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टोल प्लाजा पर कब्ज़ा कैसा आंदोलन?… मोदी के सवाल उठाते ही 12 फरवरी को फिर धावे का एलान

            ….. प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब दिया। 93 मिनट बोले…?

,…..प्रधानमंत्री ने आंदोलनजीवियों को किसानों से अलग किया, पर 3 बातें जो बता गईं कि सरकार अपना स्टैंड नहीं बदलने वाली…?

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 10th Feb. 2021.Wed, 6:03 PM (IST) :   Pawan Vikas Sharma , Kunwar , Imtiaz Chowdhury, Arun Gavaskar, Siddharth, Sandeep Agerwal, Kuldeep Sharma,Gurmeet , Kapish, Sampada Kerni & Taru. R.Wangyal, नई दिल्ली : लोकसभा में आज पीएम मोदी ने किसान आंदोलन और नए कृषि कानूनों को लेकर तमाम बातें कहीं। अपने डेढ़ घंटे लंबे भाषण में पीएम मोदी ने नए कृषि कानूनों में पैदा आशंकाओं को खत्म करने की कोशिश की। पीएम मोदी ने आंदोलनजीवी और आंदोलनकारी को लेकर बयान दिया। साथ ही पीएम मोदी ने टोल प्लाजा में तोड़ फोड़ करने की बात भी कही। पीएम मोदी के भाषण के कुछ देर बाद ही किसान नेताओं ने नया ऐलान कर दिया।

किसान नेताओं का ऐलान

पीएम मोदी के भाषण के तुरंत बाद ही किसान नेताओं ने कुछ नए ऐलान किए। किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन को अब और तेज किया जाएगा। किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि 12 फरवरी से राजस्थान के सभी रोड टोल प्लाजा को टोल फ्री कर दिया जाएगा। इसके साथ ही रेल रोको कार्यक्रम 18 फरवरी को देश भर में 12 से 4 बजे तक आयोजित किया जाएगा। किसान नेताओं ने आगे ऐलान किया है कि 14 फरवरी को, पुलवामा हमले में शहीद सैनिकों की याद में देश भर में कैंडल मार्च निकाला जाएगा।

संसद में पीएम मोदी ने आंदोलन पर उठाए सवाल

पीएम मोदी ने कहा था कि इस देश में टोल प्लाजा सभी सरकारों ने की हुई व्यवस्था है उस टोल प्लाजा को तोड़ना, उस पर कब्जा करना उस टोल प्लाजा को न चलने देना। यह तरीके क्या पवित्र आंदोलन करने को कलंकित करने का काम नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन की पवित्रता और मैं किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं।

जो जेल में हैं उनकी तस्वीरें क्यों- पीएम मोदी

भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महात्मय है और जरूरी है लेकिन आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए बर्बाद करने के लिए निकलते हैं, तो क्या करते हैं बताएं। इसके आगे पीएम ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि किसान कानून की बात हो और दंगावाद लोग जो जेल में हैं। संप्रदायवाद लोग जो जेल में, जो आतंकवादी जेल में है, जो नक्सलवादी जेल में हैं उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना यह किसानों की मांग को अपवित्र करने का काम है या नहीं।

…प्रधानमंत्री ने आंदोलनजीवियों को किसानों से अलग किया, पर 3 बातें जो बता गईं कि सरकार अपना स्टैंड नहीं बदलने वाली…? पहली- किसान गलत धारणाओं के शिकार हैं, पर आंदोलन पवित्र है। जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने फायदे के लिए बर्बाद करने निकलते हैं तो क्या होता है? दंगाबाज, सम्प्रदायवादी, नक्सलवादी जो जेल में बंद हैं, किसान आंदोलन में उनकी मुक्ति की मांग करना कहां तक सही है? क्या टोल प्लाजा तोड़ने, टेलिकॉम टॉवर तोड़ने जैसे तरीके पवित्र आंदोलन को अपवित्र करने का प्रयास नहीं हैं?

दूसरी- कृषि सुधार का सिलसिला जरूरी है। इस क्षेत्र की चुनौतियों से हमें निपटना होगा। कृषि कानूनों के तहत नई व्यवस्थाएं ऑप्शनल हैं। मैं हैरान हूं कि एक नया तर्क आया कि हमने मांगा नहीं तो दिया क्यों? लेना या नहीं लेना, यह आप पर है। ये कम्पलसरी नहीं है। जहां ज्यादा फायदा हो, वहां किसान चला जाए। यह व्यवस्था हो गई है। कोई किसान न चाहे तो उसके लिए पुरानी व्यवस्था है।

तीसरी- कृषि कानून लागू होने के बाद देश में कोई मंडी बंद नहीं हुई, न MSP बंद हुई। ये सच्चाई है। MSP की खरीद भी कानून बनने के बाद बढ़ी है। किसानों से आग्रह करूंगा कि आइए, मिलकर चर्चा कीजिए। बदलाव से हमें संकोच नहीं है।

पहली बार हंगामा हुआ तो मोदी बोले- अज्ञानता मुसीबत पैदा करती है

मोदी कोरोना के दौर में भी व्यवस्थाएं चलती रहने का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘भारत ने कोरोना के बावजूद जनधन, आधार, मोबाइल के जरिए 2 लाख करोड़ रुपए लोगों तक पहुंचाए। आधार गरीब के काम आया, लेकिन आधार को रोकने के लिए कौन सुप्रीम कोर्ट गया था?’

इस पर कांग्रेस ने हंगामा किया। मोदी कुछ देर चुप रहे, फिर तंज कसते हुए बोले- ‘मुझे एक मिनट का विराम देने के लिए आभारी हूं। इस सदन में कभी-कभी अज्ञान भी मुसीबत पैदा करता है।’

दूसरी बार हंगामा हुआ तो बोले- दादा के ज्ञान से हम वंचित रह गए

मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस के साथी कृषि कानून के कलर पर बहस कर रहे थे कि यह ब्लैक है या व्हाइट। दादा (अधीर रंजन चौधरी) ने भी भाषण किया और लगा कि वे बहुत स्टडी करके आए होंगे, लेकिन प्रधानमंत्री बंगाल की यात्रा क्यों कर रहे हैं, वे इसमें ही लगे रहे। हम दादा के ज्ञान से वंचित रह गए। खैर, चुनाव के बाद आपके पास मौका होगा तो…।’

इसके बाद हंगामा तेज हो गया, इस पर मोदी ने कहा, ‘ये (बंगाल) कितना महत्वपूर्ण प्रदेश है, इसलिए तो हम वहां जा रहे हैं। आपने तो इसे इतना पीछे छोड़ दिया था।’

तीसरी बार हंगामे पर कहा- देखिए, मैं कितनी सेवा करता हूं

मोदी अब किसान आंदोलन पर आए। उन्होंने कहा, ‘वे (किसान) गलत धारणाओं के शिकार हुए हैं, उनका आंदोलन पवित्र है।’ हंगामा तेज हो गया तो प्रधानमंत्री बोले- ‘मेरा भाषण पूरा होने के बाद ये सब कीजिए। आप किसानों के लिए कुछ गलत शब्द बोल सकते हैं, हम नहीं बोल सकते।’ रोक-टोक होने लगी तो मोदी बोले- ‘देखिए मैं कितनी सेवा करता हूं। आपको जहां रजिस्टर करवाना था, वहां हो गया।’

चौथी बार हंगामे पर मोदी हंसने लगे, बोले- यह सब जरूरी होता है

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम किसानों के साथ सम्मान भाव से बात कर रहे हैं। आदर भाव से बात कर रहे हैं।’ इस पर हंगामा होने लगा तो मोदी हंसने लगे। बोले- ‘अधीर बाबू, कुछ कहना है तो कहिए। …बीच-बीच में यह सब (हंगामा) जरूरी होता है।’

पांचवीं बार हंगामे पर मोदी ने ठहाका लगाया

मोदी ने कहा, ‘बातचीत में किसानों की शंकाएं ढूंढने का भी भरपूर प्रयास किया गया। हम मानते हैं कि इसमें अगर सचमुच कोई कमी है तो इसमें बदलाव करने में क्या जाता है। हमें इंतजार है कि वो कोई स्पेसिफिक चीज बताएं। हमें कोई संकोच नहीं है।’ अब हंगामा बढ़ने लगा, तो मोदी ने ठहाका लगाया।

छठी बार हंगामे पर मोदी बोले- यह सोची-समझी रणनीति है

मोदी के कृषि कानूनों के फायदे गिनाते ही जबर्दस्त हंगामा होने लगा। अब तक मुस्कुरा रहे और ठहाके लगा रहे मोदी के तेवर भी तीखे हो गए। बोले- ‘ये हो हल्ला, ये आवाज, ये रुकावट डालने का प्रयास, यह सब एक सोची-समझी रणनीति है। जो झूठ फैलाया है, उसका पर्दाफाश न हो जाए, इसलिए हंगामे का खेल चल रहा है।’

सातवीं बार हंगामे पर कहा- अधीर रंजन जी, अब ज्यादा हो रहा है

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जो व्यवस्थाएं पहले से चल रही थीं, उन्हें किसी ने छीन लिया है क्या? किसी कानून का विरोध तो तब मायने रखता है, जब वह अनिवार्य है, ये तो ऑप्शनल है। जहां ज्यादा फायदा हो, वहां किसान चला जाए, यह व्यवस्था हो गई है।’

हंगामा अब चरम पर था। इस पर मोदी बोले- ‘अधीर रंजन जी, अब ज्यादा हो रहा है। मैं आपकी इज्जत करता हूं। बंगाल में भी तृणमूल से ज्यादा पब्लिसिटी आपको मिल जाएगी। आप ऐसा पहले नहीं करते थे, आज इतना क्यों कर रहे हैं?’

आठवीं बार हंगामे पर अधीर रंजन से मोदी बोले- बाद में, बाद में

मोदी ने आगे कहा, ‘आंदोलनजीवी ऐसे तरीके अपनाते हैं कि ऐसा हुआ तो ऐसा होगा, इसका भय पैदा करते हैं। ऐसे तौर-तरीके लोकतंत्र और अहिंसा में विश्वास करने वालों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए’ इसके बाद अधीर रंजन दोबारा बोलने को खड़े हुए तो मोदी ने कहा- बाद में, बाद में।

नौवीं बार हंगामे पर मोदी ने कहा- यह कन्फ्यूज्ड पार्टी है

मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी का यह हाल हो गया है कि पार्टी का राज्यसभा का तबका एक तरफ चलता है, लोकसभा का तबका दूसरी तरफ। ऐसी डिवाइडेड पार्टी और कन्फ्यूज्ड पार्टी न तो खुद का भला कर सकती और न देश का।’

दसवीं बार हंगामे पर मोदी ने कहा- आप बुद्धिमान लोगों को मुझे समझाना है

कांग्रेस के वॉकआउट से पहले जब हंगामा हुआ तो मोदी बोले, ‘ सुनो दादा! आप बुद्धिमान लोगों को मुझे यही समझाना है कि कोई किसान न चाहे तो उसके लिए पुरानी व्यवस्था है। …रुका हुआ पानी बर्बाद कर देता है। देश को तबाह करने में यथास्थितिवाद ने बड़ा रोल अदा किया है।’

कांग्रेस के वॉकआउट पर बोले- वे अपने समय की गजल सुनाते रहते हैं

मोदी ने कहा, ‘मैंने कभी एक गजल सुनी थी- मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं, वह गजल आपको सुनाता हूं। …ये जो साथी चले गए (कांग्रेस का वॉकआउट), वे उसी गजल को सुनाते रहते हैं, जिसे उन्होंने अपने दौर में देखा होगा।’

मोदी ने किस्सा सुनाया- चर्चिल तक सिगार पहुंचाने के लिए भी एक पद था

सुधार किस तरह जरूरी होते हैं, यह बताने के लिए मोदी ने एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, ‘60 के दशक में तमिलनाडु में कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने के लिए आयोग बैठा। चेयरमैन के पास अर्जी आई, जो मुख्य सचिव के कार्यालय में CCA के पद पर काम कर रहे व्यक्ति ने भेजी थी। जब चेयरमैन ने इस पद के बारे में पूछा तो जवाब आया- CCA मतलब चर्चिल्स सिगार असिस्टेंट। 1940 में चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे, तो त्रिचीसागर से उनके लिए सिगार जाती थी। 1945 में चर्चिल चुनाव हार गए। 1947 में भारत आजाद हो गया। फिर भी यह पद बरकरार रहा। बदलाव नहीं होने का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा?’

प्राइवेट सेक्टर की तारीफ की, कहा- सब कुछ IAS ही चलाएंगे क्या?

मोदी ने कहा, ‘मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूं कि देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी इतनी ही जरूरी है। टेलिकॉम-मोबाइल में स्पर्धा को प्रोत्साहित किया गया तो मोबाइल हर व्यक्ति तक पहुंचा और सबसे सस्ता डेटा आज हिंदुस्तान में है। वैक्सीन, फार्मा इंडस्ट्री में आज जे कुछ हो रहा है, ये सब सरकारी है क्या? सब कुछ IAS ही चलाएगा क्या? वैल्थ क्रिएटर्स वैल्थ नहीं बना पाएंगे तो रोजगार कहां से देंगे?’

हां भगवान की कृपा से हम कोरोना में बचे, पर ये भगवान डॉक्टर और फ्रंट लाइनर्स हैं मोदी ने कहा- ‘मनीष तिवारी बोले कि भगवान की कृपा है कि कोरोना से बच गए। हां ये सही है कि ये भगवान की ही कृपा है कि इतनी बड़ी दुनिया हिल गई और हम बच गए। क्योंकि वो डॉक्टर्स, वो नर्स भगवान का रूप बनकर आए थे। क्योंकि वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को शाम को घर लौटूंगा कहकर जाते थे, और 15-15 दिन लौट नहीं पाते थे। वे भगवान का रूप थे। सफाई कर्मचारियों के लिए भी जिंदगी-मौत का खेल था। भगवान सफाई कामगार के रूप में आया। एंबुलेंस चलाने वाले को पता था कि मैं जिसे ले जा रहा हूं वो कोरोना पॉजिटिव है। वह भी भगवान के रूप में आया था। कई कारणों से जिनके भीतर निराशा फैल गई है, उनसे भी कहता हूं कि 130 करोड़ देशवासियों के पराक्रम को याद कीजिए, अच्छा लगेगा।’

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