Breaking News
जनसंख्या के आंकड़े किसी से भी छुपे नहीं लेकिन जनता को बरगलाने बाले बाज नहीं आ रहे...

जनसंख्या के आंकड़े किसी से भी छुपे नहीं लेकिन जनता को बरगलाने बाले बाज नहीं आ रहे

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 13th Jul. 2021, Tue. 4: 06  PM (IST) : टीम डिजिटल: ( Article ) Siddharth जनसंख्या के आंकड़े किसी से भी छुपे नहीं लेकिन विपक्षी नेता फिर जनता को बरगलाने से बाज नहीं आ रहे । यदि जनसंख्या नीति सफल हो गई होती तो सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की जरूरत ही नहीं पड़तीे। भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या गॉंवों में निवास करती है। जनसंख्या में यह तीव्र वृद्धि देश के लिए अभिशाप बनती जा रही है। फलस्वरूप गरीबी, बेरोजगारी तथा महंगाई आदि समस्याएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। गांवों में शिक्षा की कमी और अज्ञानता के कारण तथा नगरों में गंदी बस्तियों के लोगों में शिक्षा की कमी के कारण जनसंख्या नियंत्रण का कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहा है। अतएव लोगों में शिक्षा का प्रसार कर ही जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसी प्रकार जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार  के बाद भी  परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप नहीं दिया जा सका ।  हमारे देश में आज भी महिलाओं की शिक्षा का स्तर पुरूषों की अपेक्षा काफी कम है। महिलाओं के शिक्षित न होने के कारण व जनसंख्या वृद्धि के दृष्परिणामों को नहीं समझ पाती। वे अपने खान पान पर भी ध्यान नहीं दे पाती तथा जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान नहीं दे पाती। जिन क्षेत्रों मे महिलाओं का शिक्षा स्तर कम है। वहां जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। पढ़ी लिखी महिलाएं जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक होती हैं। इस तरह महिलाएं शिक्षित होंगी तो वे अपने बच्चों के खानपानए पोषण तथा स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगी तथा जनसंख्या पर भी नियंत्रण होगा और एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा। आज भी हमारे समाज में यौन संबंधों को छिपाने की चीज समझा ज्ञाता है। लोग यौन संबंधी बातें तथा उससे जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें करने से कतराते है। यौन संबंधी जानकारी न होने के कारण लोग असमय तथा अधिक बच्चे पैदा करते है। यौन संबंधी जानकारी से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिल सकती है। स्वयं सेवी संगठन भी लोगों के बीच जाकर उनसे बातचीत कर जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं की जानकारी देते हैं। उन्हें नुक्कड नाटकों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा तरह-तरह की प्रतियोगिताएं कराकर जनसंख्या वृद्धि के कारणों तथा समस्याओं की जानकारी देकर उन्हें जागरूक बनाते हैं। समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन पर परिवार नियोजन तथा जनसंख्या शिक्षण संबंधी कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही हैं। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि से होने वाली समस्याओं तथा उन्हें रोकने के उपायों का प्रचार प्रसार भी करती है।मगर यह नाकाफी साबित हो रहे थे।इसी योगी सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून पर विचार कर रही है। निर्भीक होकर फैसले लेने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोई बराबरी नहीं है, जो वह ठान लेते हैं उसे बिना सियासी नफा.नुकसान सोचे पूरा करके ही छोड़ते हैं। पिछले कार्यकाल में नोटबंदी आतंकवाद के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक, नागरिकता सुरक्षा कानून तो इस कार्यकाल में कश्मीर से धारा 370 एवं 35 ए हटाना और प्रमु राम के जन्म स्थान का विवाद सुलझाने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास  इसका सबसे बड़ा सबूत हैं। आज की तारीख में देश में एक ही ऐसा नेता है जो मोदी की तरह निडर होकर फैसले लेता है। यह नेता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। अपने फैसलों से जनता और विपक्ष को चैंका देने वाले योगी गुंडे. बदमाशों,भू.माफियाओं के लिए काल हैं तो लव जेहाद जैसा  घिनौना कृत्य करने वालों के खिलाफ वह सख्ती के साथ पेश आते हैं। सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से कैसा सुलूक किया जाता है,यह बात वह लोग याद रखेंगे जो आंदोलन की आड़ में सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाने से बज नहीं आते थेे। ऐसा ही साहसिक फैसला लेते हुए योगी सरकार उत्तर प्रदेश को जनसंख्या विस्फोट से बचाने के लिए नया और अधिक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून लेकर आ रही है। राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या नियंत्रण,स्थिरीकरण व कल्याणद्ध विधेयक.2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लडने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का जिक्र है।  योगी सरकार जो नई जनसंख्या नीति जारी करने जा रही है। इसमें सख्त नियमों के अलावा  समुदाय केंद्रित जागरूकता कार्यक्रम अपनाने पर जोर दिया है। राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एन मित्तल का कहना है कि जनसंख्या नीति तो आती हैं, लेकिन इसे रोकने का कोई कानून नहीं हैं। नीति में आप अनुदान व प्रोत्साहन दे सकते हैं लेकिन दंड या प्रतिबंध नहीं लगा सकते इसलिए आयोग ने कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। सुझावों को अंतिम रूप देने के बाद हम इसे प्रदेश सरकार को सौंपेंगे। मित्तल ने बताया कि देश की आजादी के समय से ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की जरूरत थी। हमने स्वतरू संज्ञान लेकर इस कानून को बनाने के लिए कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना जरूरी है। कई राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं। जनसंख्या वृद्धि पर रोक नहीं लगाई गई तो बेरोजगारी, भुखमरी समेत अन्य समस्याएं बढ़ती जाएंगी। इसी सोच को लेकर जनसंख्या नियंत्रण पर राजस्थान, मध्य प्रदेश व असम में लागू कानूनों का अध्ययन किया गया है। बेरोजगारी और भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर एक मसौदा तैयार किया गया है। इसके बाद सरकार इसे प्रदेश में कानून के रूप में लागू करेगी। अब जिन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेना होगा वह सभी कानून का पालन भी करेंगे।? हालांकि आयोग का कहना है कि वह कानून का मसौदा स्वरूप्रेरणा से तैयार कर रहा है। यूपी में सीमित संसाधन व अधिक आबादी के कारण ये कदम उठाने जरूरी हैं।  बात जनसंख्या कानून के फायदे-नुकसान की कि जाए तो दो ही बच्चों तक सीमित होने पर जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें इंक्रीमेंट, प्रमोशन सहित कई सुविधाएं दी जाएंगी। अगर कानून लागू हुआ तो एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों.कर्मचारियों और स्थानीय निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वह इस नीति का उल्लंघन नहीं करेंगे। नियम टूटने पर निर्वाचन रद्द करने का प्रस्ताव है। सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति रोकने व बर्खास्तगी का भी प्रस्ताव इसमें है। परिवार दो ही बच्चों तक सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एंप्लायर कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं दी जाएंगी। दो बच्चों वाले ऐसे दंपत्ति जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं, उन्हें भी पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है। वहीं, एक संतान पर स्वैच्छिक नसंबदी करवाने वाले अभिभावकों की संतान को 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी। सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव है। अगर दंपती गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए 1 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश है। कानून लागू हुआ तो एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वे इसका उल्लंघन नहीं करेंगे। कानून लागू होते समय उनके दो ही बच्चे हैं और शपथपत्र देने के बाद वे तीसरी संतान पैदा करते हैं तो प्रतिनिधि का निर्वाचन रद करने व चुनाव न लडने देने का प्रस्ताव है। सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने व बर्खास्त करने तक की सिफारिश है। हालांकि, एक्ट लागू होते समय प्रेगेनेंसी हैं या दूसरी प्रेगनेंसी के समय जुड़वा बच्चे होते हैं तो ऐसे केस कानून के दायरे में नहीं आएंगे। अगर किसी का पहला, दूसरा या दोनों बच्चे निःशक्त हैं तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। तीसरे बच्चे को गोद लेने पर भी रोक नहीं रहेगी। आयोग ने ड्राफ्ट में धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं। अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियां करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चे हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा। हालांकि, हर पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। वहीं, अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एन मित्तल का कहना है कि जनसंख्या नीति तो आती है, लेकिन इसे रोकने का कोई कानून नहीं हैं। नीति में आप अनुदान व प्रोत्साहन दे सकते हैं लेकिन दंड या प्रतिबंध नहीं लगा सकते इसलिए आयोग ने कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। सुझावों को अंतिम रूप देने के बाद हम इसे प्रदेश सरकार को सौंपेंगे। दो से अधिक संतान होने पर नुकसान की बात की जाए तो ऐसे लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। राशन कॉर्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं  जोड़े जाएंगे। स्थानीय निकाय,  पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सरकारी नौकरियों में मौका नही मिलेगा।

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।   हर पल अपडेट रहने के लिए YO APP डाउनलोड करें Or. www.youngorganiser.com। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

x

Check Also

सोशल मीडिया पोस्ट पेड है तो सेलेब को करना होगा खुलासा : Read गाइडलाइंस के मुताबिक

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 15th Jun. 2021, Tue. 2: 35  PM ...