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पूजा अर्चना के समय बद्रीनाथ के मंदिर के मुख्य पुजारी रावल द्वारा आचार्य स्वरूप दक्षिणा डिमरी पुजारियों में से भितला बड़वा को दी जाने की परंपरा...

केदारनाथ मंंदिर के पट खुले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हुई पहली पूजा 

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 17th May. 2021, Mon. 6:45 AM (IST) : Team Work: Kuldeep Sharma : सोमवार की सुबह 5 बजे,  ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम  के कपाट खोल दिये गये। मंदिर के पुजारियों ने पूरे विधि-विधान के साथ भगवान केदारनाथ की पूजा अर्चना की। पट खोलने से पहले मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। आपको बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से लगातार दूसरे साल भी कपाट खुलने के समय किसी भी श्रद्धालु को दर्शन की अनुमति नहीं दी गई। इस दौरान भगवान की पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गयी। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि जनकल्याण के लिए चारों धामों में पहली पूजाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की जा रही हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक दिन पहले ही आम लोगों से अपील की थी कि कोरोनावायरस की लहर को देखते हुए घरों में रहकर पूजा करें। उन्होंने बताया था कि केदारनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) श्री भीमाशंकर लिंगम जी की अगुवाई में सीमित संख्या में पुरोहित बाबा केदार की पूजा-अर्चना करेंगे। लेकिन दर्शनार्थियों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इससे पहले 14 मई को यमुनोत्री और 15 मई को गंगोत्री के कपाट खोले गये थे। वहां भी श्रद्धालुओं पर रोक लगाई गई थी। आपको बता दें कि हर साल गर्मियों में 6 महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद चार धाम के नाम से मशहूर बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले जाते हैं। वैसे, राज्य सरकार ने पहले चार धाम यात्रा को स्थगित करने का ऐलान कर दिया है। पिछले साल कोरोनावायरस की पहली लहर के बीच चार धाम यात्रा देर से शुरू की गयी थी। लेकिन इस बार इसको पूरी तरह स्थगित कर दिया गया है।

बद्रीनाथ की चाबी, कौन खोलता है : यह सवाल आपके मन में जरूर उत्पन्न हो रहा होगा तो आइए आपको बताते हैंः- पौराणिक मान्यता व पारंपरिक रीति रिवाज के तहत कपाट खुलने से पूर्व बद्रीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के आगे सभा मंडप के मुख्य द्वार पर परिसर में विधिवत तौर पर भगवान श्री गणेश वह भगवान श्री बद्री विशाल का आह्वान करते हुए धर्माधिकारी व वेदपाटियों द्वारा पूजा आरंभ कर दी जाती है। जिन चाबियों से द्वार के ताले खोले जाते हैं, पहले उन चाबियों की पूजा-अर्चना की जाती है। पहला ताला टेहरी महाराजा के प्रतिनिधि के रूप में राजगुरु नौटियाल के द्वारा खोला जाता है उसके बाद मंदिर के हक हकूकधारी मेहता थोक व भंडारी थोक के प्रतिनिधियों द्वारा ताले खोले जाते हैं। जबकि इससे पूर्व पूजा अर्चना के समय बद्रीनाथ के मंदिर के मुख्य पुजारी रावल द्वारा आचार्य स्वरूप दक्षिणा डिमरी पुजारियों में से भितला बड़वा को दी जाने की परंपरा है। कपाट खुलने से पूर्व जिन चाबियों की पूजा होती है। उनमें से गर्भ गृह के द्वार पर लगे ताले की चाबी मंदिर प्रबंधन द्वारा डिमरी पुजारी भितला बड़वा को सौंपी जाती है और गर्भ गृह का ताला भितला बड़वा के द्वारा खोला जाता है। इस तरह गर्भगृह द्वार खुलते ही विधिवत तौर पर भगवान के कपाट 6 माह के यात्रा काल के लिए खुल जाते हैं और कपाट खुलते ही सभी लोगों को भगवान बद्री विशाल की अखंड ज्योति के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त होता है। गर्भ गृह में केवल मंदिर के मुख्य पुजारी रावल के साथ डिमरी पुजारी को ही प्रवेश का अधिकार होता है।

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