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वित्त मंत्री का यह ऐलान 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत शनिवार को चौथी किस्त का एक हिस्सा है: Nirmala-Sitharaman-1.jpg May 17, 2020

आत्मनिर्भर भारत: अस्पताल, स्कूल सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश खींचने के लिए 8,100 करोड़ की स्कीम

www.youngorganiser.com ….वित्त मंत्री का यह ऐलान 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत शनिवार को चौथी किस्त का एक हिस्सा है

Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 16 May 2020.

 Sat, 05:57 PM (IST) : Team Work: Kuldeep & Pawan Vikas Sharma

नई दिल्ली : वित्त मंत्री ने शनिवार को कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, सामाजिक बुनियादी ढांचा, विमानन, बिजली वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सुधारों की घोषणा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अस्पतालों, स्कूलों जैसे सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए 8100 करोड़ रुपये की स्कीम का ऐलान किया। वित्त मंत्री का यह ऐलान 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत शनिवार को चौथी किस्त का एक हिस्सा है। इस योजना के लिए केंद्र और राज्य सरकारें प्रोजेक्टों का चयन करेंगी। वी.जी.एफ की जाएगी 30 फीसदी : निर्मला ने देश में सोशल इन्फ्रास्ट्रचर में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 8,100 करोड़ रुपए की वाएबिलिटी गैप फंडिंग (वी.जी.एफ) स्कीम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अस्पताल और स्कूलों से जुड़े सोशल इन्फ्रास्ट्रचर प्रोजेक्ट खराब वाएबिलिटी के कारण जूझ रहे हैं। इन प्रोजेक्टों में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग की सीमा बढ़ाकर कुल लागत का 30 फीसदी की जाएगी। यह लागत केंद्र और राज्य सरकारें वहन करेंगी। अन्य क्षेत्रों के लिए वीजीएफ 20 फीसदी ही बनी रहेगी। रक्षा से अंतरिक्ष तक, आर्थिक पैकेज के आज ये 8 बड़े ऐलान : कोरोना काल में देश में अस्पतालों और इससे जुड़ी बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए यह पहल की है। उम्मीद की जा रही है कि इससे देश में अस्पतालों और स्कूलों की स्थिति में सुधार आएगा। पहली तीन किस्तें : इससे पहले शुक्रवार को तीसरी किस्त में उन्होंने कोरोना के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.63 लाख करोड़ रुपए के पैकेज सहित विभिन्न उपायों की घोषणा की थी। गुरुवार को दूसरी किस्त में उन्होंने किसानों, प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों को राहत देने के लिए कई घोषणाएं की थी। बुधवार को पहली किस्त में उन्होंने एमएसएमई, एनबीएफसी, एमएफआई, डिस्कॉम, रियल एस्टेट, टैक्स आदि में राहत का ऐलान किया था।सीतारमण का ऐलान, रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की चौथी किस्त का ऐलान किया। इसमें उन्होंने 8 क्षेत्रों में सुधारों की घोषणा की। वित्त मंत्री ने कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, सामाजिक बुनियादी ढांचा, विमानन, बिजली वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सुधारों की घोषणा की।

1-कोयला : कोयला क्षेत्र में सरकार के एकाधिकार को खत्म किया जाएगा। कोल सेक्टर में कमर्शियल माइनिंग शुरू की जाएगी। भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला भंडार है। 50 नए ब्लॉक नीलाम होंगे। इसके अपफ्रंट पेमेंट की सीमा होगी। आंशिक रूप से बंद पड़ी खदानों को निजी क्षेत्र को दिया जाएगा। समय से पहले खनन पूरा करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। सरकार इस बात से वाकिफ है कि कोयला पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है, इसलिए इसके गैसीफिकेशन पर जोर होगा। इससे स्वच्छ ऊर्जा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। आधारभूत ढांचे के विकास पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। कोल बेड मीथेन की नीलामी होगी। कंपनियों को रेवेन्यू साझा करना होगा।

2-मिनरल्स : खनिज क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों को लाया जाएगा। 500 माइनिंग ब्लॉक उपलब्ध कराए जाएंगे। बॉक्साइट और कोयले की संयुक्त नीलामी होगी। स्टांप ड्यूटी को व्यावहारिक बनाया जाएगा।

3-बिजली वितरण क्षेत्र : केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण किया जाएगा। इससे बेहतर सेवा मिलेगा और पावर वितरण में मॉडल के रूप में विकसित करेंगे। बाकी राज्य भी इनसे प्रेरित होंगे। इससे बिजली क्षेत्र में स्थिरता आएगी। बिजली उत्पादन कंपनियों को समय पर भुगतान हो सकेगा। साथ ही सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी।

4-सामाजिक बुनियादी ढांचा : अस्पताल और स्कूल जैसे सामाजिक बुनियादी ढ़ाचे में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग में बदलाव किया गया है। सरकार ने इसे 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है। इससे निजी निवेश आएगा। इसके लिए 8100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

5-रक्षा : देश में रक्षा साजोसामान बनाने वाले ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड का कॉरपोरेटाइजेशन किया जाएगा। वित्त मंत्री ने साफ किया कि यह निजीकरण नहीं है। इससे बोर्ड के कामकाज में सुधार आएगा। हम उम्मीद करते हैं कि यह आगे सूचीबद्ध होगी जिससे आम नागरिकों को उसके शेयर खरीदने का मौका मिलेगा। इस क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी के बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई है। डिफेंस उत्पादन में मेक इन इंडिया पर जोर दिया जाएगा। सेना को आधुनिक हथियारों की जरूरत है और उनका उत्पादन भारत में ही होगा। ऐसे उपकरणों और हथियारों की एक सूची अधिसूचित की जाएगी जिनके आयात पर पाबंदी होगी, उन्हें केेवल देश में ही खरीदा जाएगा।

6-नागरिक उड्डयन : असैन्य विमानों के लिए वायुक्षेत्र की पाबंदी में कमी की जाएगी। अभी देश में उनके लिए केवल 60 फीसदी वायुक्षेत्र ही उपलब्ध है। इससे ईंधन और समय की बचत होगी और हवाई यात्रा करने वालों को कम किराया देना पड़ेगा। देश में पीपीपी के तहत 6 नए हवाई अड्डे विकसित किए जाएंगे। पहले और दूसरे चरण में 12 हवाई अड्डों में 13 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा। देश में ही विमानों के रखरखाव और मरम्मत को बढ़ावा दिया जाएगा। विमान रखरखाव और मरम्मत के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाया जाएगा।

7-अंतरिक्ष : अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने का मौका दिया जाएगा। निजी कंपनियां इसरो की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगी। जियोस्पेसल डेटा के लिए उदार नीति लाई जाएगी ताकि हमारे स्टार्ट अप को विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े।

8-परमाणु ऊर्जा : मेडिकल आइसोटोप बनाने के लिए पीपीपी मोड में रिसर्च रिएक्टर की स्थापना होगी। इससे कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में दुनिया को मदद मिलेगी। अभी परमाणु ऊर्जा पूरी तरह सरकार के पास है। जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के लिए विकिरण तकनीक के माध्यम से एक खाद्य संरक्षण बनाया जाएगा। इससे फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा और प्याज जैसी उपज का लंबे समय तक भंडारण हो सकेगा। स्टार्ट अप को देश की परमाणु ऊर्जा का लाभ दिया जाएगा।

स्पेस और मेडिकल आइसोटोप में ‘विश्व गुरु’ बनेगा भारत! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की चौथी किस्त में आज 8 प्रमुख क्षेत्रों में सुधारों और उपायों की घोषणा की। इनमें सबसे अधिक चर्चा स्पेस और एटमिक एनर्जी सेक्टर के बारे में की गई घोषणाओं पर हो रही है।सीतारमण ने कहा कि भारतीय स्पेस सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोला जा रहा है। अंतरिक्ष क्षेत्र में भी स्टार्टअप की योजना पर काम किया जा रहा है और प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी बढ़ाई जा रही है। वे भी सैटेलाइट लॉन्च कर पाएंगी। साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को इसरो की सुविधाओं का इस्तेमाल करने का मौका दिया जाएगा। इस काम में इसरो कंपनियों की मदद भी करेगा। साथ ही जियोस्पेसल डेटा के लिए उदार नीति लाई जाएगी ताकि हमारे स्टार्ट अप को विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े।

मेडिकल आइसोटोप के लिए रिसर्च रिएक्टर : इसके अलावा उन्होंने मेडिकल आइसोटोप बनाने के लिए पीपीपी मोड में रिसर्च रिएक्टर की स्थापना होगी। इससे कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में दुनिया को मदद मिलेगी। जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के लंबे समय तक संरक्षण के लिए विकिरण तकनीक का विकास किया जाएगा। इससे फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा और प्याज जैसी उपज का लंबे समय तक भंडारण हो सकेगा। स्टार्ट अप कंपनियों को देश की परमाणु ऊर्जा का लाभ दिया जाएगा।उद्योग जगत ने स्पेस और एटमिक एनर्जी सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए खोलने के फैसले को हाथोंहाथ लिया है। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि एटमिक एनर्जी और स्पेस जैसे सेक्टर उन क्षेत्रों में शामिल हैं जिनमें भारत ग्लोबल लीडर बनकर उभर सकता है। इन पर ध्यान देने की जरूरत है।

स्पेस और एटमिक एनर्जी पर सरकार का एकाधिकार : अभी तक स्पेस और एटमिक एनर्जी सेक्टर पर पूरी तरह सरकार का एकाधिकार है। ये दोनों संवेदनशील क्षेत्र हैं लिहाजा इनके लिए नियम भी बेहद सख्त होंगे। वित्त मंत्री ने खुद इसका संकेत दिया है। इसरो पिछले कई वर्षों से निजी क्षेत्र को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है। वह सैटेलाइट बनाने और छोड़ने का काम निजी हाथों में सौंपकर खुद रिसर्च पर ज्यादा जोर देना चाहता है। इसरो के पास जितना काम है, उसके हिसाब से कर्मचारी नहीं हैं। भारत दुनिया के कई देशों के सैटेलाइट छोड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि वह पश्चिमी देशों की तुलना में सस्ते में यह काम करता है और उसकी विश्वसनीयता जांची परखी है।

नहीं दिया मौका तो पिछड़ जाएगा जाएगा : लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत ने अब निजी क्षेत्र को स्पेस सेक्टर में मौका नहीं दिया तो वह इसमें पिछड़ जाएगा। आज दुनिया की अधिकांश स्पेस एजेंसियां निजी क्षेत्र को अपने साथ जोड़ रही हैं। निजी क्षेत्र के आने से इसरो के वैज्ञानिकों को कोर रिसर्च के लिए समय मिलेगा और भारत अंतरिक्ष में नए-नए शोध करके अपना सिक्का जमा सकता है।

न्यूक्लियर मेडिसिन के लिए भी अपार संभावनाएं :इसी तरह देश में न्यूक्लियर मेडिसिन के लिए भी भारत में अपार संभावनाएं हैं। यह रेडियोलॉजी का एक स्पेशलाइज्ड एरिया है। इसका इस्तेमाल कैंसर जैसी कई बीमारियों के इलाज में होता है। वित्त मंत्री ने कहा कि मेडिकल आइसोटोप के उत्‍पादन के लिए पीपीपी मॉडल के तहत शोध रिएक्टर बनेगा। इससे कैंसर और अन्य बीमारियों के लिए सस्ती उपचार के माध्यम से मानवता के कल्याण को बढ़ावा देगा। इस सेक्टर में स्टार्टअप को आगे बढ़ाया जाएगा।मेडिकल आइसोटोप का उपयोग दवा की तरह किया जाता है। सीमित मात्रा में अनुसंधान रिएक्टरों में उत्पादित किया जाता है और फिर अन्य देशों में पहुंचाया जाता है। देश में अब तक यह काम अब तक पूरी तरह सरकार के जिम्मे है। निजी क्षेत्र के आने से इसमें और रिसर्च की संभावना बढ़ जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो भारत इसमें भी अपना दबदबा कायम कर सकता है।

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