Breaking News
पहली सस्ते ब्याज पर बैंक लोन, दूसरी सस्ता कच्चा माल और तीसरी, पहले जितने वेतन या कम वेतन में कर्मचारियों का ज्यादा काम
* पहली सस्ते ब्याज पर बैंक लोन, दूसरी सस्ता कच्चा माल और तीसरी, पहले जितने वेतन या कम वेतन में कर्मचारियों का ज्यादा काम...

कंपनियों या कर्मचारियों को बाध्य नहीं नए वर्क कल्चर को अपनाने के विकल्प

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 14th Feb. 2021.Sun, 11:01 AM (IST) : Team Work: Sampada Kerni, लॉकडाउन में बाजार बंद रहा। लोगों ने सामान नहीं खरीदा। फिर भी देश की टॉप 10 कंपनियों समेत अधिकतर कंपनियों को रिकॉर्ड मुनाफा हुआ। इंफोसिस जैसी कंपनियों के मार्केट कैप 50% से ज्यादा बढ़ गए। इसकी तीन खास वजहें थीं। पहली सस्ते ब्याज पर बैंक लोन, दूसरी सस्ता कच्चा माल और तीसरी, पहले जितने वेतन या कम वेतन में कर्मचारियों का ज्यादा काम। इन तीन वजहों के कारण कंपनियों का खर्च बेहद कम हो गया। इसलिए बाजार में मांग घटने के बावजूद कंपनियों ने 2020 में रिकॉर्ड मुनाफा कमाया। लेकिन भारत में इसे लागू किए जाने में कंपनियों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हफ्ते में काम के दिन घटा देने का आइडिया नया नहीं है। यह 1930 की आर्थिक मंदी के दौरान ही शुरू हो गया था, जब हफ्ते में 5 दिन यानी 40 घंटे काम का मॉडल अपनाया गया था। 1920-30 के दशक में ही फोर्ड कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने भी काम के घंटों को घटाया था। 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान, जर्मनी ने ‘कूजरबेट’ नाम की थोड़े समय के काम की योजना चलाई थी। इसके तहत कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बजाय उनके काम के घंटे घटा दिए गए थे।पिछले साल ब्रिटेन में आम चुनावों के दौरान वहां की लेबर पार्टी ने अगले 10 सालों में बिना किसी सैलरी कट के हफ्ते में 4 दिन या 32 घंटे के काम की व्यवस्था करने का वादा किया था।हफ्ते में चार दिन काम मॉडल का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इस दौरान कर्मचारियों को हफ्ते में पांच के बजाय चार दिनों में ही सारा काम करवा कर उनके काम करने के घंटे को निचोड़ लिया जाए। इसलिए भारत में फिलहाल जो व्यवस्था लागू करने पर विचार हो रहा है वो आदर्श मॉडल नहीं है। इसलिए सरकार को इस दिशा में अभी कई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। क्रोनोस के एक सर्वे में 69% भारतीय कर्मचारियों ने कहा कि वे मौजूदा सैलरी पर सप्ताह में पांच दिन ही काम करना चाहते हैं। उन्हें इससे कम कामकाजी हफ्ते की चाहत नहीं है। ये रवैया 4 दिन के वर्किंग कल्चर की राह में बड़ा रोड़ा है। अडेको ग्रुप इंडिया की HR डायरेक्टर ऐनी सौम्या के मुताबिक, पारंपरिक मैनेजर्स परफॉर्मेंस को काम के घंटों में मापते हैं। इसलिए कर्मचारी भी उसी ढांचे में ढल गए हैं। नए मॉडल को लागू करने से पहले कर्मचारियों को इस माइंडसेट से निकालना जरूरी है।अगले एक दशक में स्किल की कमी की वजह से दक्षिण एशिया के आधे युवाओं को नौकरी नहीं मिलेगी। हफ्ते में चार दिन काम से प्रोडक्टिविटी कम न हो, इसके लिए स्किल्ड कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। कर्मचारियों को इसके लिए तैयार करने के बाद ही इस मॉडल को लागू करना चाहिए।प्रोडक्टिविटी को काम के घंटे में नहीं बल्कि उसके प्रभाव से मापा जाता है। भारत के ऑफिस लंबी चलने वाली मीटिंग्स के लिए जाने जाते हैं। जिससे ऑफिस में मौजूदगी के घंटे तो बढ़ते हैं लेकिन काम के घंटे नहीं। केपीएमजी के परफॉर्मेंस हेड उमेश पवार कहते हैं, ‘जब आपके पास हफ्ते में चार दिन ही काम करने का विकल्प होगा, तो आप उसे मीटिंग्स की बहसों में नहीं खर्च कर सकते।’ऑफिस आने-जाने में औसतन एक कर्मचारी के दो घंटे खर्च होते हैं। ट्रेन की भीड़ या सड़क का जाम, बेतहाशा गर्मी या बेशुमार बारिश, बस की धक्का मुक्की या कैब की कमी… इन सबसे जूझते हुए ऊर्जा और उत्साह कम हो जाता है। इसके बाद ऑफिस पहुंचकर 12 घंटे लंबी शिफ्ट करना बेहद मुश्किल है।28 साल के रोहित मुंबई की एक मीडिया कंपनी में काम करते हैं। वे सुबह 7 बजे घर से निकलते हैं और शाम 7 बजे पहुंचते हैं। 8 घंटे की शिफ्ट के लिए उन्हें रोजाना 4 घंटे मुंबई लोकल में बिताने पड़ते हैं। रोहित जैसे डेली कम्यूटर यूज करने वाले कर्मचारी के लिए 12 घंटे की शिफ्ट किसी सजा से कम नहीं होगी। हफ्ते में चार दिन काम का मॉडल लागू करने से पहले आने-जाने में लगने वाले समय को घटाना जरूरी है।हफ्ते में चार दिन काम के मॉडल का उनके जीवन पर कैसा असर हुआ? सर्वे में आधे से ज्यादा बिजनेस लीडर्स ने माना कि इससे कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ी, बीमारियां घटी और कंपनी को पैसे की भी काफी बचत हुई। हफ्ते में चार दिन काम के 77% कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ी। नई उम्र के कर्मचारियों ने अपने छुट्टी वाले दिनों का इस्तेमाल नई स्किल सीखने, खुद से काम करने और घूमने-फिरने में बिताया।माइक्रोसॉफ्ट ने अपने जापान के ऑफिस में 2300 कर्मचारियों को बिना सैलरी काटे लगातार पांच हफ्ते तक वीकेंड के अलावा शुक्रवार को भी छुट्टी दी। कंपनी ने कहा कि इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ी और कर्मचारियों के छुट्टी लेने में भी 25% की गिरावट आई। बिजली के इस्तेमाल में भी 23% की कमी आई और 92% कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें हफ्ते में चार दिन काम करके बहुत मजा आया।यह मॉडल जल्द ही भारत में भी अपनाया जा सकता है। केंद्र सरकार लेबर कोड में कंपनियों को इसकी अनुमति देने जा रही है। लेबर सेक्रेटरी अपूर्व चंद्रा के मुताबिक, कंपनियां हफ्ते में तीन दिन की पेड छुट्टी देकर चार दिन रोजाना 12 घंटे काम करवा सकती हैं। उन्होंने कहा कि हम कंपनियों या कर्मचारियों को बाध्य नहीं कर रहे हैं, बल्कि नए वर्क कल्चर को अपनाने के विकल्प दे रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

x

Check Also

इजराइल में सत्ता में परिवर्तन तो हो गया परिवर्तन के बाद भी भारत से संबंध मजबूत बने रहेंगे

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 15th Jun. 2021, Tue. 2: 58  PM ...