि गूगल ने हाल ही में फ्रांस, यूरोपीय संघ और खासकर ऑस्ट्रेलिया में प्रकाशकों को बेहतर भुगतान करने पर सहमति जताई है। आई.एन.एस ने कहा कि विज्ञापन समाचार पत्र उद्योग की रीढ़ की हड्डी है।  अखबार प्रकाशकों के विज्ञापन के हिस्से में लगातार कमी आती जा रही है जबकि गूगल इससे होने वाली कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपने पास रख रहा है। आईएनएस ने फर्जी समाचारों से निपटने के लिए विश्वस्त समाचार प्रकाशकों से संपादकीय सामग्री को अधिक प्रमुखता देने का मुद्दा भी उठाया, क्योंकि गूगल ऐसी वेबसाइट से भी कंटेंट उठा लेता है जो विश्वसनीय नहीं हैं। आईएनएस ने एक बयान में कहा, ‘सोसायटी ने कहा कि गूगल को विज्ञापन राजस्व में प्रकाशक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 85 फीसदी करनी चाहिए और गूगल द्वारा प्रकाशकों को मुहैया कराई जाने वाली राजस्व रिपोर्ट में ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।’  आई.एन.एस. के अध्यक्ष एल आदिमूलम ने कहा कि प्रकाशकों को काफी अपारदर्शी विज्ञापन व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके पास गूगल की विज्ञापन मूल्य श्रृंखला का ब्यौरा नहीं है।

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