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अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में कुछ माह से पर्यटकों की आवक में वृद्धि दर्ज

...किसानों के मुद्दे पर रास में हंगामा, बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित…

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 2nd, Feb. 2021.Tue, 1:22 PM (IST) :  Team Work: Kunwar & Pawan Vikas Sharma, नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद इस संघ शासित क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया कि पिछले कुछ माह से पर्यटकों की आवक में वृद्धि दर्ज की गई है। पटेल ने कहा, ‘‘पांच अगस्त 2019 से जम्मू एवं कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है। जम्मू की तुलना में यह प्रभाव कश्मीर घाटी में अधिक दिखा। हालांकि पिछले कुछ माह से जम्मू एवं कश्मीर में पर्यटक आगमन में क्रमिक रूप से वृद्धि हो रही है।’’ उन्होंने बताया कि जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख संघ शासित क्षेत्र के प्रशासन के अनुसार अगस्त 2019 से अब तक कश्मीर में 84, 326 पर्यटक आए जबकि जम्मू में 87,94,837 और लद्दाख में 1,00,931 पर्यटक आए। इस दौरान धार्मिक यात्रा पर जम्मू आने वाले पर्यटकों की कुल संख्या 76,80,775 रही। पांच अगस्त 2019 के बाद इन संघ शासित क्षेत्रों में पर्यटन और हस्तशिल्प क्षेत्रों में समाप्त हुई नौकरियों का ब्योरा पूछे जाने पर मंत्री ने बताया कि रोजगार के नुकसान के आकलन के लिए पर्यटन मंत्रालय ने कोई औपचारिक अध्ययन नहीं किया है। पटेल ने हालांकि कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र में जम्मू एवं कश्मीर में इस अवधि के दौरान रोजगार की कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आयी है। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न हस्तशिल्प कार्यकलापों में संलग्न कारीगर अपना कार्य कर रहे हैं और सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें सहायता प्रदान कर रही है। केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भी जम्मू एवं कश्मीर के कारीगरों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।’’ ज्ञात हो कि पांच अगस्त, 2019 को ही केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था और जम्मू एवं कश्मीर को राज्य से संघ शासित प्रदेश बना दिया गया था। लद्दाख को भी संघ शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।

किसानों के मुद्दे पर रास में हंगामा, बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित: नयी दिल्ली: उपसभापति हरिवंश ने एक बार फिर सदन सुचारू रूप से चलने देने की अपील की और सदस्यों से आग्रह किया कि वे कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में शामिल होकर अपनी बात रखें। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा और राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया जिसकी वजह से उच्च सदन की बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे एक दिन बाद, बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं। इससे पहले शून्यकाल शुरू होने पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें नियम 267 के तहत नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, द्रमुक के तिरूचि शिवा, वाम सदस्य ई करीम और विनय विश्वम सहित कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं। इस नियम के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर जरूरी मुद्दे पर चर्चा की जाती है। सभापति ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सदस्य अपनी बात कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान रख सकते हैं। उन्होंने सदस्यों से संक्षिप्त में अपनी बात कहने को कहा। सुखेंदु शेखर राय, करीम, विनय विश्वम, शिवा के अलावा राजद के मनोज झा, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव आदि सदस्यों ने किसानों के आंदोलन का जिक्र किया और इस पर चर्चा कराने की मांग की। सभापति ने शून्यकाल में व्यवस्था देते हुए कहा कि इस मुद्दे को कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उठाया जा सकता है। कुछ विपक्षी दलों के सदस्य नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वाकआउट कर गए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदस्यों ने स्वयं ही प्रश्नकाल की मांग की थी। उन्होंने कहा ‘‘अब प्रश्नकाल चल रहा है लेकिन वे इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं। कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सदस्यों को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। ’’ सदस्यों ने कहा कि सदन पर अन्नदाता की परेशानियों के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। नायडू ने कहा कि वह सदस्यों की चिंता समझते हैं और राष्ट्रपति अभिभाषण में भी इस मुद्दे का जिक्र किया गया है। दिए गए नोटिसों को अस्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि परिपाटी है कि अभिभाषण पर पहले लोकसभा में चर्चा शुरू होती है। इसलिए यहां इस पर कल चर्चा शुरू होगी जिसमें सदस्य अपनी बातों को विस्तार से रख सकते हैं। इसके बाद विपक्ष के कई सदस्य वाकआउट कर गए। कुछ देर बाद ये सदस्य सदन में आए और किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। सभापति ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने आसन की ओर आ रहे कुछ सदस्यों को वापस जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में कोविड-19 महामारी की वजह से प्रश्नकाल नहीं हो पाया था जिस पर सदस्यों ने ही नाराजगी जाहिर की थी। अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने नौ बज कर करीब 50 मिनट पर बैठक साढ़े दस बजे तक के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद बैठक शुरू होने पर भी सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने तथा सदन को सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभापति ने पहले ही कहा था कि कल से राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा शुरू हो रही है और सदस्य उसमें अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन उनकी अपील का हंगामा कर रहे सदस्यों पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने बैठक 11:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दो बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समीप आ कर नारेबाजी करने लगे। उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने तथा कोविड-19 संबधी दिशानिर्देशों (प्रोटोकॉल) का पालन करने की अपील की। उन्होंने सदस्यों से एक बार फिर सदन सुचारू रूप से चलने देने की अपील की और आसन के समीप आए सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने को कहा। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उपसभापति ने बैठक शुरू होने के कुछ क्षणों के अंदर ही कार्यवाही दोपहर 12:30 बजे तक स्थगित कर दी। तीन बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने पर भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और वे नारेबाजी करने लगे। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उपसभापति ने कुछ क्षणों के अंदर ही कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

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