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भारत के साथ GSP के मसले पर क्या है अमेरिका का रुख ,भारत ने मानवाधिकारों पर घेरा

www.youngorganiser.com    Jammu (Tawi) 180001 (J&K Union Territory) Updated, 16th Apr. 2021, Fri. 2:04 PM (IST) : ( Article ) Sampada Kerni: वर्ष 2019 में अमेरिका की पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने अमेरिका के सामान्यीकृत तरजीही प्रणाली (GSP) के तहत लाभार्थी के तौर पर भारत की पात्रता को समाप्त कर दिया था। तब अमेरिका ने कहा था कि भारत ने यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह अपने बाजारों में अमेरिकी उत्पादों को समान और तर्कसंगत पहुंच उपलब्ध कराएगा। अमेरिका के बाइडेन प्रशासन ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत के साथ जीएसपी के मामले को सुलझाना उनके एजेंडों में सबसे ऊपर है। बाइडेन प्रशासन के समक्ष अनेक सांसदों ने भारत की तरफ से इस मामले में की गई जवाबी कार्रवाई का मुद्दा उठाया था। वर्ष 2019 में अमेरिका की पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने अमेरिका के सामान्यीकृत तरजीही प्रणाली (जीएसपी) के तहत लाभार्थी के तौर पर भारत की पात्रता को समाप्त कर दिया था। तब अमेरिका ने कहा था कि भारत ने यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह अपने बाजारों में अमेरिकी उत्पादों को समान और तर्कसंगत पहुंच उपलब्ध कराएगा।जीएसपी अमेरिका का सबसे पुराना व्यापार तरजीही कार्यक्रम है। इसके तहत चुने हुए देशों के उत्पादों को अमेरिका के बाजारों में शुल्क मुक्त प्रवेश दिया जाता है। अमेरिका के इस कार्यक्रम के लाभार्थियों में भारत भी शामिल था, जिसे पिछले ट्रंप प्रशासन ने समाप्त कर दिया था। अमेरिका की सीनेट वित्त समिति के कई सदस्यों ने इस मामले को उठाया। अमेरिका के बाइडेन प्रशासन के व्यापार प्रतिनिधि के पद की नामित कैथरीन सी टाई की इस पद के लिए पुष्टि को आयोजित बैठक के मौके पर यह मुद्दा उठा। क्या जवाबी कार्रवाई की भारत ने टाई ने इस अवसर पर कहा, ‘‘भारत में जीएसपी के आपके सवाल पर मैं कहना चाहूंगी कि यदि सब ठीक हो जाता है तो यह मुद्दा मेरे एजेंडे में बहुत ऊपर है।’’ उन्होंने सीनेटर मारिया कैंटवेल के सवाल पर यह जवाब दिया। कैंटवेल ने कहा कि अमेरिका की तरफ से जीएसपी के लाभार्थियों की सूची से भारत को हटा दिए जाने के बाद उसने अनेक अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी कार्रवाई करते हुए शुल्क बढ़ा दिया। भारत को जीएसपी कार्यक्रम के तहत फायदा मिलता रहा है। वर्ष 2017 में भारत ने इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका को 5.7 अरब डालर का निर्यात किया था। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में पाकिस्तान और तुर्की के फैलाए गए झूठ पर जमकर सुनाया। भारतीय प्रतिनिधि ने न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों से निराधार और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार करने को लेकर निंदा की बल्कि, मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाने से पहले अपने गिरेबान में झांकने की सलाह भी दी। बता दें कि पाकिस्तानी मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में कश्मीर को लेकर भारत पर खूब झूठा आरोप लगाया था। इसके अलावा तुर्की के विदेश मंत्री ने भी पाकिस्तान का साथ देते हुए कश्मीर में प्रतिबंधों में ढील देने की बात की थी ,मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि के बयान के जवाब में उत्तर देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने कहा कि वह पाकिस्तानी प्रतिनिधि द्वारा संयुक्त राष्ट्र मंच का एक बार फिर दुरुपयोग किए जाने से हैरान नहीं है। जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन में द्वितीय सचिव सीमा पुजानी ने कहा कि भारत के खिलाफ निराधार और दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार के लिए पाकिस्तान का लगातार विभिन्न मंचों का दुरुपयोग करना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि समस्त केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं। इन केंद्रशासित प्रदेशों में सुशासन और विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम हमारा आंतरिक मामला हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व में सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों में शुमार देश भारत पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांके। भारत ने दो टूक शब्दों में तुर्की को अंदरूनी मामलों में दखल न देने को कहा है। भारतीय प्रवक्ता ने तुर्की को साइप्रस की याद दिलाते हुए कहा कि वहां भी संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव दिया है, जिसका आजतक पालन नहीं किया गया। दरअसल तुर्की ने साइप्रस के एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमाया हुआ है। जिसे वह संयुक्त राष्ट्र के दखलअंदाजी के बाद भी नहीं छोड़ रहा है। पाकिस्तान में हिन्दुओं, ईसाइयों और सिखों सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, संस्थागत भेदभाव तथा उनके उत्पीड़न को रेखांकित करते हुए पुजानी ने कहा कि वहां अल्पसंख्यकों के धर्म स्थलों पर लगातार हमले होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिन्दू, सिख और ईसाई समुदायों से संबंधित महिलाओं की हालत दयनीय है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वहां हर साल अल्पसंख्यक समुदायों की लगभग एक हजार महिलाओं का अपहरण कर उनका जबरन धर्मांतरण किया जाता है और फिर उनसे जबरन शादी की जाती है। भारत ने बलूचिस्तान में दमन का मुद्दा भी उठाया ,भारत ने पाकिस्तान में बलूचिस्तान और अन्य क्षेत्रों के राजनीतिक दमन, लोगों को गायब करने, उन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में रखने और यातना देने का मामला भी उठाया। पुजानी ने आतंकवादियों को शरण देने के मुद्दे पर भी पाकिस्तान की निन्दा की। भारत ने अपने आंतरिक मामलों पर तुर्की की टिप्पणी की भी निन्दा की और इसे ‘‘पूरी तरह अस्वीकार्य’’ करार दिया।

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