www.youngorganiser.com// Jammu, Sun,24,Feb,2019. updated,7:04 PM IST ( Senior Editor Banarsi Dutt , Young Organiser Jammu)
गृह मंत्रालय ने हालांकि इजाजत मांगने संबंधी खबरों का खंडन किया, लेकिन यह सच है कि अर्धसैनिक बलों के जवान सामान्य स्थितियों में हवाई सफर के लिए अधिकृत नहीं थे। फिलहाल एक साल के लिए की गई इस व्यवस्था के मुताबिक केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों के जवान छुट्टियों पर ही नहीं, ड्यूटी पर भी आने-जाने के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस फैसले से न केवल अर्धसैनिक बलों, बल्कि पूरे देश में यह संदेश जाएगा कि सरकार के लिए अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा का सवाल भी सेना की सुरक्षा जितना ही अहम है। इस लिहाज से यह एक जरूरी फैसला है। मगर, जिन हालात में जवानों का कश्मीर में सड़क मार्ग से जाना इतना असुरक्षित हो गया है, उन्हें जल्दी बदलने की जिम्मेदारी भी इन जवानों पर ही है। जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी शक्तियों में यह संदेश हरगिज नहीं जाना चाहिए कि वे भारतीय सुरक्षा बलों को सड़क से हटाने में सफल हो गए हैं। हां, हवाई सफर की सुविधा जवानों की ऊर्जा और उनका समय बचाती है, लिहाजा इसे आगे भी जारी रखा जाए और उनकी शक्ति का उपयोग लोकल दबिश बढ़ाने में किया जाए। ध्यान रहे, सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को घाटी में बेहद कठिन लड़ाई लड़नी पड़ रही है। यह वैसी लड़ाई नहीं है जिसमें दुश्मन की पहचान तय होती है। सीमा के अंदर चलने वाली इस लड़ाई में उन्हें बेकसूर नागरिकों की भीड़ में छुपे दुश्मनों का सामना करना है। ऐसे में सरकार तो अपना काम करेगी ही, देश के सामान्य नागरिकों की भी यह जिम्मेदारी है कि कश्मीर के आम लोगों पर गुस्सा जताकर वहां सुरक्षा बलों के काम को और मुश्किल न बनाएं। आम कश्मीरी इस देश के बाकी भू-भाग से जितना अपनापन महसूस करेगा, आतंकी तत्वों को अलग-थलग करके उन पर अंकुश लगाने में उतनी ही आसानी होगी। सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाना और उनके साथ डट कर खड़े रहना अभी जितना जरूरी है, कश्मीर का माहौल सुधारने में अपना योगदान करना उससे कम जरूरी नहीं है। पिछले हफ्ते पुलवामा में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सरकार का यह फैसला खासा अहम है कि कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के जवान अब दिल्ली-श्रीनगर, श्रीनगर-दिल्ली, जम्मू-श्रीनगर और श्रीनगर-जम्मू आने-जाने के लिए हवाई सफर कर सकेंगे। पुलवामा में पिछले गुरुवार को सड़क मार्ग से गुजर रहे सीआरपीएफ के काफिले पर जैशे मोहम्मद के एक फिदायीन आतंकी हमले के चलते 40 जवानों के शहीद होने के गम से देश अभी उबर नहीं पाया है। हमले के बाद यह भी कहा गया कि सीआरपीएफ ने जवानों के लिए हवाई यात्रा की इजाजत मांगी थी, लेकिन वह संभव नहीं हो पाया। केन्द्रीय सुरक्षा बालों पर आक्रमण बिना अंदरूनी सूचना के लीक होने के कारण असम्भव था–पठानकोट और अन्य च्चावनियों पर हमला गुप्त सूचना के ही आधार पर होते है,यह भी कि अगर जवानों को हवाई सफर की सुविधा मिल गई होती तो देश को इतना बड़ा सदमा नहीं झेलना पड़ता।