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भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इमरान खान सरकार की 1600 कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में छात्रवृत्ति देने की योजना को नामंजूर कर दिया:INDIA-TEACH-LISSON-TO-IMRAN-KHAN.jpg : YOUNG ORGANISER

इमरान सरकार को भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने दिया झटका, 1600 कश्मीरी छात्रों को स्कॉलरशिप देने की योजना खारिज

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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 11th June 2020.

 Thu, 10:07 PM (IST) : Team Work: Kuldeep & Sandeep Agerwal

पाकिस्तान/ दिल्ली : भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इमरान खान सरकार की 1600 कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में छात्रवृत्ति देने की योजना को नामंजूर कर दिया है। इस विषय से जुड़े लोगों ने गुरुवार को यह जानकारी दी है। दिल्ली में एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि पीओके कॉलेजों में छात्रवृत्ति लेने के लिए पहुंचे कश्मीरी छात्रों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्होंने जो डिग्री दिखाई वह भारत में मान्यता प्राप्त नहीं थी। हादिया चिश्ती एक अपवाद हो सकती है। उसने 2012 में पीओके के मीरपुर में मोहतरमा बेनजीर भुट्टो शहीद मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था। जब उन्होंने अपना कोर्स पूरा किया और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन के लिए बैठी तो उन्हें बताया गया कि उनका कॉलेज पीओके में है। उसे मान्यता नहीं मिली।सुरक्षा अधिकारियों ने कहा, ‘स्कॉलरशिप देना युवा कश्मीरियों को कट्टरपंथी बनाने की पाकिस्तान की एक रणनीति थी। उन्हें बाद में भारत के खिलाफ भड़काया जाता। पहले उनकी सहानुभूति लेते फिर बाद में उनका इस्तेमाल करते।’जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसे कुछ उदाहरण भी सामने आए हैं जहां युवा कश्मीरियों ने वाघा-अटारी सीमा चौकी से होकर सीमा पार की और नियंत्रण रेखा से होकर आतंकवादियों के रूप में लौटे। पाकिस्तान ने पहली बार इस साल की शुरुआत में अपनी नेशनल असेंबली के एक पैनल में स्कीम की घोषणा की थी। पाकिस्तान वर्षों से कश्मीरी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है, लेकिन ये ज्यादातर बहुत ही छोटे पैमाने पर थे। कश्मीर पुलिस का अनुमान है कि लगभग 150 कश्मीरी छात्रा पाकिस्तान और पीओके स्थित मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं।पुलिस अधिकारियों ने कहा कि आवेदकों को ज्यादातर अलगाववादी समूहों जैसे हुर्रियत या आतंकी समूह हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के नेतृत्व वाले यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में सिफारिश की आवश्यकता होती है।राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा जब्त किए गए एक दस्तावेज में इस बात का खुलासा हुआ था कि नईम खान ने एक छात्र के लिए एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की सिफारिश की थी। क्योंकि उसका परिवार अलगाववादियों के अभियान में सहयोग के लिए प्रतिबद्ध था।

इमरान के मदद के प्रस्ताव पर भारत ने दिखाया आईना : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा मदद की पेशकश का जवाब देते हुए भारत ने कहा उनका देश खुद ही भारी कर्ज में डूबा हुआ है जो उनके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 90 प्रतिशत है। दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के साथ ही भयंकर कर्ज से जूझ रहे पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने भारत को मदद का प्रस्ताव दिया था। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इमरान ने दावा किया था कि भारत में 34 फीसद घर ऐसे है जिन्हें अगर कोई मदद नहीं मिली, तो वे एक हफ्ते से ज्यादा अपना गुजर-बसर नहीं कर पाएंगे।उन्होंने पाकिस्तान ट्रिब्यून की एक खबर के लिंक को ट्वीट करते हुए कहा, “इस रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में 34% परिवार ऐसे हैं जो बिना किसी मदद के सात दिनों से ज्यादा नहीं चल सकते। मैं भारत की मदद करने का प्रस्ताव देता हूं और हमारे देश के कैश ट्रांसफर प्रोग्राम (नकद हस्तांतरण कार्यक्रम) को साझा करने के लिए भी तैयार हूं। इस कार्यक्रम का खासियत है ‘जनता तक आसानी से पहुंच और पारदर्शिता’, जिसे लेकर  वैश्विक स्तर पर इसकी काफी तारीफ हुई है।पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि उनके लिए ऋण एक बड़ी समस्या है जो उनकी जीडीपी का 90% है। जहाँ तक भारत की बात है, हमारा प्रोत्साहन पैकेज ही पाकिस्तान की GDP जितना बड़ा है।

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