Breaking News

क्या होगा अगर भारत में डिजिटल कंटेंट का उत्पादन करने वाले जूलियन असांज की राह पर चल पड़ें?

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 20th May. 2021, Thu. 6:40 AM (IST) :  ( Article ) Kumwar and Kuldeep Sharma , सोशल मीडिया कंटेंट को नियमित करने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता 59.6 करोड़ भारतीय सोशल मीडिया यूज कर रहे, डिजिटल मीडियो को कंट्रोल का कोई जरिया नहीं पर नए नियमों में सबसे बड़ी गड़बड़ी यह है कि न्यूज वेबसाइट और सोशल मीडिया में फर्क नहीं किया गया है। ऐसे में इनकी सफलता संदिग्ध है। फिर नए नियमों को अभी संवैधानिक कसौटी पर भी कसा जाना बाकी है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि वहां ये बिल्कुल नहीं ठहर पाएंगे। इस नोटिफिकेशन के तहत सरकार ने डिजिटल मीडिया चलाने वालों को कहा है कि वे शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए अपने यहां विभाग बनाएं। फेसबुक, गूगल वगैरह बड़ी कंपनियां हैं। एकबारगी वे यह खर्च बर्दाश्त कर सकती हैं। मगर कोरोना और मंदी के मारे आम भारतीय क्लिपकार यह खर्च कहां से उठाएंगे! फिर भारत में बहुत से लोग सिर्फ शिकायतों का ही बिजनेस करते हैं। वे अगर किसी के पीछे पड़ जाएं तो पार पाना मुश्किल है, क्योंकि कृषि कानून की ही तरह यहां भी सरकार ने सुनवाई और फैसले का सारा अधिकार अदालत को देने की जगह अपने अधिकारी को दे रखा है। जैसा कि इंफाल में यूट्यूबर को मिले नोटिस के बाद स्पष्ट किया गया कि जो कुछ भी करना होगा, वह आईबी मिनिस्ट्री की कमेटी ही करेगी। भारत में वॉट्सऐप पर 53 करोड़, फेसबुक पर 41 करोड़, यूट्यूब पर 44.8 करोड़, इंस्टा पर 21 करोड़ और ट्विटर पर 1.75 करोड़ यूजर्स हैं। कुल मिलाकर 59.6 करोड़ भारतीय सोशल मीडिया यूज कर रहे हैं। नया नोटिफिकेशन इन्हें इजाजत देता है कि अगर ये कुछ भी ऐसा देखें, जो उन्हें देश को तोड़ने वाला लगता हो, तो वे इसकी शिकायत करें। जिस तरह से हमारे यहां खान-पान से लेकर शादी-ब्याह तक को देश तोड़ने की नजर से देखा जाने लगा है, अगर सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया के कंटेंट पर इस 40 करोड़ की एक प्रतिशत भी शिकायतें आती हैं तो सरकार ने अभी तक यह नहीं बताया है कि इन लाखों शिकायतों के निपटारे के लिए उसके पास सिस्टम क्या है? ट्विटर भी अब इसी लाइन पर है कि उसके यूजर्स की कुछ कमाई हो जाए। मगर पहले डिजिटल मीडिया का नोटिफिकेशन और फिर इंफाल में यूट्यूबर को गलत नोटिस मिलने के बाद इनमें एक डर घर कर गया है। और यह डर सिर्फ यूट्यूबर्स का नहीं है। भारत में जितने भी लोग ऑनलाइन धंधे से जुड़े हैं, यह डर उन सभी का है। इसकी बड़ी साफ वजहें हैं। न्यूज कंटेंट के अलावा हम भारतीय खाने, पहनने, चलने, बोलने, यहां तक कि सांस लेने के तरीके पर भी आपस में लड़ते रहे हैं। इससे रिलेटेड लाखों न्यूज विडियो हर तरह की वेबसाइट्स पर पड़ते हैं, वायरल होते हैं और ट्रेंडिंग टॉपिक बनते हैं। डिजिटल मीडिया पर आया नया नोटिफिकेशन इस सारी लड़ाई को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय पहुंचा दे रहा है, क्योंकि जिसको जो पसंद ना आए, वह मिनिस्ट्री में शिकायत कर दे। नोटिफिकेशन के मुताबिक मिनिस्ट्री भी 24 घंटे में कार्रवाई करने को तैयार बैठी है!वैसे डिजिटल दुनिया अपना रास्ता बना लेती है। साल 2010 में विकीलीक्स के खुलासे के बाद 2011 में गूगल के तत्कालीन सीईओ एरिक श्मिट जूलियन असांज से मिले। पूरी बातचीत ‘वेन गूगल मेट विकीलीक्स’ नाम की एक किताब में है। यहां असांज बताते हैं कि उन्हें पता था सरकारें उनका कंटेंट ब्लॉक करेंगी। इसलिए उन्होंने ऐसे इंतजाम किए कि सरकारें कुछ ना कर पाएं। यह दस साल पहले की बात है। 2021 में डिजिटल दुनिया बहुत आगे आ चुकी है। क्या होगा अगर भारत में डिजिटल कंटेंट का उत्पादन करने वाले जूलियन असांज की राह पर चल पड़ें? या फिर तब, जब सारा मजमा डार्कनेट पर लगेगा, जहां दुनिया की किसी भी सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है? वैसे साल 2015 में केंद्र सरकार ने कमोबेश ऐसे ही नियम कम्यूनिटी रेडियो सिस्टम पर लागू करने की कोशिश की थी। उसमें भी यही कहा था कि जिसको रेडियो पर हो रहे प्रसारण से शिकायत हो, वह मंत्रालय में शिकायत करे। भारत में अभी कुल 251 कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन रजिस्टर्ड हैं, जिससे इनके सुनने वालों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ ही दिनों में सरकार की उस कमेटी के पास इतनी शिकायतें आ गईं कि हारकर उन्हें यह नियम वापस लेना पड़ा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

x

Check Also

इजराइल में सत्ता में परिवर्तन तो हो गया परिवर्तन के बाद भी भारत से संबंध मजबूत बने रहेंगे

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 15th Jun. 2021, Tue. 2: 58  PM ...