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Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 06 May 2020. Wed, 02:50 PM (IST) :Team Work: Pawan Vikas SharmaSiddharth, Kapish & Imtiaz Chowdhury
कश्मीर : दिलबाग सिंह ने कहा हम लोग 6 दिन पहले से ही रियाज के बारे में सारी जानकारी हासिल कर चुके थे। मौका मिलते ही हमारे जवानों ने रियाज को उसी के गांव में उसी के घर में घेरा। आप कह सकते हैं कि उसे ढ़ेर करने में हमारे इंटेलिजेंस की अहम भूमिका रही। एक तरह से माना जाए तो जाकिर मूसा के बाद वह घाटी में हिज्बुल का सबसे बड़ा कमांडर था। रियाज नायकू 2012 से ही सक्रिय था और वह घाटी के युवाओं को बरगलाने में माहिर था।रियाज नायकू A++ कैटिगरी का आतंकी था। सुरक्षाबलों को उसकी लंबे समय से तलाश थी और उसके ऊपर 12 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था। सुरक्षाबल इस मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे इसलिए मारे जाने के बाद भी रियाज की पहचान को लेकर पूरी आश्वस्त होना चाहते थे। इसी वजह से साढ़े पांच घंटे तक उसकी पहचान करने में लगाए गए। सबसे पहले उसके शरीर के निशानों को देखा गया, फिर पुलिस ने उसके बाद सी.आर.पी.एफ ने फिर सेना ने उसके बाद आईबी ने और अंत में स्थानीय लोगों से उसकी पहचान कराई गई। उसके बाद रियाज के मारे जाने की सूचना बाहर आई।कश्मीर का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी और हिज्बुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया। रियाज नायकू तक पहुंचने में एक कारपेंटर ने अहम भूमिका अदा की। इस बात का खुलासा जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने किया। दिलबाग सिंह ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में इस बात की जानकारी दी कि कारपेंटर पूरे ऑपरेशन के दौरान टीम के साथ था। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने बताया कारपेंटर ने हमें बताया था कि कई भूल भुलैया जैसी सुरंगों के जरिए रियाज नायकू अपने घर पहुंचता था। उसके घर के भीतर एक ऐसी दीवार थी जिसके दोनों तरफ कमरे थे और कोई आम इंसान उसे देखकर यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यह दीवार अपने आप में रहने की जगह हो सकती है। इस साढ़े 5 फुट चौड़ी दीवार के बीच रियाज तसल्ली से आराम फरमाता था। हमारे साथ जो कारपेंटर था उसी ने हमें यह जानकारी दी थी।…कश्मीर का मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी और हिज्बुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू पुलवामा जिले के बेगपोरा में सुरक्षाबलों के साथ हुए एनकाउंटर मारा गया है। आतंकी रियाज नायकू A++ कैटिगरी का आतंकी था। सेना को उसकी लंबे समय से तलाश थी और उसके ऊपर सेना ने 12 लाख रुपये का इनाम भी रखा था। सेना ने उसे ढेर करने के लिए खास प्लान बनाया। रियाज नायकू बहुत ही शातिर आतंकी था। बताया जा रहा है कि उसने अपने घर तक जाने-आने के लिए सुरंगे बना रखी थीं। इस बात की सूचना बहुत ही गिने-चुने लोगों को थी क्योंकि वह किसी पर भरोसा नहीं करता था। सेना ने विस्फोटक से वह घर उड़ा दिया और जो सुरंग उसने जान बचाने के लिए खोदी थी उसी में उसकी कब्र बन गई। सेना इस मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसलिए मारे जाने के बाद भी रियाज की पहचान को लेकर पूरी आश्वस्त होना चाहते थे। इसलिए साढ़े पांच घंटे तक उसके पहचान करने में लगाए गए। सबसे पहले उसके शरीर के निशानों को देखा गया, फिर पुलिस ने, उसके बाद सीआरपीएफ ने फिर सेना ने उसके बाद आईबी ने और अंत में स्थानीय लोगों से उसकी पहचान कराई गई। उसके बाद रियाज के मारे जाने की सूचना बाहर आई। सुबह 2 बजे एरिया की घेराबंदी की गई और आसपास के घरों से सभी सिविलियंस को सुरक्षित बाहर निकाला गया। कोई सिविलियन इसमें घायल नहीं हुआ। आतंकियों से मुठभेड़ सुबह 9.30 बजे शुरू हुई। चार घंटे तक लगातार फायर फाइट के बाद रियाज नायकू मारा गया। बेगपोरो में नायकू के साथ एक और आतंकी था, उसे भी सुरक्षा बलों ने मार गिराया। दो एके-47 और गोलाबारूद बरामद हुआ है। गणित के टीचर से आतंकी बने रियाज अहमद नायकू (35) साल ने पुलिस अफसरों के परिवार के लोगों का अपहरण और आतंकी के मरने पर बंदूकों से सलामी देने का चलन शुरू किया था। बताया जा रहा है कि नायकू अपनी बीमार मां को देखने आया था। इसी दौरान उसके घर पहुंचने की सूचना पुलिस को मिली। सेना ने मकान को मंगलवार ही घेर लिया था लेकिन कोई फायरिंग नहीं हुई। सेना को उसके भाग जाने का अंदेशा हुआ। कुछ खुफिया लोगों ने उसके मकान से बनी सुरंगों के रास्ते भागने की बात कही तो सेना ने जेसीबी मंगवाई। इलाके के आसपास खेतों और रेलवे ट्रैक की खुदाई की गई। यहां जमीन के भीतर सुरंगे ढूंढी गईं। देर रात सेना ने सर्च ऑपरेशन रोक दिया, लेकिन इलाके से घेराबंदी नहीं हटाई गई। आखिर नायकू को जब एहसास हुआ कि वह अब बचकर नहीं भाग सकता तो उसने सुबह लगभग नौ बजे फायरिंग शुरू कर दी।फायरिंग होने के बाद सेना ने भी जवाबी फायरिंग की और फिर एनकाउंटर शुरू हो गया। आखिर दोपहर को नायकू मार गिराया गया। सूत्रों के मुताबिक, थोड़ी देर बाद ओवैस हिज्बी भी ढेर कर दिया गया। सितंबर 2018 में भी सेना को नायकू के पुलवामा में अपने गांव आने की जानकारी मिली थी। नायकू का गांव अवंतिपुरा के बेगपोरा में है। तब सेना ने पूरे इलाके को छान डाला था। स्थानीय लोगों के मुताबिक बेगपुरा की जामिया मस्जिद के पास एक प्लॉट की जेसीबी से खुदाई भी की गई थी। इनपुट्स थे कि वह किसी सुरंग में छिपा हुआ था, लेकिन सेना को खाली हाथ लौटना पड़ा था। लेकिन इस बार नायकू सेना को चमका नहीं दे सका।