www.youngorganiser.com// कश्मीर Sun,24,Feb,2019. updated,6:43 PM IST ( P.V. Sharma,Young Organiser Jammu)
जम्मू-जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से आर्टिकल 35 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगामी सुनवाई को स्थगित करने के लिए सभी पक्षों के बीच एक पत्र वितरित करने के लिए अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है। आर्टिकल 35 ए में बदलाव किए जाने संबंधी मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है। प्रशासन ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि निर्वाचित सरकार ही इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में स्टैंड रख पाएगी। बता दें आर्टिकल 35 ए की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में इसी हफ्ते सुनवाई हो सकती है। माना जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश के जरिए इस कानून में बदलाव कर सकती है। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नौकरशाह रोहित कंसल ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35 ए पर सुनवाई को टालने के अनुरोध पर राज्य सरकार का रुख वैसा ही है जैसा 11 फरवरी को अनुरोध किया गया था।’ कंसल उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या इस विवादास्पद मुद्दे पर गर्वनर प्रशासन के स्टैंड में कोई बदलाव आया है। गर्वनर प्रशासन के मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किए गए रोहित कंसल ने जम्मू कश्मीर की जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और निराधार और अतिश्योक्तिपूर्ण सूचनाओं से परेशान न हों। उन्होंने कहा कि आधी अधूरी और अपुष्ट सूचनाओं के आधार पर लोग घबराहट पैदा नहीं करें। इनमें से अधिकतर सूचनाएं निराधार हैं। आर्टिकल 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के नागरिकों को पूर्ण नागरिकता प्रदान करती है। इस कानून को लेकर पिछले लंबे समय से विवाद है और इस पर कई तरह की बयानबाजियां होती रही हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही इस कानून पर सुनवाई चाहती है। आर्टिकल 35 ए के तहत जम्मू और कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां किसी प्रकार की संपत्ति नहीं खरीद सकता है। साथ ही यहां कि महिला से शादी के बाद उसकी संपत्ति पर अपना हक नहीं जमा सकता है। ये राज्य के लोगों को विशेष दर्जा देती है।